गाँव ने पुकारा : यहाँ छप्पर है , लेकिन तेरा है!

अमन , लखनऊ से 

गाँव , घर, गली ने उन्हें कुछ ऐसे पुकारा ,

वहाँ अगर  मरा तो लावारिस चला जाएगा ,

यहाँ सर पर कच्ची छप्पर है लेकिन तेरी है!

कुछ ऐसा ही मंजर मुझे देखने को मिला फैज़ाबाद रोड हाईवे पर, बहुत सारे लोग पैदल ही मीलों का सफर तय कर रहे हैं, मैंने उनसे (विकास ) बात किया तो पता चला की वह लोग हापुड़ से पैदल चले थे पांच दिन पहले और आज यह लखनऊ पहुचे हैं | इनको अभी 400 किलोमीटर की दूरी और पैदल ही तय करनी है, इनको बिहार के गोपालगंज जाना है |.पैरों में छाले हो गए हैं पर हिम्मत बरकरार है.

ना खाने को है, ना पीने को पानी, पर जिद्द है अपने घर जाने की ! बस  किसी तरह जल्द से जल्द अपने अपने घर पहुंच जाए! घर – जहाँ माँ है, भाई है, रिश्तेदार हैं और ऐसी जगह जहाँ सुकून  है ! वहाँ अगर यह मर भी गए तो कोई अफ़सोस नहीं होगा | वह पटरी- पटरी छिपकर माँ के पास पहुँच जाएँगे. बस तीन दिन और फिर हम भी घर में सोएंगे और खाएँगे.इंतज़ार कर रही है बीवी .पहुँचने के बाद अकेले में लिपटकर बोलेंगे, तुझे छोड़कर अब हम कभी नही जाएंगे!मैंने इनसे जब पूछा कि आपने  बस की सुविधा क्यों नहीं लिया , क्या मज़बूरी है मीलों  का सफर पैदल ही तय करने की?? इनका जवाब सुन मैं अचंभित हो गया |

विकास

विकास ने बताया कि  यह सब एक ही जगह डेली लेबर का काम करते थे, 6 लोग एक छोटे से कमरे में रहते थे, ताकि किराया कम लगे , जब लॉकडाउन हुआ तो काम बंद हो गया, यह सब वहां  फँस  गए, इन्हें  उम्मीद थी  की जल्द ही लॉकडाउन खुल जाएगा, लेकिन लॉक डाउन दिन प्रतिदिन बढ़ता ही गया, बस भी चलना बंद हो गयीं,  तो यह घर नहीं जा पाए !

शुरू में  मालिक ने इनको खाना पानी सब दिया  पर जब लॉक डाउन बढ़ गया तो उन्होंने भी खाना पानी देना बंद कर दिया, अब यह लोग मजबूर हो गए अपने अपने घर जाने के लिए !

सरकार ने कहा कि  बस की सुविधा दी जा रही है पर इन्हें नहीं मिली,  ज़ब यह बस डिपो गए तो  पता चला फॉर्म ऑनलाइन भरना है, फॉर्म इंग्लिश में है, पीडीऍफ़ के जैसे यह आपके एंड्राइड फ़ोन पर आएगा और फिर आपको भरना है |

विकास एक लेबर है उनके पास एंड्राइड फ़ोन नहीं है, तो वह क्या करते. उन्हें इंग्लिश नहीं आती और पैसे नहीं है कि  वो मेडिकल चेक अप  भी करा सके | न खाने को है, न पीने  को तो मेडिकल के लिए पैसे कहाँ  से आएँगे. बहुत दिक्कत है पर हौंसला बुलंद है.  फैसला किया  अपने – अपने घर पैदल ही जाने का,  जब यह लोग पाई पाई के लिए मोहताज हो गए | 

विकास ने बताया कि उन्होंने दो  दिन कुछ नहीं खाया, चना चबेना जो लाए थे वो अब ख़त्म हो गया है !

 सफऱ लम्बा है . पर उम्मीद उससे बड़ा कि  वह अपने अपने घर जल्दी ही पहुँच जाएंगे !

बस एक ही जिद्द है कि  पहुँचना है गाँव ,गाँव और गाँव …..

 

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