शांति सेना  का राष्ट्रीय  शिविर सम्पन्न 


गांधी भविष्य की उम्मीद हैं –  सुजाता 

गांधी विचार ( शांति सेना ) का राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर 24  से 27 नवंबर,  2024 को  श्री साई आई टी आई मालीघाट, मुजफ्फरपुर में सफलता पूर्वक संपन्न हो गया ।  इस शिविर में सात राज्यों के लोगों ने भाग लिया।

 शिविर का उद्घाटन वरिष्ठ गांधीवादी एवं सर्व सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री अमरनाथ भाई ने किया।  शिविर में वरिष्ठ गांधीवादी एवं गांधी स्मारक निधि प्राकृतिक चिकित्सा समिति के सचिव तथा प्राकृतिक चिकित्सा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ  सच्चिदानंद,  गांधी स्मारक निधि के मंत्री संजय सिंह,  वरिष्ठ लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ सुजाता चौधरी ,  युवा संवाद के संपादक एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ ए के अरुण, सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठा के साधक एवं विश्व  शांति यात्री जालंधर नाथ, विश्व  मानव सेवा आश्रम  के  वरिष्ठ गांधी मार्गी शत्रुघ्न झा , वरिष्ठ सर्वोदय नेत्री जागृति  राही  और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता वीरेंद्र क्रांतिकारी आदि मार्गदर्शन के लिए शामिल हुए।  

अपने उद्घाटन भाषण में अमरनाथ भाई ने कहा कि आज की समस्याओं की जड़ आधुनिक सभ्यता और उसके नियामक मूल्यों में है । गांधी जैसा अहिंसक व्यक्ति,  जो यह मानते थे उनका कोई दुश्मन नहीं है,  ने कहा कि  वे  इस सभ्यता के कट्टर दुश्मन है । उन्होंने  हिंद स्वराज्य में  आधुनिक सभ्यता  की कठोर टिप्पणी की  और वैकल्पिक सभ्यता की बात की।  महान चिंतक एवं लेखक लियो  टॉल्स्टॉय ने  हिन्द स्वराज्य के बारे में कहा  कि यह  किताब तो पूरे विश्व के स्वराज्य  के  लिए है,  इसका नाम हिंद स्वराज क्यों रखा?  गांधी विचार खंड का चिंतन नहीं है,  पूर्ण का चिंतन गांधी है ।  उन्होंने कहा आज देश और दुनिया की तीन  प्रमुख समस्याएं हैं ।  इसका समाधान नहीं हुआ तो पूरी सभ्यता संकट में पड़ जाएगी।  पहला आर्थिक  असमानता , गरीबी,  बेरोजगार का प्रश्न दूसरा पर्यावरण का संकट और तीसरा शांति का सवाल,  हिंसा , आतंकवाद एवं युद्ध से निजात का प्रश्न।  इन तीनों समस्याओं का हल गांधी विचार में है।  गांधी विश्व की  उम्मीद और  भविष्य  की आशा हैं। इसलिए गांधी विचार को बचाएं और बढ़ाएं । 

वरिष्ठ लेखिका एवं उद्घाटन सत्र की मुख्य अतिथि डॉ  सुजाता चौधरी ने कहा कि यह समझना जरूरी है कि गांधी विचार जन जन तक पहुंचाना क्यों आवश्यक है । महिलाओं के उत्थान के लिए गांधी जी का योगदान अद्वितीय है । गांधी के  कारण ही  आज महिलाएं हर क्षेत्र  में नेतृत्व की भूमिका में हैं। आजादी के बाद एकदम दृश्य बदल गया।  गांधीजी जार्ज  बेनार्ड शाॅ से मिले थे।जब लोगों ने  जार्ज  बेनार्ड शाॅ  से गांधी के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा तलहठी में खड़ा व्यक्ति हिमालय की ऊंचाई को कैसे माप सकता है।  आज देश में उनको लेकर कितने तरह की बात फैलाई जा रही है।  जब पंडित नेहरू से अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी ने पूछा आपके गुरु जी के मुख्य गुण क्या थे, तो जवाहरलाल ने कहा निर्भयता । निर्भयता का अर्थ है न किसी से डरना न किसी को डराना।  गांधी ने पूरे देश को अंग्रेजों के आतंक से अहिंसा के बल पर निर्भय कर दिया । ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में विद्वानों की एक बैठक में गांधी जी ने  भाग लिया था। बैठक के अध्यक्ष से जब गांधी के बारे में पूछा गया तो  उन्होंने कहा कि अब  मुझे पता चल गया कि सुकरात को क्यों जहर दिया गया था । मेरे सब प्रश्नों का जवाब उनके पास था , लेकिन उनके एक भी प्रश्न का जवाब हमारे पास नहीं था।  ऐसा कोई विचार गांधी के मन में नहीं आया जो उन्होंने  चाहा नहीं , सत्य उन्हें सहजता से मिला था।  ईश्वर के प्रति उनका समर्पण अद्वितीय था । वे  ईश्वर की बनाई चीजों में ईश्वर के दर्शन करते थे । हिंसा के विचारधारा को हमेशा के लिए चला जाना चाहिए । बचपन में गांधी जी ने अपनी गलतियों से सीखा।  मन में बुरा विचार लाना हिंसा है । गांधी ने श्रम को प्रतिष्ठित किया । आज शारीरिक श्रम को अप्रतिष्ठित कर दिया गया है । गांधी के लिए स्वदेशी का मतलब पड़ोसी से प्यार था।  अस्पृश्यता आज  अप्रसांगिक हो गई है । फ्रांस के प्रसिद्ध दार्शनिक विद्वान ने रोमा रोला ने उन्हें दूसरा क्राइस्ट कहा था । गांधी हमेशा प्रासंगिक रहेंगे । 

