संयुक्त किसान मोर्चा का भारत बंद पर ज्ञापन

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर देश भर के किसानों और मज़दूरों ने देशव्यापी भारत बंद कर ज्ञापन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे.किसानों ने कहा है कि माँगे पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा. जानकारी और यादगार के लिए ज्ञापन प्रकाशित किया जा रहा है. ज्ञापन में तीनों कृषि कानून निरस्त करने, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लेने , पराली कानून,2020 में किसानों को सजा का प्रावधान रद्द करने , सभी कृषि उत्पादों की एम एस पी पर खरीद की कानूनी गारंटी दिलाने आदि माँगे शामिल हैं.

दिनांक- 27/09/2021

माननीयश्री रामनाथ कोविंद जी

भारत के राष्ट्रपति 

 राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली 110004

विषय:- तीनों कृषि कानून निरस्त करने, बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लेने , पराली कानून,2020 में किसानों को सजा का प्रावधान रद्द करने , सभी कृषि उत्पादों की एम एस पी पर खरीद की कानूनी गारंटी दिलाने आदि मांंगों को पूरा करने संबंधी ज्ञापन पत्र।

       माननीय महोदय, 

           आप जानते ही है कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा विगत 10 माह से  किसानों द्वारा   550 किसान संगठनों के   बैनर तले  तीनों कृषि कानून वापस लेने, बिजली संशोधन बिल 2020 रद्द कराने, पराली कानून रद्द कराने, सभी कृषि उत्पादों की एम एस पी पर खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली की बॉर्डरों पर लाखों किसानों  एवं देश भर में करोड़ों किसानों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। आंदोलन के दौरान अब तक  605 से अधिक किसानों की शहादत हो चुकी है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा किसानों की सुनवाई नहीं किए जाने के कारण किसानों द्वारा आज 27 सितम्बर को भारत बंद किया जा रहा है। जिसका देश के अनेक श्रमिक संगठनों ,नागरिक संगठनों 

,जन संगठनों ,महिला ,युवा ,आदिवासी ,दलित और अल्पसंख्यकों के संगठनों ,ट्रांसपोर्ट यूनियनों ,व्यापारी संगठनों द्वारा समर्थन किया जा रहा है।

हम देश के किसानों एवं श्रमिकों की निम्नलिखित मांंगों की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहते है 

(1) किसान, किसानी और गाँव नष्ट करने वाले, खेती को कार्पोरेट के हवाले करने वाले, जनवितरण  प्रणाली को ध्वस्त करने वाले तथा मंडी और एमएसपी व्यवस्था खतम करने वाले ,कंपनियों को अपनी मनमर्ज़ी के मुताबिक किसानों से फसल खरीद और जमीन को लेकर समझौता करने की छूट, व्यापारियों को कृषि उत्पाद की जमाखोरी और मुनाफाखोरी करने  की छूट, किसानों के लिए अदालत का दरवाजा बंद करने वाले किसान विरोधी कानूनों   (1) आवश्यक वस्तु  संशोधन कानून 2020; (2) मंडी समिति एपीएमसी कानून (कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार संवर्धन व सुविधा कानून ) 2020; (3) ठेका खेती  (मूल्य आश्वासन पर बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता कृषि सेवा कानून-2020 को रद्द किया जाए ।

(2)प्रदूषण रोकने की आड़ में किसानों को पराली के निस्तारण का आर्थिक मुआवजा देने की बजाय पराली जलाने पर एक करोड़ रूपये अर्थदंड तथा पांच साल की सजा के प्रावधान वाला नया अध्यादेश वापस लिया जाए।

(3) बिजली का नीजिकरण कर सब्सिडी खतम करने वाला बिजली संशोधन बिल 2020 वापस लिया जाए।

(4) अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा तैयार  लोकसभा और राज्यसभा मे

किसान संगठनों के सांसदों द्वारा  पेश किए गए सभी किसानों की सम्पूर्ण  कर्ज़ा मुक्ति एवम लाभकारी मूल्य गारन्टी  कानून  को संसद में पारित करो।

(5) सभी जरूरतमंदों को निःशुल्क 15 किलो अनाज,1 किलो तेल,1 किलो दाल,1 किलो चीनी  की व्यवस्था करो।

(6) श्रमिकों के 44 श्रम कानून रद्द कर 4 लेबर कोड लागू किये गए है, उन्हें बहाल करो।

लेबर कोड रद्द करो ।मनरेगा में 200 दिन का काम दो। 600 रूपये प्रतिदिन की मजदूरी दो।

(7) किसानों को आधे दाम पर डीजल उपलब्ध कराओ।

(8) अतिवृष्टि और अल्प वृष्टि से नष्ट हुई फसलों का लागत से डेढ़ गुना (सी2+50℅ ) फसल बीमा प्रदान करो तथा गत वर्षों की फसल बीमा राशि का बकाया भुगतान करो।

(9) केंद्र सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य (सी2+50℅) की दर पर  सभी फसलों की खरीद सुनिश्चित करो ।

         अनुरोध  है कि आप  संसदीय प्रणाली के सर्वोच्च पद पर आसीन होने के नाते राष्ट्रहित में किसानों की भावनाओं और आवश्यकताओं को देखते हुए साथ ही साथ नागरिकों के 

संवेधानिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए

 उक्त मांगों के निराकरण हेतु सरकार को सलाह दें तथा संसद का विशेष सत्र बुलाकर 3 कानूनो को रद्द  कराने के लिए सरकार को परामर्श देंगे ।

         भवदीय

किसान सँघर्ष समिति

संलग्न संयुक्त किसान मोर्चा 

– जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय – अखिल भारतीय किसान सँघर्ष समन्वय समिति

प्रतिलिपि:-

1 मान. प्रधानमंत्री ,भारत सरकार ,नई दिल्ली 

2  मान. कृषिमंत्री , भारत सरकार ,नई दिल्ली

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