Aparna Yadav : जानिये कौन हैं अपर्णा यादव, क्यों सपा छोड़ उन्होंने बीजेपी किया ज्वॉइन

योगी आदित्यनाथ को भाई मानती हैं अपर्णा यादव

कहते हैं, जब सबकुछ गुडी गुड होने लगे तो कई बार अपनों की ही नजर लग जाती है। शायद कुछ ऐसा ही हुआ आज बुधवार की सुबह समाजवादी पार्टी के लिये भी, जब पार्टी के संरक्षक और संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बहू (Aparna YAdav) अपर्णा यादव ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।

लंबे समय से समाजवादी पार्टी के जरिये जबरदस्त पटखनी खा रही बीजेपी के लिये तो मानो आज दुश्मन को चित करने का एक जबरदस्त मौका सामने आ गया, जिसे उन्होंने बखूबी भुना भी लिया। अपर्णा यादव ने बीजेपी के दिल्ली आफिस पहुंचकर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के सामने भाजपा ज्वाइन किया।

योगी आदित्यनाथ को भाई मानती हैं अपर्णा यादव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की कितनी ही बार तारीफ कर चुकीं अपर्णा यादव को लेकर पहले भी कई बार यह अटकलें लगाई जाती रही हैं कि वे बीजेपी ज्वॉइन कर सकती हैं। हालांकि, इससे पहले कई बार उन्होंने इन अटकलों पर विराम लगा दिया। यही नहीं, एक ही जगह उत्तराखंड से होने के कारण अपर्णा योगी आदित्यनाथ को भाई मानती रही हैं और समय समय पर उनकी भी तारीफ करती रही हैं।

चर्चा है कि अपर्णा यादव का समाजवादी पार्टी छोड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह लखनऊ कैंट की विधानसभा सीट है, जहां से वे 2017 में चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी ने उन्हें मात दे दी थी। माना जा रहा है कि वे सपा से अपने लिये वही सीट मांग रही थीं, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

चर्चा है कि अपर्णा यादव का समाजवादी पार्टी छोड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह लखनऊ कैंट की विधानसभा सीट है, जहां से वे 2017 में चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन बीजेपी की रीता बहुगुणा जोशी ने उन्हें मात दे दी थी। माना जा रहा है कि वे सपा से अपने लिये वही सीट मांग रही थीं, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।

बहरहाल, राजनीति का ऊंट कब किस करवट बैठ जाये, समझ पाना मुश्किल है। आज अपर्णा यादव का बीजेपी ज्वॉइन करना भी कुछ ऐसा ही है। तो आइये, अपर्णा यादव को जानने की कोशिश करते हैं कुछ करीब से…

यूपी में विपक्ष के सबसे बड़े राजनीतिक घराने समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्‍नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्‍नी हैं अपर्णा यादव। एक मीडिया कंपनी में कार्यरत पिता अरविंद सिंह बिष्‍ट और लखनऊ नगर निगम में अधिकारी मां मां अंबी बिष्ट के घर 1 जनवरी 1990 को अपर्णा का जन्म हुआ था। अपर्णा के पिता अरविंद सिंह बिष्‍ट कभी सपा की सरकार में सूचना आयुक्‍त भी रह चुके हैं।

स्कूल के दिनों से थी पहचान

लखनऊ के लोरेटो कॉन्‍वेंट से अपनी स्‍कूली शिक्षा पूरी करने वाली अपर्णा प्रतीक यादव को स्कूल के दिनों से ही जानती थीं। साल 2010 में अपर्णा और प्रतीक की सगाई हुई और दिसम्‍बर 2011 में दोनों विवाह बंधन में बंध गए। विवाह समारोह का पूरा आयोजन मुलायम सिंह के पैतृक गांव सैफई में किया गया था। अब अपर्णा और प्रतीक की एक बेटी भी है, जिसका नाम प्रथमा है।

राजनीति विज्ञान में ली है मास्‍टर डिग्री

यूपी के बड़े राजनीतिक परिवार की बहू अपर्णा ने राजनीति को विषय के तौर पर भी गहनता से पढ़ा है। उन्‍होंने ब्रिटेन की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल रिलेशन एंड पॉलिटिक्स में मास्टर डिग्री ली है।

रीता बहुगुणा से मिली थी पराजय

अपर्णा यादव ने 2017 का विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के टिकट पर लखनऊ कैंट सीट से लड़ा था। उस चुनाव में उन्‍हें भाजपा की रीता बहुगुणा जोशी ने हरा दिया था। गौरतलब है कि इस बार रीता बहुगुणा जोशी लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट से अपने बेटे के लिए भाजपा का टिकट मांग रही हैं। उन्‍होंने मंगलवार को ही पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा को एक चिट्ठी लिखकर बेटे को टिकट दिलाने के लिए खुद इस्‍तीफा देने का प्रस्‍ताव रखा था। रीता बहुगुणा का कहना है कि पार्टी ने एक परिवार से एक व्‍यक्ति को टिकट देने का नियम बनाया है। इस नियम के सम्‍मान में उन्‍होंने बेटे को टिकट दिलाने के लिए अपने इस्‍तीफे की पेशकश की।