उद्घाटन सत्य की अध्यक्षता सर्वोदय नेत्री  जागृति रही ने किया । उन्होंने कहा इस देश को युवाओं की आवश्यकता है । आज की व्यवस्था युवाओं का भविष्य खराब कर रही है।  युवाओं का भविष्य असुरक्षित है।  रचना और संघर्ष दोनों की आवश्यकता है । उन्होंने कहा शांति सेना को अपना दस्ता बनाना चाहिए । उनका अपना सेवा क्षेत्र होना चाहिए।  कोई न कोई  हुनर उनके पास होना चाहिए । लोकतंत्र को बचाने के लिए काम करना चाहिए । मतदाता रजिस्टर बनाना चाहिए।  महीने में एक बार बैठक होनी चाहिए। डॉ विजय कुमार जायसवाल ने कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों एवं शिविर में भाग लेने वाले सभी लोगों का स्वागत किया। सभी अतिथियों को खादी  के अंग वस्त्र से सम्मानित किया गया। उद्घाटन सत्र में अनिल प्रकाश एवं प्रभात कुमार ने भी  अपने विचार रखे।

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य एवं विश्व शांति विषय पर डॉ  ए के  अरुण ने कहा की हिंसा हो रही है और  हम चुप है तो हम हिंसा में शामिल । दुनिया भर में युद्ध की स्थिति । बाजार अपने आप में एक साजिश है । इसका उद्देश्य मुनाफा कमाना है । हमारे दिमाग को नियंत्रित करने का काम बाजार कर रहा है। यह  आपके सोचने , समझने की क्षमता खत्म कर रहा  है।  डिजिटल अरेस्ट इसका एक  उदाहरण है । इस तरह की तमाम चीज हो रही है।  नए तरह की सांस्कृतिक , आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति है।  गांधी  ने कहा कि हिंसा के बीज पहले मन में उत्पन्न होते हैं,  फिर वाणी और काम द्वारा व्यक्त होते हैं । हिंसा के बीज  मन में उत्पन्न न हो,  इसलिए उन्होंने मन  के संयम  की बात की।  कार्यक्रम की अध्यक्षता अमरनाथ भाई ने की।  उन्होंने कहा हम इस चक्रव्यूह से कैसे बचे?  हमें इसका विकल्प  खड़ा  करना होगा।  बाजार से मुक्ति कैसे मिले यह आज एक बड़ा सवाल  है। 

संजय सिंह , सचिव , गांधी स्मारक निधि , राजघाट नई दिल्ली ने कहा की गांधी ने सत्याग्रह इसलिए किया कि लोकतंत्र मजबूत हो। आज लोकतंत्र कुछ पूंजीपतियों के हाथों में है ।  हम तकनीक को नियंत्रित नहीं रख पाएंगे । अच्छा दिमाग,  अच्छा बुद्धि गलत कामों में लगा हुआ है । मनुष्य में लक्ष्य होना चाहिए।  सत्याग्रह एक प्रक्रिया है।  सत्य को समझना  होगा। सत्याग्रह की प्रक्रिया होती है।  निरीक्षक,  परिक्षण  और निष्कर्ष । सत्याग्रही  बनना आसान नहीं है।  लालच और भय  दोनों से मुक्त होना सत्याग्रह के लिए आवश्यक है । अहिंसा यानी प्रेम।  गांधी के साथ गरीब ,  साधारण लोग जुड़े थे । स्वयं के साथ निरंतर संघर्ष,  नैतिक शक्ति को जगाना है  और धीरे-धीरे अपनी ताकत बढ़ाना है।

