उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उल्टा पड़ेगा लोकतन्त्र का सरेआम कत्ल

हिसाम सिद्दीक़ी, वरिष्ठ पत्रकार

वैसे तो वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी की बीजेपी ने शुरू से ही जम्हूरियत लूटने और उसे कत्ल करने का काम शुरू से ही किया है, लेकिन बीजेपी ने इस बार उत्तर प्रदेश में जो कुछ किया वह देश और देश के जम्हूरी सिस्टम दोनों के लिए इंतेहाई खतरनाक है। मामला है उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत चेयरमैनों के एलक्शन का। इस एलक्शन में वैसे तो हमेशा यह हुआ है कि प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार होती है उसकी पार्टी के बेश्तर जिला पंचायत चेयरमैन चुने जाते हैं। लेकिन इस बार योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह पचहत्तर (75) में से सरसठ (67) जिलों में बीजेपी के चेयरमैन चुनवाए हैं वह इतेहाई खतरनाक और शर्मनाक है। पांच साल कब्ल प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो तिरसठ (63) जिलों में समाजवादी पार्टी के चेयरमैन चुन लिए गए थे। उस वक्त यह हुआ था कि जिन जिलों में समाजवादी पार्टी के दो, तीन या चार जिला पंचायत मेम्बरान की कमी थी वहीं कुछ को लालच देकर तो कुछ पर दबाव डाल कर समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को जिता लिया था। इस बार बिल्कुल उल्टा हुआ है।

पंचायत चुनावों में बीजेपी बहुत बुरी तरह हारी थी। अयोध्या, बिजनौर और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भारतीय जनता पार्टी के सिर्फ चार से आठ तक जिला पंचायत मेम्बर चुने गए थे लेकिन ऐसे सभी जिलों में बीजेपी को तीस या उससे भी ज्यादा वोट मिल गए। तीन जुलाई को प्रदेश के तिरपन (53) जिलों के एलक्शन हुए इससे पहले बीजेपी सरकार ने बाइस (22) सीटों पर बिला मुकाबला अपने उम्मीदवार जितवा लिए थे।
इस एलक्शन की सबसे ज्यादा मजहकाखेज (हास्यास्पद) दो बातें हैं पहली यह कि एलक्शन कैसे जीते गए हैं इसका बखूबी इल्म होने के बावजूद एलक्शन खत्म होते ही उत्तर प्रदेश बीजेपी के सदर स्वतन्त्र देव सिंह गुलदस्ता लेकर मुबारकबाद देने वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच गए तो योगी ने भी बड़ी गर्मजोश्ी के साथ गुलदस्ता लेने का काम किया और अखबारात में यह तस्वीर भी शाया (प्रकाशित) कराई गई।

