चंपारण से वाराणसी : दवाई-कमाई-पढ़ाई-महंगाई के बारे में अनूठी किसान-यात्रा
प्रोफ़ेसर आनंद कुमार
चंपारण से दो अक्तूबर को एक अनूठी किसान यात्रा का आरम्भ होने की तैयारी है. ओड़िसा के गांधीमार्गी समाजसेवक अक्षय भाई की पहल पर गांधी के पहली पाठशाला के रूप में प्रसिद्ध चंपारण के भिथिहरवा गाँव से कई सौ किसानों का एक जत्था दिल्ली न जाकर वाराणसी की ओर प्रस्थान करेगा, क्योंकि इनका मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसान विरोधी क़ानूनों के बारे में उनकी पिछले कई महीनों की हठधर्मिता की शिकायत वाराणसी के मतदाताओं से करना ज़रूरी हो गया है. आख़िर वाराणसी के लोगों के ही कन्धों पर चढ़कर श्री मोदी दो बार से लोकसभा में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हैं.
लेकिन इस यात्रा का उद्देश्य तीन किसान विरोधी काले क़ानूनों की वापसी से आगे की समस्याओं को सुलझाना भी है. इसीलिए इसे ‘दवाई-कमाई-पढ़ाई-महंगाई’ से जुड़े राष्ट्रीय प्रश्नों का उत्तर तलाशने की ही यात्रा के रूप में संयोजित किया गया है.
अक्षय भाई की सूझबूझ से इस यात्रा के साथ राष्ट्रीय स्तर पर किसान संघर्ष समन्वय समिति का सहयोग है और स्थानीय स्तर पर हर ज़िले के नागरिक संगठनों की साझी स्वागत समितियों का तानाबाना बनाया गया है. इस प्रकार यह यात्रा एक साथ तीन काम करने का आधार बन सकती है –
१) किसान आंदोलन को दवाई-कमाई-पढ़ाई-महंगाई के राष्ट्रीय संकट के समाधान से जोड़ना,
२) बिहार-पूर्वी उत्तर प्रदेश के सरोकारी नागरिकों को किसान आंदोलन से जोड़ना, और
३) सभी लोकसभा सदस्यों को अपने चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं के प्रति जवाबदेह बनाना.
यह ख़ुशी की बात है कि किसान आंदोलन के राष्ट्रीय नेतृत्व के कई प्रमुख व्यक्तियों की २ अक्तूबर को भिथिहरवा गांधी आश्रम में उपस्थिति रहेगी.
इससे गांधी की विरासत का क़िसान आंदोलन से जीवंत संबंध बनेगा. बिहार-पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाँवों के सच का पंजाब-हरियाणा-पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाँवों के सवालों से समन्वय बनेगा. यह भी है कि आत्ममुग्ध सत्तारूढ़ दलों के गठबंधन की आँखें अंबानी-अड़ानी के स्वार्थों से हटकर करोड़ों किसानों की समस्याओं के समाधान की तलाश में जुटेंगी.
इस सामयिक किसान पहल के सूत्रधारों को इस बात की जरूर चिंता है कि यदि योगी आदित्य नाथ की सरकार ने किसानयात्रा को वाराणसी पहुँचने की अनुमति नहीं दी तो क्या होगा?
कोई विवेक विहीन सरकार ही इस तरह के शांतिपूर्ण जनतांत्रिक कार्यक्रम को रोकेगी. लेकिन विनाश के पहले विवेक मर जाता है और कोई भी विनाश की ओर बढ़ रही सरकार द्वारा इस प्रकार का प्रतिबंध लगाना संभव है. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के मौजूदा नायकों को जानना चाहिए कि ऐसी आत्मघाती कोशिश का परिणाम सत्याग्रह भी हो सकता है. फिर साँप-छंछूदर वाले हालात हो जाएँगे – देशभर से जुट रहे गांधी मार्गी किसानों को न निगलते बनेगा, न उगलते बनेगा…
चंपारन के लिए रवाना टोली
विभिन्न स्थानों से किसान और सामाजिक कार्यकर्ता चंपारण के लिए रवाना हो रहे हैं. हम बनारस में कल रात को सर्वोदय मण्डल सर्व सेवा संघ राजघाट में रामधीरज भाई जी के पास पहुँच गये हैं ।उन्हीं के साथ ठहरे हुये है।चम्पारण से शुरू पदयात्री साथी कल मीटिंग के बाद बनारस से मौतीहारी के लिये रवाना होंगे ।
राजकुमार भारत
राष्ट्रीय महासचिव
किसान जागृति सगठन अभियान,