गंगा के उद्गम गोमुख में क्यों लगी ट्रॉली ?


गोमुख में क्यों लगी है या लगाई गई है माँ गंगा को पार करने के लिए ट्रॉली??


आज आपको लिए चलते हैं सीधे माँ गँगा के उदगम गौमुख में। जहाँ पृथ्वी पर अवतरित होती हैं माँ गँगा।।

श्रद्धालु, पर्यटक व पर्वतारोही जान जोखिम में डालकर खराब क्षतिग्रस्त ट्रॉली से गँगा पार कहाँ जा रहे हैं ??

गोमुख में गंगा पार कराने के लिए लगी ट्रॉली


आखिर हिमालय को रौंदने, हिमालय को लांघने और हिमालय पर विजय पाने की होड़ क्यों मची है???
सवाल अपनेआप में अटपटा जरूर है। इसलिए इसको जानने के लिए आज
दरअसल श्रद्धालु, पर्यटक ,तीर्थयात्री, साधु संत सन्यासीलोग, पर्वतारोही गंगोत्री से गोमुख , तपोवन, नंदनवन और अति उत्साही पर्वतारोही व श्रधालु हिमालय को लांघते हुए बद्रीनाथ तक पहुंच जाते हैं।
गोमुख से आगे उच्च हिमालय में तपोवन, नंदनवन ,सुंदरवन जैसे दिव्य स्थल हैं। इसके अलावा गोमुख से आगे हिमालय की 100 से अधिक हिम चोटियां हैं जो पर्वतारोहण के लिए पर्वतारोहियों के लिए खास आकर्षण व चुनौती पूर्ण हैं। प्रतिवर्ष सैकड़ों हजारों की संख्या में पर्वतारोही गंगोत्री ग्लेशियर से आगे पहुंचते हैं।गंगोत्री से गोमुख तक का 18 किलोमीटर पैदल मार्ग आजतक गँगा के बाएं तट से ही होकर गुजरता है। ये अलग बात है कि दसकों पहले ये मार्ग गँगा के दाएं तट से होकर गुजरता था जो भूस्खलन व दूसरी घटनाओं के चलते बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। अभी पिछले 50 वर्षों से गोमुख तक गँगा के बाएं तट से होकर गौमुख पहुंच रहे हैं लोग। और गोमुख से 5 किलोमीटर आगे तपोवन का रास्ता गोमुख से आगे बाएं तट से होकर और फिर गंगोत्री ग्लेशियर को लांघकर दाएं ओर आ जाते थे। इसके बाद आगे 5 किलोमीटर दूर तपोवन पहुंचा जाता है।
लंबे समय तक देश के प्रतिष्ठित संस्थान NIM नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने अपने सभी तरह के कोर्स के प्रशिक्षण गंगोत्री ग्लेशियर के ऊपर ही लिए। जब दुनियाभर में ग्लेशियर के पिघलने का शोर मचा तो NIM ने गंगोत्री ग्लेशियर के ऊपर से अपने सभी प्रशिक्षण बंद कर दिए। ये अलग बात है कि आज भी हिमालय और उसकी विभिन्न चोटियों को रौंदने से पहले बर्फीले इलाकों पर जाने का प्रशिक्षण किसी न किसी ग्लेशियर में ही लिया जा रहा है।।
खैर,,ये अलग विषय व मुद्दा है।।

गोमुख में लगी ट्रॉली


आज हम बात कर रहे हैं गोमुख में लगी ट्रॉली के बारे में। जैसा कि बताया गया है कि तपोवन जाने के लिए गंगोत्री ग्लेशियर को लांघकर जाते थे इसलिए धार्मिक आधार पर ये मांग थी कि माँ गंगा के उदगम ग्लेशियर को न लाँघा जाय। दूसरा पिछले 20 वर्षों से गोमुख में गंगोत्री ग्लेशियर के दोनों ओर की पहाड़ियों पर भूस्खलन सक्रिय हैं जो माँ गँगा के उद्गम गोमुख को विकृत कर रहे हैं। इन्ही भूस्खलन के चलते माँ गँगा की धारा कभी इधर कभी उधर धकेली जा रही है।
20 वर्ष पहले जिन लोगों ने गोमुख को देखा होगा वे आज गोमुख को देखेंगे तो दृश्य ठीक उलट व विकृत हैं।।
धार्मिक आस्था तो छोड़ दीजिय लेकिन इन सक्रिय भूस्खलन के चलते तपोवन जाने का रास्ता पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। इसलिए गौमुख में ट्रॉली लगाई गई ताकि श्रद्धालु, पर्यटक व पर्वतारोही साधु संत सन्यासी तपोवन व उससे आगे हिमालय की यात्रा निर्वाध कर सकें। लेकिन आज गोमुख में लगी ट्रॉली क्षतिग्रस्त है। हालांकि गंगोत्री नेशनल पार्क के रेंजर श्री प्रताप सिंह पंवार जी ने भरोसा दिया था कि जल्द ही एक दो दिन में ट्रॉली को ठीक करवा लिया जाएगा।।
हमने श्री महेश रावत जी से प्राप्त video जो गोमुख में लगी ट्रॉली की स्थिति व ट्रॉली को खींचने के लिए पसीना बहाते पर्यटक व जान जोखिम में डालकर नदी पार कर रहे लोगों का । उम्मीद है ट्रॉली जल्द ठीक होगी।।

लोकेंद्र सिंह बिष्ट
प्रांत संयोजक उत्तराखंड
नमामि गंगे गँगा विचार मंच NMCG
जलशक्ति मंत्रालय, भारत सरकार।।

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