UPSC प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन विस्फोटक , सरकार बात करे – देवेंद्र प्रताप सिंह

उत्तर प्रदेश में UPPSC परीक्षा को लेकर आंदोलन – विशेष चर्चा
आज हम एक विशेष मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं जो सीधे नौजवानों और उनके रोजगार से जुड़ा है। आज भी सरकारी नौकरियों की डिमांड सबसे अधिक है क्योंकि इनमें सेवा की शर्तें बेहतर होती हैं और स्थायित्व होता है, जो प्राइवेट जॉब में नहीं मिल पाता। दुर्भाग्यवश, कई बार सरकारी सेवाओं की परीक्षाएं गड़बड़ी का शिकार हो जाती हैं, जिससे युवाओं में निराशा और गुस्सा है।

प्रारंभिक चर्चा
इस समय, इलाहाबाद के युवा जो उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (UPPSC) द्वारा आयोजित परीक्षाओं में शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं, आंदोलनरत हैं। उनकी माँग है कि परीक्षाएं एक ही शिफ्ट और एक ही दिन में होनी चाहिए, जबकि आयोग इसे दो शिफ्ट में कराने की योजना बना रहा है और परिणामों को नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया के माध्यम से घोषित करने का प्रस्ताव है। इस मामले पर भाजपा विधायक देवेंद्र प्रताप सिंह ने अपने विचार साझा किए।

देवेंद्र प्रताप सिंह का बयान
संवेदनशीलता और पारदर्शिता की आवश्यकता: देवेंद्र जी ने बताया कि आयोग को छात्रों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पारदर्शिता बरतनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि चयन प्रक्रिया के दौरान शर्तों में बदलाव नहीं किए जा सकते, जबकि आयोग ने परीक्षा को एक दिन से बढ़ाकर दो दिन का कर दिया है। इससे छात्रों में असंतोष बढ़ गया है। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि एसओपी में बदलाव कर सभी जिलों में परीक्षा केंद्र बनाए जाएं।

नॉर्मलाइजेशन के खिलाफ विरोध: नॉर्मलाइजेशन प्रणाली को लेकर छात्रों में नाराजगी है, क्योंकि इससे उनके अंकों में कटौती की संभावना रहती है। देवेंद्र जी ने कहा कि पूर्व में आयोग ने इस प्रणाली को समाप्त किया था, तो इसे फिर से लागू करना अनुचित है। उन्होंने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को इस मुद्दे पर पत्र भेजकर अनुरोध किया कि नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया जाए।

लाठीचार्ज और छात्र आंदोलन: आंदोलन कर रहे छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की कड़ी निंदा करते हुए देवेंद्र जी ने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर इस तरह का अत्याचार अनुचित है। उन्होंने छात्रों के साहस की सराहना की और कहा कि प्रशासन को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।

राजनीतिक मुद्दा और सलाह
देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आयोग की तानाशाही और नौकरशाही की अड़ियल नीति के कारण सरकार के प्रति जनता का भरोसा कम हो रहा है। उनका मानना है कि छात्रों की मांगों को सुनकर हल निकाला जाना चाहिए।

राजनीतिक हस्तक्षेप की आवश्यकता: उन्होंने बताया कि यह मुद्दा अब राजनीतिक रंग ले रहा है, और इसमें विपक्षी दल भी सक्रिय हो रहे हैं। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि सरकार को छात्रों के पक्ष में उचित कदम उठाने चाहिए।

समाधान का मार्ग: देवेंद्र जी ने कहा कि समाधान संवाद से ही निकलेगा और नौकरशाही को तानाशाही छोड़कर छात्रों की समस्याओं को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि 17 लाख परिवार इस मुद्दे से प्रभावित हो रहे हैं और इसका जल्द से जल्द समाधान करना आवश्यक है।

निष्कर्ष
अंतिम अपील: देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि नौजवानों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाए और परीक्षा में पारदर्शिता और ईमानदारी बरती जाए। उन्होंने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह जनता का विश्वास बनाए रखे और छात्रों की आवाज को सुने।

ध्यान दें: यह चर्चा विभिन्न विषयों जैसे नौकरशाही की कार्यशैली, परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता, और युवाओं की उम्मीदों और समस्याओं को केंद्रित करती है। उम्मीद है कि सरकार और आयोग छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से लेंगे और उनकी मांगों पर उचित कदम उठाएंगे।

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