यूपी चुनावों से पहले बीजेपी में हुई भगदड़ पर सुभासपा प्रमुख राजभर का दिलचस्प इंटरव्यू

जानें, बीजेपी में मची भगदड़ की वजह?

वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने पिछले दिनों यूपी में हो रही राजनीतिक हलचल से जुड़े कई मुद्दों पर सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर से बड़ी ही खूबसूरती से सवाल किये और राजभर ने उन सभी सवालों का दिलचस्प जवाब भी दिया। इस दिलचस्प बातचीत के कुछ मुख्य बिंदु हम यहां लिख रहे हैं और विस्तार से सुनने के लिये आप इस वीडियो इंटरव्यू पर क्लिक करें…

आप कोशिश तो बहुत दिनों से कर रहे थे। घूम घूम कर। आपने कई प्रयोग भी करने चाहे लेकिन अंत में आपने जो हाथ मिलाया अखिलेश यादव से और फिर दोनों ने मिलकर जो रैलियां कीं, और उसमें जो रेस्पोंस मिला तो उसके बाद चुनाव की घोषणा होते ही मौसम अचानक बदल कैसे गया यूपी की सियासत का? कैसे बदल दिया आपने?

दो साल पहले ही स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान से हालांकि मुलाकात तो होती ही रहती थी, लेकिन दो साल पहले ही मैंने कहा कि मैंने तो छोड़ दिया, अब आपलोग बताइये। आप लोग तो हमेशा कहते थे कि अन्याय हो रहा है। तो उन्होंने कहा कि आप तो अपनी पार्टी के मालिक हैं लेकिन हमलोग तो इसी पार्टी में हैं। हमलोग अगर छोड़ेंगे तो ये ईडी और सीबीआई जांच बिठाकर फर्जी मुकदमों में हमें जेल भिजवा देंगे। कोई उपाय बताइये जिससे दोनों काम बन जाये। सरकार भी आप बना लो, अखिलेश जी मुख्यमंत्री बन जायें और हम भी सुरक्षित रह सकें। तो हमने कहा कि फिर हमने कहा कि ठीक है, हम इस बारे में बाद में बतायेंगे। इस बीच हमारी बातचीत होती रही। बाद में इन्होंने हमसे कहा कि यदि हमने छह महीने पहले पार्टी छोड़ी होती तो ये हमें किसी न किसी मामले में फंसाकर जेल भेज ही देते।

आपके कहने का अर्थ यह है कि इमरजेंसी में जिस तरह का डर लोगों के अंदर था जेल भेजने का, वैसा ही डर इस समय यूपी में चल रहा था?

जी। पूरी भारतीय जनता पार्टी हिटलरशाही रवैये के हिसाब से काम कर रही है। आप पत्रकारों को ही देख लीजिये। पत्रकार देश का चौथा स्तंभ हैं। उनका काम होता है कि वे सरकार की कमियों को उजागर करें और सरकार का काम होता है कि वे उनसे सीख लें और अपनी कमियों को दूर करें। पहले ही दिन आपको याद होगा कि मिड ​डे ​मील योजना में इन्होंने नमक रोटी खिलायी और जब वो बेचारा छाप दिया तो उसी को जेल भेज दिया। सैंकड़ों पत्रकारों के साथ ऐसा ही किया। अभी रिटायर्ड आईपीएस अफसर दारापुरी साहब और रिटायर्ड आईएएस साहब सूर्य प्रताप सिंह के साथ इन्होंने जो किया, वो इनकी हिटलरशाही का नमूना ही तो है। इससे पूरे प्रदेश में भय का माहौल हो गया है। कोई भी सही बात बोलने को तैयार नहीं है। ​ही किया। फर्जी मुकदमे बनाकर इन्हें फंसाया गया। वोटर तक को इस बात की दहशत हो गई कि अगर हमने सच कह दिया तो ये हमें ​फर्जी मुकदमों में अंदर कर देंगे। आचारसंहिता लगने के पहले तक प्रदेश के हालात ऐसे ही थे कि लोग सच बोलने से भी डर रहे थे।

तो आपको क्या लगता है कि मायावती ने भी ईडी और सीबीआई के इसी डर की वजह से इस बार चुनाव में एक्टिव नहीं हुईं? घर से क्यों नहीं निकलीं?

