पत्रकारिता के देवता कौन हैं?

कस्मै देवाय हविषा विधेम 

चंद्र विजय चतुर्वेदी

डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी ,प्रयागराज , मुंबई से 

आज पत्रकारिता दिवस है। लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राज्य को सतत कल्याण की ओर उन्मुख करते रहने तथा समाज को जीवंत बनाये रखने में ,पत्रकारिता का महती योगदान रहा है। इस देश में पत्रकारिता की एक उदात्त परम्परा रही है। 

आजादी के संघर्ष के दौरान बहुत से पत्रकारों ने कष्ट झेलते हुए प्रताड़ना की परवाह न करते हुए अपने समक्ष ,कस्मै देवाय हविषा विधेम को स्पष्ट रखते हुए पत्रकारिता के धर्म का पालन हर कीमत पर किया। अपना हवि उस देवता को समर्पित किया जो जनता जनार्दन के रूप में रूढ़ियों तथा गुलामी के जंजीरों में जकड़ा शोषित आक्रांत त्राहि- त्राहि कर रहा था। पत्रकारिता ने अपना हवि ,करुणा ,संवेदना ,चेतना और मानवीय मूल्य को समर्पित किया। 

   

आजादी के बाद भी नवनिर्माण के चुनौती काल में पत्रकारिता ने निश्चय ही सराहनीय भूमिका निवाही। विचारों की प्रतिबद्धता को स्वस्थ रूप से मुखरित किया। असहमति में सहमति की भूमिका स्पष्ट की तथा आगाह करने के कर्तव्य से विमुख नहीं हुआ। अभिव्यक्ति और चिंतन की स्वस्थ परम्परा विकसित  की। 

     पर क्या यह क्रूर सत्य नहीं है की सामाजिक मूल्यों के ह्रास तथा सत्ता के राजनीतिककरण में प्रभावी हो रहे धनबली ,बाहुबली ,जातिबली , सम्प्रदायबली ताकतों के गठजोड़ में एक नई ताकत पत्रकारबली भी उभर रही है जिससे पत्रकारिता का जगत धीरे धीरे संक्रमित होता जा रहा है और पत्रकार जगत का हवि जनता जनार्दन को न मिलकर गढ़े जा रहे नए नए देवता हड़प ले जा रहे हैं ?

    आज जब यह देश एक गंभीर त्रासदमय संक्रमण काल से गुजर रहा है सचेत पत्रकारिता जगत को उद्घोष करना होगा कि  ,कस्मै देवाय हविषा विधेम , उसके देवता कौन हैं ? जनता जनार्दन की करुणा ,प्रतारणा शोषण के प्रति संवेदनशीलता ,मानवीय मूल्य ,जनचेतना या वाग्विलास ,बकवास ,मूल्यों का हनन ,सत्ता के साथ गठजोड़ और समाज में झूठ सच के विषबेल का रोपण। 

  इस विशिष्ट वर्ष २०२० को पत्रकारिता जगत को बड़ी आशाएं हैं विश्वास  है की पत्रकारिता जगत का हवि जनता जनार्दन को ही समर्पित होगा ,यस्यासौ पन्था रजसो विमानः कस्मै देवाय हविषा विधेम। 

Leave a Reply

Your email address will not be published.

5 × 3 =

Related Articles

Back to top button