बिजली इंजीनियर फेडरेशन की मांग, फर्जीवाड़ा रोकने को CAG Audit जरूरी

ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन का केंद्रीय विद्युत मंत्री को पत्र

बिजली इंजीनियर फेडरेशन की मांग है कि निजी बिजली उत्पादन घरों का सीएजी आडिट व एनर्जी ऑडिट किया जाये, जिससे पता चल सके कि वास्तव में कितना आयातित कोयला ब्लेंड किया गया. बिजली इंजीनियर फेडरेशन की मांग है कि कोल इण्डिया को निर्देश दिए जाएँ कि बिजली घरों को पूर्वानुमानित मांग के अनुसार समय से कोयला मिल सके और भविष्य में 2021 जैसा संकट न उत्पन्न हो.

शैलेन्द्र दुबे

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह को पत्र भेजकर इम्पोर्टेड कोयला इस्तेमाल करने की विद्युत मंत्रालय द्वारा दी गई अनुमति के सन्दर्भ में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि 15 प्रतिशत आयातित कोयला प्रयोग करने की अनुमति देने से बिजली उत्पादन की लागत में कम से कम रु 01.15 प्रति यूनिट की बढ़ोत्तरी होगी.

फेडरेशन ने निजी घरानों का फर्जीवाड़ा रोकने हेतु मांग की है कि निजी बिजली उत्पादन घरों का सीएजी आडिट व एनर्जी ऑडिट किया जाये, जिससे पता चल सके कि वास्तव में कितना आयातित कोयला ब्लेंड किया गया. 

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने केंद्रीय विद्युत मंत्री को प्रेषित पत्र में आंकड़े देकर बताया है कि दक्षिण अफ्रीका से आने वाले 5500 केलोरिफिक वैल्यू के आयातित कोयले की कीमत 22205 रु प्रति टन है और इण्डोनेशिया से आयातित 5000 केलोरिफिक वैल्यू के कोयले की कीमत 21720 रु प्रति टन है जबकि 4000 केलोरिफिक वैल्यू के भारतीय कोयले की कीमत 5150 रु प्रति टन है, जो आयातित कोयले की कीमत के एक चौथाई से भी कम है.

स्पष्ट है कि आयातित कोयले की अनुमति देने से बिजली उत्पादन की लागत तो बढ़ेगी ही, निजी घरानों को भारी फर्जीवाड़ा करने का मौका मिलेगा क्योंकि वे सीएजी आडिट व एनर्जी ऑडिट के दायरे में नहीं आते हैं. उल्लेखनीय है कि आयातित कोयले के नाम पर चल रहे अदानी व कई अन्य निजी घरानों के फर्जीवाड़े की डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेन्स पहले ही जांच कर रहा है. 

यह भी पढ़ें :

अचानक नहीं उत्पन्न हुआ है कोयला संकट, इसके चलते चरमरा सकती है देश की बिजली व्यवस्था

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के पत्र में गणना करके बताया गया है कि भारतीय कोयला प्रयोग करने पर एक यूनिट बिजली बनाने में लगभग रु 03.22 का कोयला खर्च आता है जबकि 15% आयातित कोयला ब्लेन्ड करने पर कोयले का खर्च बढ़कर रु 04.37 प्रति यूनिट आएगा. इस प्रकार प्रति यूनिट बिजली उत्पादन में कोयले की कीमत में ही कम से कम रु 01.15 की बढ़ोत्तरी हो जाएगी. पहले से ही भारी वित्तीय संकट झेल रही बिजली वितरण कम्पनियाँ इस मार से और अधिक बदहाली में चली जाएंगी. 

यह भी पढ़ें :

कोयले की कमी से देश में गहराता जा रहा है बिजली संकट, अंधेरे में डूब सकता है भारत

बिजली इंजीनियर फेडरेशन की मांग यह भी है कि केवल आयातित कोयले से चलने वाले 17000 मेगावाट के ताप बिजली घरों को निर्देश दिए जाएँ कि वे अपने बिजली घरों को पूरी क्षमता पर चलाएं और कोयले से उत्पन्न बिजली संकट के दौर में अपने बिजली घर बंद कर संकट और न बढ़ाएं. खासकर गुजरात में टाटा के मूंदड़ा स्थित बिजली घर और राजस्थान में अदानी के कवाई बिजली घर को पूरी क्षमता पर चलाने के निर्देश दिए जाएँ. उल्लेखनीय है कि संकट के इस दौर में एक ओर इन्होंने अपने बिजली घरों को बंद कर दिया या उत्पादन घटा दिया और दूसरी ओर एनर्जी एक्सचेंज में अन्य श्रोतों व उत्पादन घरों से उत्पादित बिजली इन्हीं घरानों ने 20 रू प्रति यूनिट तक बेच कर लूट की. 

यह भी पढ़ें :

कोयला और बिजली संकट की हो जांच, उच्चस्तरीय तकनीकी कमेटी बनाने की मांग

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने यह भी मांग की है कि कोल इण्डिया को निर्देश दिए जाएँ कि बिजली घरों को पूर्वानुमानित मांग के अनुसार समय से कोयला मिल सके और भविष्य में 2021 जैसा संकट न उत्पन्न हो. 

(लेखक शैलेन्द्र दुबे, ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published.

9 + five =

Related Articles

Back to top button