संसद में पत्रकारों के प्रवेश पर रोक के खिलाफ आज दोपहर एक बजे पत्रकारों का संसद मार्च!
संसद के स्थायी पास धारक पत्रकारों के संसद परिसर तथा दोनों सदनों की प्रेस गैलरी में प्रवेश की मांग कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने उनके प्रवेश पर रोक लगा दी है और केवल चुनिंदा लोगों को अनुमति दे रही है।
देश के जाने माने संपादक, पत्रकार फोटो जर्नलिस्ट और संसद के दोनों सदनों को कवर करने वाले रिपोर्टर अपनी मांगों को लेकर आज गुरुवार दोपहर एक बजे प्रेस क्लब ऑफ इंडिया से संसद तक विरोध प्रदर्शन और मार्च करेंगे।
संसद के स्थायी पास धारक पत्रकारों के संसद परिसर तथा दोनों सदनों की प्रेस गैलरी में प्रवेश की मांग कर रहे हैं क्योंकि सरकार ने उनके प्रवेश पर रोक लगा दी है और केवल चुनिंदा लोगों को अनुमति दे रही है।
पत्रकारगण आज लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को इस बारे में एक ज्ञापन भी देंगे और अपनी मांग रखेंगे।
सभी संपादकों, ब्यूरो चीफ, पत्रकारों, संवाददाताओं और प्रेस छायाकारों से अपील है कि वे अधिक से अधिक संख्या में आकर इस मार्च को सफल बनायें ताकि सरकार पर दवाब डाला जा सके और हमें हमारा अधिकार मिले।लोकतंत्र को मजबूत बनाने और प्रेस की स्वतंत्रता के लिए पत्रकारों को संसद कवर करने का अवसर पहले की तरह मिले।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, प्रेस एसोसिएशन, इंडियन वोमेन्स प्रेस कोर दिल्ली पत्रकार संघ और वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन की मांगें इस प्रकार हैं…
- जिन पत्रकारों के पास स्थायी पास है, उन्हें संसद परिसर तथा राज्यसभा और लोकसभा की पत्रकार दीर्घा में प्रवेश की अनुमति दी जाए ताकि वे पहले की तरह सदन की कार्यवाही नियमित रूप से कवर कर सकें।
- जुलाई में लोकसभा अध्यक्ष ने यह निर्णय लिया था कि स्थायी पास धारकों को संसद कवर करने के लिए पत्रकार दीर्घा के पास पहले की तरह बनेंगे, उस फैसले को लागू किया जाय।
- संसद के सेंट्रल हाल के पास बनने पर जो पाबंदी लगी है, उसे हटाकर पहले की तरह नए पास बनाए जाएं। वरिष्ठ पत्रकारों की लंबी सेवाओं को देखते हुए इस सुविधा को बहाल किया जाए।
- दीर्घावधि समय तक संसद कवर करनेवाले पत्रकारों के विशेष स्थायी पास फिर से पहले की तरह बनें, जो उनके पेशे की गरिमा और सम्मान के अनुरूप है। फिलहाल सरकार ने इस पर भी रोक लगा रखी है।
- जिन पत्रकारों को सत्र की पूरी अवधि के लिए जो पास बनते थे, पहले की तरह उनके पास बनाए जाएं ताकि वे सदन की कार्यवाही कवर कर सकें क्योंकि सरकार द्वारा पत्रकारों के प्रवेश पर रोक लगने से उनकी नौकरी और सेवा पर भी असर पड़ा है जिससे उन्हें छंटनी का भी सामना करना पड़ा है।
- दोनों सदनों की प्रेस सलाहकार समितियों का नए सिरे से गठन हो क्योंकि दो साल के बाद भी उनका गठन नहीं हुआ।