मत विभाजन मांगना विपक्ष का अधिकार, निलंबन हटे : संजय राउत

★ आठ सांसदों के निलंबन पर घमासान जारी ★ संजय राउत ने विपक्ष का किया समर्थन ★ पहले सभी सीट से ही मांग रहे थे वोटिंग : राउत

नई दिल्ली : राज्यसभा के आठ सांसदों के निलंबन को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है।

सभी निलंबित सांसद, संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के आगे धरना दे रहे हैं।

निलंबति सांसदों का कहना है कि वो तब तक धरना देंगे जब तक निलंबन वापस नहीं लिया जाता।

निलंबित सांसद लगातार संसद की कार्यवाही से निलंबन के फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

घमासान राज्यसभा सांसद संजय राउत ने इस मुद्दे को लेकर आजतक से बात करते हुए कहा कि रविवार को सदन के अंदर जो कुछ हुआ उसके लिए सिर्फ विपक्ष जिम्मेदार नहीं है।

अगर विपक्ष ने मत विभाजन और वोटिंग मांगी तो ये उनका अधिकार है।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि सरकार के पास बहुमत है तो उसने विपक्ष की मांग को क्यों ठुकराया? हंगामें की जड़ वहां है।

आपको सोचना चाहिए कि विपक्ष क्यों भड़का, इस हद तक क्यों पहुंचा?

आज आपने आठ सांसदों को पूरे मॉनसून सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया।

ये गलत बात है. बातचीत से भी समस्या सुलझाई जा सकती थी।

उनहोंने आगे कहा कि सभी सांसद पहले अपनी सीट से ही मत विभाजन मांग रहे थे, लेकिन उपसभापति ने उसपर निर्णय नहीं लिया।

उनकी तरफ से काम बढ़ाया जा रहा था, तब सांसद वेल में आ गए।

मैं चेयरमैन की बात से सहमत हूं पर जो सदन में सीनियर हैं उनको भी कानून की जानकारी है।

अगर उस कानून के मुताबिक मत विभाजन मांगा था तो उसे पूरा करना भी चेयर की ही जिम्मेदारी बनती है।

शिवसेना सांसद ने कहा कि अगर सरकार विपक्ष की मांग मान ले तो आगे ये हंगामा नहीं होगा।

मैं मंगलवार सुबह राज्यसभा के चेयरमैन से निलंबित सांसदों के विषय में बात करूंगा।

घमासानवहीं कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है राज्यसभा के उपसभापति को किसी ने हाथ नहीं लगाया।

कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद सोमवार को धरने पर बैठे सांसदों को समर्थन देने पहुंचे थे।

उन्होंने कहा कि यह बिल किसान को बर्बाद करने वाला है. किसान विरोधी है।

जबर्दस्ती यह बिल राज्यसभा में पास करवाया गया है. डिवीजन मांगा गया था लेकिन डिवीजन नहीं कराया।

अगर एक आदमी भी डिवीजन मांगता है तो डिवीजन करवाया जाता है।

हालांकि इसको ऐसे ही पास कर दिया, जबकि राज्यसभा में बहुमत इस बिल के खिलाफ था।

वहीं गुलाम नबी आजाद ने सफाई देते हुए कहा कि राज्यसभा में हंगामे के दौरान सांसदों ने किसी को हाथ नहीं लगाया।

न उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को और न ही मार्शल को हाथ लगाया गया।

आजाद ने कहा कि हाउस को अगर एक बजे के बाद बढ़ाना था तो हाउस का सेंस लिया जाता।

हाउस का सेंस यह था कि हाउस नहीं बढ़ाना चाहिए लेकिन उसके बाद भी हाउस बढ़ाया गया।

जो सांसद रूल बता रहे थे, प्रक्रिया बता रहे थे, परंपरा बता रहे थे उन्हीं को सदन से निकाल दिया गया।

घमासानपश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार किसानों को डरा रही है।

8 सांसदों को निलंबित कर दिया गया।

हमें लगता है कि टीएमसी और अन्य दलों के सांसदों ने किसानों के लिए सही काम किया है।

किसानों को उनकी जमीन से वंचित किया जा रहा है. यह किसानों से जमीन हड़पने का तरीका है।

बता दें, रविवार को राज्यसभा में हंगामा, तोड़फोड़ और उपसभापति का अपमान करने के आरोप में 8 सांसदों के खिलाफ सोमवार को बड़ा एक्शन हुआ।

8 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है. डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, राजीव साटव, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन और ए करीम को पूरे संत्र के लिए सस्पेंड किया गया है।

वहीं, विपक्ष का उपसभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी खारिज हो गया।

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