किसान संघर्ष समिति की 287वीं किसान पंचायत ऑनलाइन सम्पन्न

26 नवंबर को संविधान दिवस भी है और किसान आंदोलन के एक वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर देशभर में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किये जाएंगे।

देश को राजनैतिक और आर्थिक विकल्प देने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होना होगा, साथ ही गांव की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए गांधी, लोहिया के विचारों पर चलकर गाँवों और खेती को बचाने के सवाल को मुख्यधारा में लाना होगा।

मीडिया स्वराज डेस्क

किसान संघर्ष समिति की 287वीं किसान पंचायत ऑनलाइन सम्पन्न हुई। किसान पंचायत में मध्यप्रदेश के विभिन्न किसान संगठनों के पदाधिकारियों ने किसानों और मजदूरों की समस्याओं पर अपने विचार रखे। यह जानकारी किसान संघर्ष समिति मुलतापी के महामंत्री भागवत परिहार ने दी है।

किसान पंचायत को संबोधित करते हुए मुंबई से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं वरिष्ठ समाजवादी चिंतक डॉ जीजी परीख ने किसान आंदोलन में संघर्ष कर रहे किसानों का अभिनंदन करते हुए कहा कि किसान आंदोलन ने सरकार की नीतियों से हताश लोगों में एक नई ऊर्जा का संचार किया है।

उन्होंने आगे कहा कि देश को राजनैतिक और आर्थिक विकल्प देने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होना होगा, साथ ही गांव की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए गांधी, लोहिया के विचारों पर चलकर गाँवों और खेती को बचाने के सवाल को मुख्यधारा में लाना होगा।

मुख्य बिंदु

  • किसान संघर्ष समिति की 287वीं किसान पंचायत ऑनलाइन सम्पन्न हुई।
  • गांव की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए गाँवों को मुख्यधारा में लाना होगा।
  • केंद्र सरकार हिंसा का खुला प्रयोग कर रही है
  • नए कृषि कानून और निजीकरण से देश में भुखमरी और बेरोजगारी बढ़ी है।
उड़ीसा से किसान नेता अक्षय कुमार ने कहा कि आज देश जिन परिस्तिथियों से गुजर रहा है, उसमें राजनीतिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में क्या विकल्प हो सकते हैं? उसके बारे में हमें सोचना होगा।

उड़ीसा से किसान नेता अक्षय कुमार ने कहा कि आज देश जिन परिस्तिथियों से गुजर रहा है, उसमें राजनीतिक, आर्थिक, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में क्या विकल्प हो सकते हैं? उसके बारे में हमें सोचना होगा। सारे संगठनों को एकजुट होकर किसान विरोधी कानून के खिलाफ लड़ना होगा। केंद्र सरकार ने सारे उपक्रमों का निजीकरण कर दिया है, उसके विकल्प भी हमें देने होंगे।

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने कहा कि केंद्र सरकार हिंसा का खुला प्रयोग कर रही है। लखीमपुर खीरी ही नहीं, टिकरी बॉर्डर पर महिलाओं पर ट्रक चढ़ाकर तथा सिंघु बॉर्डर पर दलित की हत्या भी सरकार की सोची समझी साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर को संविधान दिवस भी है और किसान आंदोलन के एक वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर देशभर में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन किये जाएंगे।

लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों की अस्थि कलश यात्रा महाराष्ट्र के नंदूरबार पहुंची है। यात्रा में शामिल पूर्व विधायक पद्माकर वड़वी ने कहा कि शहीद किसानों की प्रेरणा का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए शहीद ‘किसान प्रेरणा यात्रा’ महाराष्ट्र में 28 नवंबर तक चलेगी।

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ सुनीलम ने कहा कि किसान आंदोलन में सभी लोग भावनात्मक रूप से जुड़े हैं इसलिए यह जन आंदोलन बन गया है। हर संगठन अपने अपने क्षेत्र में यात्राएं करें। सरकार आंदोलनकारियों को उकसाने का प्रयास कर रही है लेकिन किसानों को अहिंसा के रास्ते पर चलकर ही आगे बढ़ना चाहिए।

लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड में सरकार किसान नेता तेजिंदर सिंह विर्क को ही फंसाना चाहती है, जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। हमें आंदोलन के विस्तार के लिए सभी वर्गों और संगठनों से सहयोग लेना होगा।

