डाक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों हमला और भारतीय समाज
लंदन से शिव कांत की खरी - खरी
डाक्टर एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मी कोरोना के ख़िलाफ़ विश्वव्यापी संघर्ष में जान को जोखिम में डाल कर काम कर रहे हैं और अपने प्राणों का उत्सर्ग भी।
यूरोप में कोरोना का इलाज करने वाले डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों प्रति दिल से आभार प्रकट करते हुए उनके परिवारों की मदद की जा रही है।
लेकिन भारत में कुछ लोग कोरोना ड्यूटी पर लगे डाक्टरों और पुलिस पर हमले कर रहे हैं और बाक़ी लोग ख़ामोश हैं।
कोरोना वायरस कोविड-19 की संक्रामक महामारी की रोकथाम और बचाव के लिए चल रही विश्वव्यापी जंग की अगुआई लाखों डॉक्टर, नर्सें और स्वास्थ्य कर्मचारी कर रहे हैं।
संक्रामक रोगियों की देखभाल में लगे रहने की वजह से सबसे बड़ा जोखिम का काम उन्हीं का है।
चीन के आँकड़े तो बहुत विश्वसनीय नहीं माने जाते पर यदि यूरोप के सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों, जैसे इटली, स्पेन और फ़्रांस की बात करें तो हज़ारों डॉक्टर, नर्सें और स्वास्थ्य कर्मी संक्रमण का शिकार हो चुके हैं और सैंकड़ों की मौत हो चुकी है।
यहाँ ब्रिटन की स्वास्थ्य सेवा में काम करने वाले डॉक्टरों और नर्सों में आधे से ज़्यादा आप्रवासी हैं और अपनी जान जोखिम में डाल कर दिन-रात कोरोना मरीज़ों को बचाने में लगे हैं।
अब तक संक्रमण से बीमार होकर मरे सभी आठ डॉक्टर भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, मिस्र, नाइजीरिया और सूडान से काम करने आए आप्रवासी थे।
लंदन से शिवकांत की खरी -खरी।सुनने के लिए विडियो नीचे :
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