केंद्र सरकार का बजट 2021-22 आम लोगों को निराश करने वाला

बजट 2021 में कृषि मंत्रालय को 10000 करोड़ रुपए कम

केंद्र सरकार का बजट 2021 आम लोगों को निराश करने वाला है. अर्थशास्त्री प्रोफ़ेसर अमिताभ शुक्ल का यह विश्लेषण.

भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित तीन महत्वपूर्ण खबरों के मध्य वर्ष 2021 – 22 का सरकार का बजट प्रस्तुत हुआ है .

प्रथम , वर्तमान में भारत में भ्रष्टाचार में अत्यधिक वृद्धि हुई है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के भ्रष्टाचार इंडेक्स में पिछले वर्षों में वृद्धि होना.

द्वितीय – लोकतंत्र में गिरावट आना ( वर्ष 2019 के 6.9 के स्कोर से वर्ष 2020 में 6 . 61 पर आ जाना )

तृतीय : पिछले एक वर्ष की अवधि में संपत्ति के केंद्रीकरण में वृद्धि होना ( ऑक्सफैम के अनुसार विगत 9 माह की अवधि में भारत में सबसे अमीर व्यक्तियों द्वारा 13 लाख करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति अर्जित की गई है) .

अर्थशास्त्रीय दृष्टि से और अर्थशास्त्र के मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार बजट आर्थिक नीतियों का निर्धारण करता है एवं उसके अनुसार अर्थव्यवस्था की प्राथमिकताएं और दिशा तय होती हैं. इनसे आर्थिक – विकास का स्तर प्रभावित एवम् निर्धारित होता है. इस बुनियादी तत्व का अभाव होने पर एक आम व्यक्ति के पारिवारिक बजट और शासकीय बजट में कोई विशेष अंतर नहीं होता .

यह अंतर अवश्य होता है कि, सरकार के बजट के द्वारा जो प्राथमिकताएं और निवेश निर्धारित होता है , वह संपूर्ण देश की अर्थव्यवस्था , जनसंख्या और उनके जीवन स्तर को प्रभावित करता है.

इन संदर्भों में यह बजट जो कि कुल आवंटन का 23.25 प्रतिशत हिस्सा अर्थात 8.09 लाख करोड़ रुपए पूर्व की देनदारी के ब्याज भुगतान पर आवंटित करता है , जिसमें 15.7 लाख करोड रुपए का राजकोषीय घाटा घोषित किया जाता है , जो कि कुल जीडीपी का 6.76% है से 140 करोड़ जनसंख्या के विकास एवं जीवन स्तर में वृद्धि की क्या उम्मीद की जा सकती है ?

ऑल्ट=बजट 2021-22: बजट - विश्लेषण
बजट 2021-22: बजट – विश्लेषण

बजट 2021-22: विश्लेषण

बजट 2021-22: कोरोना त्रासदी से सर्वाधिक प्रभावित सर्वाधिक गरीब जनता के लिए जीवन यापन के लिए रोजगार की किरण महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना मनरेगा में 38, 000 करोड रुपए की कटौती हुई. स्वास्थ्य सेवाओं और वेल बीइंग के लिए बजट में मात्र 2.3% की वृद्धि ,

बहु प्रचारित आयुष्मान भारत योजना का बजट यथावत 6,400 करोड रुपए रहना ,

देश की वर्तमान की एक सबसे बड़ी समस्या रोजगार के अभाव के संदर्भ में और कोरोना त्रासदी से प्रभावित होकर करोडों लोगों के रोजगार छूटने और करोड़ों शिक्षित बेरोजगारों के रोजगार से वंचित होने पर भी रोजगार सृजित करने अथवा प्रदान करने के लिए कोई महत्वपूर्ण , उल्लेखनीय और क्रांतिकारी प्रावधान न होना आदि.

ये कारण इस वैश्विक त्रासदी के बाद प्रस्तुत किए गए बजट को अत्यंत सामान्य और निराशाजनक प्रतिपादित करते हैं.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट में जो वृद्धि की गई है वह मुख्यत: अधिसंरचनात्मक सुविधाओं की मद में है , अत: आम आदमी को प्राप्त होने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में वृद्धि प्राप्त होने की कोई सकारात्मक स्थितियां निर्मित नहीं होती .

देश के विकास को ठोस और दीर्घकालीन दिशा देने वाली शिक्षा पर बजट आवंटन में 6.13% की कमी ( विगत वर्ष के 99, 312 करोड़ रुपए से घटा कर 93, 222 करोड रुपए ) खेद जनक है .

बालिकाओं की शिक्षा पर भी व्यय बढ़ाया जाना चाहिए था , लेकिन वह भी कम ही रहा है .

निजीकरण बढ़ाते जाने की योजना के अंतर्गत अधिसंरचनात्मक क्षेत्र के लिए राशि जुटाने के लिए सरकारी संपत्तियों को बेचने की घोषणा भी इस बजट में करते हुए निजीकरण को बढ़ाते जाने की प्राथमिकता तय हुई है.

पारिवारिक बजट मैनेजमेंट कैसे करें ?(Opens in a new browser tab)

बजट में कृषि मंत्रालय को 10000 करोड़ रुपए कम.

कृषि मंत्रालय को आगामी वित्त वर्ष के लिए आवंटित राशि 1, 31, 530 करोड रुपए इस वर्ष के बजट अनुमान 1,41,761 करोड रुपए की तुलना में 10, 000 करोड़ रुपए कम है.

कृषि मंत्रालय की सबसे बड़ी योजना ” पी – एम किसान ” में बजट आवंटन विगत वर्ष की तुलना में 75, 000 करोड़ रुपए से घटाकर 65, 000 करोड़ रुपए किया गया है .

इस प्रकार , संक्षेप में शिक्षा ,स्वास्थ्य ,कृषि और रोजगार जो कि अर्थव्यवस्था के सर्वाधिक महत्वपूर्ण आयाम हैं एवं देश की अधिसंख्य जनता के जीवन – स्तर को प्रभावित करते हैं के संदर्भ में कोई उल्लेखनीय प्रावधान न करते हुए यह बजट आम लोगों के लिए निराश करने वाला प्रतीत होता है.

अमिताभ शुक्ल

अर्थशास्त्री प्रो. अमिताभ शुक्ल विगत चार दशकों से शोध , अध्यापन और लेखन में रत हैं. सागर विश्वविद्यालय ( वर्तमान डॉक्टर हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय ) से डॉक्टरेट कर अध्यापन और शोध प्रारंभ किया और भारत और विश्व के अनेकों देशों में अर्थशास्त्र और प्रबन्ध के संस्थानों में प्रोफेसर और निर्देशक के रूप में कार्य किया. हाल ही में विश्वव्यापी कोरो ना – त्रासदी पर आपका एक काव्य – संग्रह ” त्रासदियों का दौर ” और एक विश्लेषण पूर्ण किताब ” वैश्विक त्रासदी: भारत पर आर्थिक एवं सामाजिक प्रभाव “
प्रकाशित हुईं हैं . ई मेल: amirabhshuk@gmail.com

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