दिल्ली से एक पैगाम देकर वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोदी ने तो हद ही कर दी। अपने बयान में उन्होने कहा कि ‘भारतीय जनता पार्टी की शानदार फतेह तरक्की, अवामी खिदमात और कानून के राज के लिए अवाम का दिया हुआ आशीर्वाद है। इसका क्रेडिट वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ की पालीसियों व पार्टी वर्कर्स की बगैर थके मेहनत को जाता है। मोदी ने अपने इस बयान के जरिए देश को गुमराह करने की पूरी कोशिश की है। उन्होने देश को यह बताने की कोशिश की कि जैसे यह एलक्शन पैसों और एडमिनिस्ट्रेशन के बेजा इस्तेमाल के बजाए अवाम के वोट से जीता गया है। उन्होने इस जीत को पार्टी वर्कर्स की बगैर थके मेहनत बता दिया लेकिन पार्टी वर्कर्स के साथ सरकारी मशीनरी का शुक्रिया अदा करना भूल गए पैसों का जिक्र भी उन्होने नहीं किया।
साबिक वजीर-ए-आजम राजीव गांधी ने गांवों की सत्ता गांव वालों के हाथों में, जैसे महात्मा गांद्दी के ख्वाबों की ताबीर करने के लिए पंचायती राज कानून पास कराया था अगर राजीव गांघी को यह मालूम होता कि आगे चलकर इन एलक्शनों में काले धन और एडमिनिस्ट्रेशन का इतनी बेशर्मी के साथ इस्तेमाल होगा तो शायद उन्होंने पंचायती राज कानून में जिला पंचायत चेयरमैन का एलक्शन भी नगर निगमों के मेयर की तरह आवाम के वोट से कराने का बंदोबस्त कर दिया होता और पंचायत चुनावों में एक बैलेट पेपर जिला पंचायत चेयरमैन का भी शामिल कर दिया जाता पहले मेयर का एलक्शन भी कारपोरेटर करते थे उसमें इसी किस्म की बेईमानियों की गुंजाइश रहती थी अब ऐसा नहीं है। मेयर का एलक्शन सीधे अवाम के वोट से होता है। देश में पंचायती राज कानून का मकसद ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने खत्म कर दिया। लोगोंं ने वोट किसी और को दिए थे सरकार ने अवाम के वोटों को कालेद्दन और एडमिनिस्ट्रेशन के बूटों से रौंद डाला। लेकतन्त्र को कत्ल करने का मोदी की बीजेपी का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले गोवा, मणिपुर, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी मोदी यही कर चुके हैं। इन रियासतों के वोटर्स ने बीजेपी के बजाए कांग्रेस को वोट देकर उसकी सरकारें बनवाई थीं लेकिन मोदी और अमित शाह ने पैसों की ताकत पर सभी रियासतों में खरीद-फरोख्त के जरिए बीजेपी की सरकारें बनवा लीं यह जम्हूरियत का कत्ल नहीं तो और क्या है?
इस चुनाव में उत्तर प्रदेश में आने वाले वक्त की सियासत का रूख भी तय हो गया है। मथुरा जिला पंचायत के जीते हुए चेयरमैन ने अपनी जीत के लिए जिन लोगों का नाम लेकर उनका शुक्रिया अदा किया उनमें उन्होने बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती का नाम खास तौर पर लिया। कानपुर में होटल में ठहरे जिला परिषद मेम्बरान जिस बस में सवार होकर कचेहरी में वोट डालने पहुचे उसी बस में बहुजन समाज पार्टी के भी मेम्बर सवार होकर कचेहरी पहुचे। याद रहे कि मायावती पहले ही कह चुकी हैं कि समाजवादी पार्टी को हराने के लिए वह अपने वोट बीजेपी को दिला देंगी। यह बात उन्होने रियासती कौंसिल (विद्दान परिषद) के एलक्शन के वक्त कही थी। अब यह बात तय हुई दिखती है कि 2022 के असम्बली एलक्शन में अगर भारतीय जनता पार्टी की सीटें उतनी कम रही जितनी बीएसपी की आ जाएं तो मायावती अपनी पार्टी की हिमायत से बीजेपी की सरकार बनवा सकती हैं।
जिला पंचायतों के एलक्शन में काला द्दन और जिला इंतेजामिया का इस्तेमाल करके पचहत्तर में से सरसठ सीटें जीतने के बाद बीजेपी ऐसा एहसास कराने की कोशिश कर रही है जैसे पंचायतों के चुनाव में हुई उसकी शर्मनाक शिकस्त की भरपाई हो गयी और सात-आठ महीने बाद होने वाले असम्बली चुनाव पर भी इसका कोई खास असर पड़ेगा यह दोनों बातें ही महज बीजेपी की खाम ख्यालियां हैं. न तो खरीद-फरोख्त करके जिला पंचायत एलक्शन जीतने से पंचायत एलक्शन में हुई शर्मिदगी में .

लोगों में इस बात की सख्त नाराजगी है कि उन्होने जिन लोगों को अपने वोट से जिला पंचायत मेम्बर चुना था वह पहले मौके में ही बिक गए।

इस चुनाव में जिलों में तैनात डीएम और पुलिस कप्तानों ने भी जिस किस्म का रोल अदा किया वह भी सरकारी मशीनरी के लिए इंतेहाई खतरनाक और एडमिनिस्ट्रेशन को बदनाम करने वाला किरदार है। इससे साबित हो गया कि महज जिले में पोस्टिंग पाने के लिए आईएएस और आईपीएस अफीसर किस हद तक गिर सकते हैं।

संतक़बीर नगर में ये लोग एक शव यात्रा लेकर जा रहे थे, सत्ताधारी दल के दबंगों ने ब्लॉक प्रमुख चुनाव में वोट के लिए बीडीसी मेम्बर अजय का अपहरण कर लिए जिन्हें अपने पिता को मुखाग्नि देना था.
संतक़बीर नगर में ये लोग एक शव यात्रा लेकर जा रहे थे, सत्ताधारी दल के दबंगों ने ब्लॉक प्रमुख चुनाव में वोट के लिए बीडीसी मेम्बर अजय का अपहरण कर लिए जिन्हें अपने पिता को मुखाग्नि देना था.

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