#FarmLawsAreSuicidalLaws क्यों ट्रेंड कर रहा
किसानों की बदहाली का कारण कालाबाजारी और सरकार का कुप्रबंधन
FarmLawsAreSuicidalLaws. ट्वीटर पर आज जब यह ट्रेंड कर रहा था, तब यूपी में पिछले एक महीने से लखीमपुर खीरी रास्ते में पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स हटाए जा रहे थे. वहीं, देश के ज्यादातर राजनीतिज्ञ और प्रबुद्ध किसानों की बदहाली को लेकर अपनी अपनी चिंताएं व्यक्त कर रहे थे. जिस तरह से किसानों की बदहाली, मौत और आत्महत्या की खबरें आ रही हैं, उनसे यह साफ हो जाता है कि उनके साथ कुछ तो गलत हो रहा है. आखिर क्या? यही जानने के लिए हमने आज फोन पर बात की संयुक्त किसान मोर्चा के नेता, किसान सँघर्ष समिति के अध्यक्ष और पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम से. जानिए, #FarmLawsAreSuicidalLaws को लेकर उन्होंने क्या क्या बातें कहीं. यकीनन इससे आप किसानों की समस्या को और भी बेहतर ढंग से समझ पाएंगे.
सुषमाश्री
#FarmLawsAreSuicidalLaws आज ट्वीटर पर ट्रेंड कर रहा है यह. देश में किसान किस कदर खस्ताहाल जीवन जीने को मजबूर हैं, इसकी बानगी पिछले दिनों बुंदेलखंड में खाद की लाइन में लगे चार किसानों की मौत से ही देखने को मिल जाती है. किसानों की इस बदहाली पर अब पूरा देश एकजुट दिख रहा है क्योंकि ट्वीटर पर ट्वीटर पर ट्रेंड कर रहा है #FarmLawsAreSuicidalLaws यानि नए कृषि कानूनों को आत्महत्या का कानून बताकर केंद्र सरकार के इन कानूनों का विरोध किया जा रहा है.
इस मुद्दे पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेता, किसान सँघर्ष समिति के अध्यक्ष और पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम का कहना है कि खाद की कमी से जो किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं या फिर खाद की लाइन में लगे लगे ही उनकी मौत हो जा रही है, उसका असल कारण कृषि संकट, कृषि संबंधी सरकारी योजनाओं की विफलता, कृषि उत्पादों का एमएसपी पर खरीद न होना, किसानों के बीच बढ़ती
असुरक्षा, खाद की बढ़ती कीमतें, खाद की जमाखोरी – कालाबाजारी और सरकार का कुप्रबंधन ( मिस मैनेजमेंट) है.
#FarmLawsAreSuicidalLaws के ट्वीटर पर ट्रेंड करने को लेकर डॉ. सुनीलम कहते हैं कि जब भी खेती का समय आता है, जिस नीम कोटेड खाद की बात पीएम मोदी ने की थी कि अब से वही खाद उपलब्ध होंगी ताकि वह खाद के ही काम आ सके. लेकिन जब रबी या खरीफ़ के समय किसानों को खाद सोसाइटी से समय पर उपलब्ध नहीं कराई जाती ताकि किसान मजबूरी में जमाखोरों और कालाबाजारी करने वाले दुकानदारों से खरीदें. फिलहाल सोसाइटियों में खाद स्टॉक में नहीं है. मजबूरी में किसानों को खाद महंगे दाम पर खरीदना पड़ रहा है.
डॉ. सुनीलम ने आगे कहा कि इसके बावजूद जो किसान खाद के कारण आत्महत्या करने को मजबूर हैं, असल में ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी कोई निश्चित आय नहीं है. न ही उनकी निश्चित आय का कोई साधन ही है. यह तभी संभव है जब सभी किसानों की सम्पूर्ण कर्जा मुक्ति की जाय और सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारन्टी दी जाए. यही 335 दिन से चल रहे संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन की मुख्य मांग है.
#FarmLawsAreSuicidalLaws के मुद्दे पर डॉ. सुनीलम ने आगे कहा कि सरकार ने आय दुगनी करने का वायदा किया था लेकिन लागत 40 प्रतिशत बढ़ गई है. समर्थन मूल्य 4 प्रतिशत बढ़ाया गया है. महंगाई के मापदंडों के हिसाब से किसानों की वास्तविक आय 33 प्रतिशत तक घट गई है.
उन्होंने आगे कहा कि क्या सरकार जो 6000 रुपये सालाना किसानों की मदद के लिए भेजती है, वह उनके लिए काफी होता है? यहां सवाल यह भी है कि क्या यह 6000 रुपया भी उन्हें पूरी तरह से मिल पाता है? अब तक 50 प्रतिशत किसान भी ऐसे नहीं हैं, जिन्हें पूरी रकम मिल पाई हो. तीन साल पहले योजना की घोषणा हुई थी लेकिन 25 प्रतिशत किसानों के खाते में भी 18 हज़ार रुपये ट्रांसफर नहीं हुए हैं.
डॉ. सुनीलम ने इस ओर भी सबका ध्यान दिलाया कि जब कच्चे तेल की कीमत जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम थी तब उसका लाभ भारत के उपभोक्ताओं को ट्रांसफर नहीं किया गया. डीजल महंगा होने से खेती की लागत 30 प्रतिशत बढ़ गई है इसलिए किसान संगठन आधे दामों पर डीजल देने और खाद देने की मांग कर रहे हैं.
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बता दें कि बुंदेलखंड के इन किसानों की मौत के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी उनके पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए पहुंचीं और उनका दर्द बांटा. इसके बाद प्रियंका गांधी ने मीडिया से बात भी की और किसानों की बदहाली और उनकी बदतर हालात को कैमरे के सामने तक लेकर आईं.
प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीटर अकाउंट से एक एक करके कई ट्वीट्स किए, जिनमें किसानों की बदहाली को सामने लाने का प्रयास किया गया है. साथ ही यह भी कोशिश की गई है कि आम जनता पिछले 11 महीनों से सड़क पर बैठने को मजबूर इन किसानों के आंदोलन को करीब से महसूस कर पाए. यह समझ पाए कि आखिर इनका दर्द क्या है?
कांग्रेस महासचिव के अलावा किसानों के नेता राकेश टिकैत ने भी अपने ट्वीटर अकाउंट से खाद की कमी के कारण अपनी जान गंवाने वाले उन चार किसानों का दर्द सामने लाने की कोशिश की है.
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(यह लेख संयुक्त किसान मोर्चा के नेता, किसान सँघर्ष समिति के अध्यक्ष और पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम से बातचीत पर आधारित है.)