अपर्णा यादव के बीजेपी ज्वॉइन करने पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने उन्हें बधाई दी है।

योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने पर बधाई देने पहुंची थीं अपर्णा

अपर्णा यादव सीएम योगी को अपना बड़ा भाई मानती हैं। दोनों उत्‍तराखंड से हैं। यूपी के मुख्‍यमंत्री बनने से पहले भी अपर्णा यादव, योगी आदित्‍यनाथ की तारीफ करती रही हैं। 2017 से पहले वह गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में दर्शन के लिए भी गई थीं। इस दौरान उनकी योगी आदित्‍यनाथ से वहां मुलाकात हुई थी। योगी आदित्‍यनाथ के सीएम बनने के बाद अपर्णा यादव और प्रतीक यादव ने वीवीआईपी गेस्‍ट में उनसे मिलकर बधाई दी थी। सीएम बनने के कुछ समय बाद ही योगी आदित्‍यनाथ अपर्णा यादव और प्रतीक यादव के साथ लखनऊ में कान्‍हा उपवन देखने गए थे, जहां दोनों के बीच गो-सेवा पर लम्बी बातचीत हुई थी।

अपर्णा यादव के भाजपा में जाने की अटकलें तब भी लगी थीं, लेकिन पत्रकारों से बातचीत में इस सम्‍भावना को खारिज करते हुए अपर्णा यादव ने तब कहा था कि मैं कहीं नहीं जा रही हूं। सीएम योगी एक पशु प्रेमी हैं। बस इसी वजह से हमने उन्हें यह जीवाश्रम देखने का न्यौता दिया था। कान्हा उपवन में लावारिस पशु के साथ गाय, भैंस और कुत्तों को रखा जाता है। वहां इनकी देख-रेख होती है। अपर्णा यादव की भाजपा की ओर आकर्षण तब भी देखने को मिला था जब एक पारिवारिक समारोह में पीएम मोदी के आने पर उन्होंने उनके साथ फोटो ली थी। 2017 के चुनाव से पहले भी वह आए दिन पीएम मोदी की तारीफ करती दिखती थीं।

एनआरसी और धारा-370 पर किया था भाजपा का समर्थन

अपर्णा यादव ने समाजवादी पार्टी के स्‍टैंड से अलग हटकर नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन बिल (एनआरसी) और जम्‍मू कश्‍मीर से धारा-370 हटाए जाने का समर्थन किया था। इन दोनों मुद्दों के अलावा समय-समय पर वह अलग-अलग विषयों पर खुलकर अपने विचार व्‍यक्‍त करती रही हैं। उनकी राय सपा और अखिलेश यादव परिवार से अलग रही है।

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राजनीति के साथ संगीत में भी है रुचि

अपर्णा यादव की रुचि राजनीति और सामाजिक कार्यों के साथ संगीत में भी रही है। बताया जाता है कि उन्‍होंने कई वर्षों तक शास्त्रीय संगीत की शिक्षा भी ली है। अपर्णा अपना एक संगठन चलाती हैं, जो महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण के लिए काम करता है।

परिवारिक मामलों में बोलने से बचती रही हैं अपर्णा

2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी मुखिया के परिवार में मचे घमासान में अपर्णा यादव शांत ही रहीं। हालांकि माना जाता है कि परिवार के अंदरूनी समीकरणों में अपर्णा और प्रतीक को अखिलेश यादव-डिंपल यादव के मुकाबले शिवपाल यादव के ज्‍यादा करीब माना जाता है, लेकिन अपने साक्षात्‍कारों में अपर्णा इसे पारिवारिक मसला बताकर टालती रही हैं। कई साक्षात्‍कारों में उन्‍होंने दावा किया कि उनके परिवार में सब कुछ सामान्‍य है और राजनीतिक मतभेदों का पारिवारिक रिश्‍तों पर कोई खास असर नहीं पड़ता। हालांकि हाल में अपर्णा यादव के बीजेपी में जाने की अटकलें तेज हुई तो शिवपाल सिंह यादव ने उन्‍हें सलाह दी कि वह सपा में ही रहें और काम करें। अभी उन्हें बहुत कुछ सीखना है। उन्होंने कहा था राजनीति में एकदम से कुछ नहीं मिलता है। पार्टी में पहले उन्हें काम करना चाहिए और फिर फल मिलता है। गौरतलब है कि शिवपाल की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी इस चुनाव में सपा गठबंधन का हिस्‍सा है।

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