अमरनाथ भाई ने कहा कि भूदान  ग्रामदान आंदोलन के दौरान शांति सेना का कार्य शुरू हुआ। मंगरोठ  पहला ग्राम दानी गांव बना।  ग्राम दान में पूरा गांव उसका सदस्य होगा।  गांव के सभी  वयस्क लोग उसके सदस्य होते हैं। सब आपस में मिलकर गांव के बारे में सोचते हैं।  सब  फैसला सर्व सम्मति  से करते हैं।  कोझीकोड,  केरल से शांति सेना का कार्य  केल्लपन जी के नेतृत्व में  शुरू हुआ। शांति सेना  सेवा की सेना है।  विशेष परिस्थिति में  यह  शांति सेना है।  शांति सैनिक को सत्य ,अहिंसा,  अपरिग्रह आदि एकादश व्रत को तथा संभव पालन करना चाहिए।  उन्होंने गांधी की आत्मकथा पढ़ने का सुझाव दिया।  सत्य हरिश्चन्द्र नाटक से गांधी के जीवन में बदलाव शुरू हुआ।  वह मोहन से महात्मा बन गए । गांधी सबसे बड़े  सत्य के उदाहरण है।   तुलसी ने कहा परहित  सरिस धर्म नहीं भाई । दूसरों की भलाई करना धर्म है।  आज धर्म के नाम पर अधर्म हो रहा है। हिंदू धर्म का सार ज्ञान है।  

स्वस्थ रहे रोग से बचें विषय पर डॉ  सच्चिदानंद ने कहा कि गांधी की आत्मकथा , मंगल प्रभात , हिंद स्वराज पढ़ना चाहिए । जीवन में संयम,  सादगी,  स्वदेशी और स्वावलंबन आना चाहिए।  बीमारी हमारी भूलों का परिणाम है।  प्राकृतिक चिकित्सा एक जीवन शैली है।  हम  जीवन शैली को प्रकृति के अनुरूप कर ले,   तो  स्वस्थ रहेंगे । पंचभूत मिट्टी , पानी , अग्नि , वायु  और आकाश से हमारा निर्माण हुआ है। आयुर्वेद एवं प्रकृति चिकित्सा  दोनों में संयम की बात है।  आहार संतुलित होना चाहिए । आहार औषधि है और उपवास महा औषधि । मनुष्य ने स्वास्थ्य एवं धर्म को साथ-साथ जोड़ा था । संतुलित आहार,  संतुलित श्रम,  संतुलित विश्राम,  संतुलित सफाई , उपयोगी वस्त्र एवं आवास इनको समझ कर जीवन को व्यवस्थित कर ले । आहार को उम्र एवं कार्य के अनुसार व्यवस्थित करना पड़ेगा।  प्रोटीन टूटी फूटी की मरम्मत करता है।  40 साल तक शरीर का विकास होता है । जब भूख लगे तभी भोजन करना चाहिए। भोजन में अम्लीय एवं  क्षारीय पदार्थ  का  अनुपात 20 और 80 का  होना चाहिए । लेकिन आज होता उल्टा है।  आज 20% क्षारीय एवं 80% अम्लीय   पदार्थ हम  भोजन में शामिल करते हैं। भोजन में  एक तिहाई भाग कच्चा  होना चाहिए।  भोजन में एक तिहाई सलाद,  एक तिहाई सब्जी और एक तिहाई अन्न होना चाहिए।मौसम के हिसाब से भोजन होना चाहिए । 

 डॉ ए के अरुण ने प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया उन्होंने सीपीआर,  जालना , डूबना आदि में प्राथमिक उपचार के तरीके बताएं जिसे शिविरार्थियों ने बहुत पसंद किया । 

शत्रुघ्न झा ने कहा कि घर-घर में शांति सेना होना चाहिए । अपने-अपने जगह शांतिसेनिक  बनें।  समाज में जाति धर्म की दीवार तोड़े।  प्रेम फैलाए । व्यसन से मुक्ति और मोबाइल छोड़ें। 