छिंदवाड़ा से किसंस की उपाध्यक्ष एड.आराधना भार्गव ने कहा कि लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या केंद्रीय मंत्री आशीष मिश्रा टेनी के इशारे पर हुई है लेकिन प्रधानमंत्री किसानों की हत्या पर मौन हैं। प्रधानमंत्री का मौन रहना हत्याकांड को अंजाम देने की मौन स्वीकृति दर्शाता है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी स्पष्ट किया है कि जांच में एक विशेष किस्म के लोगों को बचाने का काम किया जा रहा है।

अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश महासचिव प्रहलाद दास बैरागी ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों की आंखों में धूल झोंकते हुए कह रही है कि एमएसपी थी, है और रहेगी। मंडियों में ज्वार 500-600 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदी जा रही है। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में किसानों को घटिया बीज दिया गया था, जिससे किसानों का उत्पादन घटा है। पिछले वर्ष नष्ट हुई फसलों का भी आज तक पूरा फसल बीमा नहीं दिया गया है।

गुना से एआईकेकेएमएस के मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले 25 दिनों से किसान खाद के लिए परेशान हैं, डीजल के दाम बढ़ने से किसानों की लागत में बढ़ोतरी हुई है जबकि उचित दाम नहीं मिलने से आमदनी कम हो गई है।

रायसेन से किसान जागृति संगठन के अध्यक्ष इरफान जाफरी ने कहा कि कृषि कानून का सबसे ज्यादा असर छोटे किसानों सहित आम नागरिकों और मजदूरों पर पड़ा है। बेतहाशा महंगाई से आम नागरिकों को रसोई चलाना भी भारी पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून और निजीकरण से देश में भुखमरी और बेरोजगारी बढ़ी है।

भारतीय किसान यूनियन के अनिल यादव ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा को भोपाल में एक कार्यक्रम करने की आवश्यकता है। सभी बॉर्डरों पर मध्य प्रदेश से भी प्रतिदिन किसान पहुंचें, इसके लिए योजना बनाई जानी चाहिए।

इंदौर से किसान संघर्ष समिति के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने कहा कि सत्ता चाहे भाजपा की हो या कांग्रेस की, किसानों की हालत जैसी की वैसी बनी हुई है। किसानों को सिंचाई के लिए आधी रात में बिजली दी जा रही है। म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह किसान हितैषी होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन किसानों को आज भी आधे दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।

सिवनी से किसान संघर्ष समिति के प्रदेश सचिव डॉ. राजकुमार सनोडिया ने कहा कि एमएसपी पर खरीद होने का दावा करने वाले सांसद, विधायक के घर के सामने अनाज से भरी ट्राली खड़ी कर देना चाहिए।

ग्वालियर से किसान संघर्ष समिति के संयोजक एड. राय सिंह ने कहा कि यह आंदोलन संपूर्ण देशवासियों का आंदोलन है। हमें प्रदेश भर में जन सभाओं का दौर शुरू करना होगा।

रायसेन से किसंस के प्रदेश सचिव रामसेन ने कहा कि सालाबर्रु डैम में किसानों को पानी नहीं दिया जा रहा है, जिससे किसानों के खेत सुखे पड़े हैं।

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रीवा से किसान संघर्ष समिति के संयोजक इंद्रजीत सिंह शंखू ने कहा कि किसान आंदोलन से किसानों और आम लोगों में जनजागृति का संचार हुआ है। रीवां में किसानों का अनिश्चितकालीन धरना तब तक जारी रहेगा, जबतक कि किसानों की मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

किसंस के महामंत्री भागवत परिहार ने कहा कि सरकार देश भर में आंदोलन कर रहे किसानों, छात्रों, श्रमिकों, वकीलों को देशद्रोही साबित करने का प्रयास कर रही है। किसान आंदोलन से ध्यान भटकाने के लिए नये नये षड्यंत्र रचे जा रहे हैं।

किसान पंचायत में सिवनी से किसंस के संयोजक राजेश पटेल, मंदसौर से जिलाध्यक्ष दिलीपसिंह पाटीदार शामिल रहे। किसान पंचायत का संचालन किसंस की उपाध्यक्ष एड आराधना भार्गव द्वारा किया गया।

किसान संघर्ष समिति
दिनांक – 12 नवम्बर 2021

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