प्रमुख खबरें
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गांधीवादी या मार्क्सवादी होना नादानी है
, आठ राज्यों में एक साथ कांग्रेससत्ता से बाहर हुई। भाषा, समानता, सादगी, बड़े लोगों कीआय और खर्च पर पाबंदी जैसी सोशलिस्ट पार्टी की नीतियों को जनता से प्रबल समर्थन मिला था।
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गांधी के बाद आज लोहिया ही सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं
लोहियावादियों के बारे में वह जुमला ही चल पड़ा कि वे दल तोड़क होते हैं. खंड-खंड में बंटने को अभिशप्त,…
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लखनऊ सैन्य साहित्य सम्मेलन में 1962 के भारत-चीन युद्ध की याद
लखनऊ सैन्य साहित्य सम्मेलन "1962 के युद्ध की कुछ अनसुनी और अनकही बातें" पर चर्चा के दौरान, सत्य घटनाओं पर…
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मोरारजी भाई ने कहा कि जेपी मसीहा बनना चाहते हैं
जेपी की मृत्यु के समय चौधरी चरण सिंह कार्यवाहक प्रधानमंत्री थे. जेपी का शव श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल के बरामदे में…
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Making sense of the life-journey of Jayaprakash Narayan
In the evening of his life, students and youth conveyed their admiration during by calling him ‘Loknayak’. It is due…
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जब धर्म और राजनीति मिल जाती है, तब चारों ओर विकृति ही फैलाती है
अफ़ग़ानिस्तान के कुंदूज़ में शुक्रवार को नमाज़ अदा करने के समय आत्मघाती हमले में सौ लोग मारे गये और 150…
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लोकनायक जयप्रकाश नारायण – की श्रद्धांजलि सभा में डाकू! नहीं, बागी!!
आठ अक्टूबर को जेपी का निधन हुआ. नौ अक्टूबर को अंत्येष्टि हो गयी. परंपरागत हिंदू रिवाजों के तहत. इस पर…
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समय और ऊर्जा प्रबंधन Time & Energy Management
We will try to understand the importance of not only time but energy management and will seek the cues to…
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लखीमपुर हिंसा मामला: क्या न्याय के लिए पर्याप्त है आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी?
शुक्रवार को गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी ने कहा था कि तबीयत खराब होने की वजह से उनका बेटा अब…
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अचानक नहीं उत्पन्न हुआ है कोयला संकट, इसके चलते चरमरा सकती है देश की बिजली व्यवस्था
जुलाई-अगस्त-सितंबर के महीने वर्षा के महीने होते हैं, जब कोयला खदानों में कोयला गीला हो जाता है और कई खदानों…
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