वीरेंद्र क्रांतिकारी  ने कहा चेहरा बनाना होगा।  परिवार में झगड़ा है ,उसे कैसे हल करें?  मनुष्य आर्थिक प्राणी है । जितनी भी घटनाएं हो रही है उस पर ध्यान देना होगा।  10-20 युवाओं को प्रशिक्षण देकर काम शुरू करना होगा।  प्रयोग लोगों द्वारा ही हो।   जालंधर नाथ ने गीतों का प्रशिक्षण दिया । उन्होंने  दक्षिण अफ्रीका,  पाकिस्तान,  बांग्लादेश में जो शांति सेना का कार्य किया उसका अनुभव साझा किया । उन्होंने कहा विदेश में गांधी का बहुत सम्मान है।  उन्होंने कहा मैंने पाकिस्तान में पदयात्रा की।  जय जगत गीत सिखाया । लोगों का बहुत प्यार मिला । वे समापन  सत्र  के  मुख्य अतिथि थे । समापन सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर विजय कुमार जायसवाल ने किया । उन्होंने कहा यह शिविर गांधी विचार को समझने के लिए बहुत उपयोगी रहा है।  हमें उम्मीद है की जो शिविर में शामिल हुए हैं वह यहां से प्रशिक्षण लेकर अपने-अपने  जगह जाकर उसको जीवन में और समाज में  उतारने का प्रयास करेंगे। 

शिविर में सुबह के प्रार्थना सभा में अमरनाथ भाई ने धर्म सत्य और प्रेम के बारे में बताया । 25 तारीख को सुबह में सफाई कार्यक्रम चलाया गया।  इसका नेतृत्व जालंधर नाथ एवं अशोक भारत ने किया।  इसका स्थानीय निवासियों पर अच्छा प्रभाव पड़ा।   25 तारीख को शाम में एक सद्भावना मार्च निकाली गई, जो गोला रोड में स्थित गांधी पुस्तकालय पहुंची।  गांधी पुस्तकालय के अध्यक्ष धर्मनाथ प्रसाद,  सदस्य श्री रमेश केजरीवाल , डॉ विजय कुमार जायसवाल एवं  श्री अभिषेक आलोक आदि  ने शिविरार्थियों का स्वागत किया। गांधी  पुस्तकालय में सर्वधर्म  प्रार्थना की गई।  प्रार्थना के बाद सभा को अशोक भारत,  जागृति रही,  अमरनाथ भाई ,रमेश केजरीवाल एवं डॉ विजय कुमार जायसवाल ने संबोधित किया।  स्वागत भाषण अभिषेक आलोक ने किया । इस अवसर पर गांधी पुस्तकालय के सदस्य एवं पदाधिकारी उपस्थित थे। 26 नवंबर को सुबह में प्रभात फेरी निकाली गई जिसका स्थानीय लोगों ने स्वागत किया।   

 शिविर में शिविरार्थियों ने अपने अनुभव साझा किए । शिविर में विक्रम जयनारायण निषाद , अनामिका, आकांक्षा , तन्नु कुमारी,  गणेश विश्वकर्मा , अवधेश चौरसिया, मोहित राजपूत ,  तब्बसुम परवीन , अखिलेश मानव,  आफताब, फैयाज अहमद आदि ने अपने विचार रखें । सभी ने अपने यहां शांति सेना का कार्य शुरु करने की बात की। 

शिविर में नियमित रूप से सुबह-शाम सर्व धर्म प्रार्थना होता था। डॉ सच्चिदानंद ने जोड़ों के दर्द के लिए योग अभ्यास एवं  प्राणायाम सिखाया । जालंधर नाथ ने गीत सिखाए। इस अवसर पर कीर्ति, तन्नु कुमारी , आकांक्षा एवं अनामिका को  भाईजी साईकिल संदेश यात्रा में शामिल होने के लिए शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। अभय कुमार एवं सोनू सरकार को भी शिविर के आयोजन में सहयोग के लिए सम्मानित किया गया। 

संगठन एवं कार्यक्रम : शांति सेना  का  आगामी शिविर  धनबाद, वर्धा, वाराणसी  एवं सीतामढ़ी, बिहार में प्रस्तावित है।  संगठन के स्वरूप पर भी विचार हुआ। इस बात पर सर्वसम्मति थी कि अभी सभी लोग अपने  अपने जगह पर शांति सेना का कार्य प्रारंभ करें। जब प्रयाप्त संख्या में लोग  इससे  जुड़ेंगे तब इसके सांगठनिक स्वरूप पर विचार किया जाएगा। तब तक शांति सेना के रुप में सब लोग कार्य करेंगे।  शिविर का संयोजन एवं संचालन अशोक भारत ने किया।

अशोक भारत 

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