कहीं न कहीं कोई न कोई बात तो है। सीबीआई और ईडी की दहशत तो है। वरना मैं मानता हूं कि उन्हें भी गठबंधन करके चुनाव मैदान में आना चाहिये था। लेकिन आज तक का जो माहौल है, जैसा कि एक दो बार उनका बयान भी आ चुका है कि सपा को हराने के लिये हम बीजेपी को वोट देंगे।

क्या आपने मायावती से तालमेल की कोशिश की थी?

हां, मैंने पूरा प्रयास किया।वहां से मुझे यही मैसेज मिला कि हम अकेले ही चुनाव लड़ेंगे। अकेले तो चुनाव जीत नहीं सकती हैं। ये तो बीजेपी को मदद करने वाली बात हो गयी। तब उन्होंने कहा कि ये तो तेरी बात है, मेरी बात जो होगी, मैं वो ही करूंगी।

मोदी और योगी के बीच सबकुछ ठीक नहीं

पूर्वांचल एक्सप्रेस हो या फिर यूपी चुनावी रैलियों के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी का यूपी दौरा, हर बार मोदी ने योगी को यह एहसास कराने की कोशिश की, कि तुम पीएम बनने का सपना जो पाले हुये हो, उसे भूल जाओ। मोदी ने केशव प्रसाद मौर्य को साथ बिठाकर जब चाय पिलायी तो समझाया कि पिछड़ी जाति से होने के कारण ही योगी ने तुम्हें स्टूल पर बिठाया और दूसरे पिछड़ी जाति के नेता को फाइबर की कुर्सी पर। योगी का घमंड तोड़ना जरूरी है इसलिये इसे हराने के लिये यूपी में काम करो।

योगी का प्रधानमंत्री बनने का सपना ही उनके रास्ते का रोड़ा

इंडिया टुडे में पैसे देकर योगीजी ने अपनी लो​कप्रियता बढ़ाने के लिये खबर छपवायी, अंतरराष्ट्रीय पत्रिका टाइम्स में खबर लगवाकर खुद को नंबर वन दिखाया। फिर इनके कुछ ब्यूरोक्रेट्स ने इनसे कहा कि आप तो प्रधानमंत्री बनने लायक हैं तो इन्होंने नारा लगाना शुरू कर दिया कि अगला पीएम योगी महाराज। यह खबर जब दिल्ली पहुंची तो अमित शाह आग बबूला हो गये।

कृष्ण गोपाल, जो संघ में बड़े व जिम्मेदार पद पर थे, की बदौलत ही योगी इतना उछल रहे थे। जब तक कृष्ण गोपाल यहां रहे, योगी खूब बोलते रहे। तब मोदी और शाह ने कृष्ण गोपाल को ही यहां से हटा दिया, उसके बाद से योगी का हाल ये हो गया है कि वे कभी ​मथुरा तो कभी अयोध्या से ​अपने लिये टिकट मांगते फिर रहे हैं। ये हाल हो चुका है योगी का।

बीजेपी के लोग चुनाव हारने पर भी सरकार बना लेते हैं, सरकार बनाने में बीजेपी वाले उस्ताद हैं। ऐसे में अखिलेश का पूरा कुनबा क्या इकट्ठा रह पायेगा? इसकी क्या गारंटी है?

