कृष्ण जन्मभूमि विवाद में नया केस दायर, रिकॉर्ड तलब, 16 को सुनवाई
श्रीकृष्ण विराजमान बने पक्षकार; याचिका में कहा- जहां मस्जिद, वहीं कृष्ण का जन्मस्थान
मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि विवाद में स्थानीय जिला जज की अदालत में अब एक नया केस दाखिल हुआ है।
याचिका में 13.37 एकड़ जमीन पर दावा करते हुए मालिकाना हक मांगा गया है। इसके साथ ही शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग की गई है।
यह केस भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से वकील रंजना अग्निहोत्री और 6 अन्य भक्तों ने सोमवार को दायर किया।
अदालत ने दो घंटे वकीलों की दलीलें सुनीं, मामले अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी।
इससे पूर्व, इससे पहले 25 सितंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी।
इस पर 30 सितंबर को सुनवाई के बाद सिविल कोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया था।
श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि जिस जगह पर शाही ईदगाह मस्जिद खड़ी है, उस जगह कारागार था, जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि अदालत ने हर पहलू को सुना और समझा है और लोअर कोर्ट का रिकॉर्ड तलब किया है।
उन्होंने कहा कि 1968 में हुआ समझौता एक फ्रॉड था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि का एक अच्छा खासा भूभाग मस्जिद ट्रस्ट को दे दिया गया, जो हिंदू हितों के खिलाफ था।
1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट बनाकर यह तय किया गया कि वहां दोबारा भव्य मंदिर का निर्माण होगा और ट्रस्ट उसका प्रबंधन करेगा।
इसके बाद 1958 में श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन किया गया था।
कानूनी तौर पर इस संस्था को जमीन पर मालिकाना हक हासिल नहीं था, लेकिन इसने ट्रस्ट के लिए तय सारी भूमिकाएं निभानी शुरू कर दीं।
इस संस्था ने 1964 में पूरी जमीन पर नियंत्रण के लिए एक सिविल केस दायर किया, लेकिन 1968 में खुद ही मुस्लिम पक्ष के साथ समझौता कर लिया।
इसके तहत मुस्लिम पक्ष ने मंदिर के लिए अपने कब्जे की कुछ जगह छोड़ी और उन्हें (मुस्लिम पक्ष को) उसके बदले पास की जगह दे दी गई।