हम गारंटी लेते हैं। हम उन्हीं लोगों को चुनाव लड़ा रहे हैं, जो अपनी पार्टी और गठबंधन के नेता हैं। कुछ लोगों को बीजेपी पैसे देकर कुछ गड़बड़ करने का प्रयास कर रही है। अखिलेश यादव और मैं, ऐसे लोगों को अच्छी तरह से जानते हैं और उनसे एलर्ट भी हैं।

कोई कॉमन मिनिमम प्रोग्राम भी बनाया जा रहा है ताकि बाद में आपलोगों का आपस में किसी भी मुद्दे को लेकर मनमुटाव, तनाव या झगड़ा न हो?

कार्यक्रम तय है। हमलोग मुद्दों के आधार पर, जैसा कि पहले भी बताया, जातिगत जनगणना छह महीने में ही करा देंगे। शपथ लेते ही 300 यूनिट बिजली, पांच साल लगातार देने की घोषणा कर देंगे। अन्ना पशुओं से निजात दिलाने का काम करेंगे। अन्ना पशुओं के कारण सड़क पर हो रही दुर्घटनाओं से भी निजात दिलाने का काम करेंगे। गरीबों का इलाज फ्री में किया जायेगा। गन्ना किसानों के सवाल पर पूरी कोशिश की जायेगी कि उनका भुगतान किया जाये। प्रदेश में अमन चैन का माहौल जो बिगड़ा हुआ, हम एक बार फिर से उसे बहाल करने की कोशिश करेंगे।

इसके अलावा गठबंधन की शर्तें हमने उसी दिन तय कर ली थीं, जिस दिन हम साथ बैठे। हमने कहा था कि सरकार बनी तो हम सभी मंत्री बनोगे, सरकार का हिस्सा रहोगे, इसके अलावा कुछ सोचना मत। जो बात हमने की है, उसी पर हमें खड़े रहना है, तब तो साथ रहो वरना अभी से ही आप चले जाओ। तब सभी लोगों ने कहा कि नहीं, हम आपके साथ रहेंगे। हमें बहुत ज्यादा सीटें नहीं चाहिए। हम लोग खुद ही चुनाव लड़ेंगे। बाहर से किसी को भी नहीं लड़ायेंगे।

शिक्षा में सुधार को लेकर आपकी क्या रणनीति होगी?

जो बच्चे वाकई में पढ़ना चाहते हैं, दलित, वंचित, शोषित वर्ग के बच्चे जो योग्य हैं, वे पैसों के अभाव में पढ़ नहीं पा रहे। वहीं, अमीरों के बच्चे तो आवारागर्दी करते हैं, स्कूलों में जाकर गुंडागर्दी करते हैं। तो ऐसे लोगों के लिये कुछ भी कहना अजीब होगा। बीजेपी सरकार की ही बात कर लें अगर तो पेपर लीक कराकर आप नंबर भी बढ़वा देते हो। आप 10 से 20 लाख में पेपर लीक करके बेच रहे हो तो जो खरीदकर परीक्षा में बैठेगा, वो तो मेरिट पायेगा ही। जो मेहनत करने वाला बच्चा है, वो 60 नंबर ला पायेगा लेकिन पेपर खरीदकर उसमें बैठने वाला 90 नंबर तक ले आयेगा। अब सरकार ने मानक बना दिया कि 80 प्रतिशत से कम नंबर लाने वालों की भर्ती हम नहीं करेंगे तो 90 और 80 के बीच तो वही लोग हैं, जो पेपर खरीदकर आये। जो काबिल बच्चे थे, वे तो पीछे ही रह जा रहे हैं। ये स्थितियां पैदा करने वाले ये ही लोग तो हैं।

जब राजा ईमानदार होगा तो पूरी प्रजा और प्रशासन भी ईमानदार हो जायेगी। वरना चुनाव आयुक्त टीएन शेषन की तरह सख्त छवि वाला बनकर भी कई सही काम को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है। और हमारी सरकार आती है तो हम यही ईमानदारी आपको प्रदेश में हर जगह दिखायेंगे।

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