अरहर पर्वत पहुंची विरासत स्वराज यात्रा 2021-22

केरल और तमिलनाडु बॉर्डर स्थित वाइपर नदी का उद्गम स्थल है अरहर पर्वत

मदुरै गांधी संग्रहालय में सभा करने के बाद दिनांक 8 नवंबर 2021 को विरासत स्वराज यात्रा, केरल और तमिलनाडु बॉर्डर पर वाइपर नदी के उद्गम स्थल अरहर पर्वत, जिला- विरुधनगर पहुंची। यहां स्थानीय लोगों द्वारा रोटरी क्लब में एक सभा आयोजित हुई।

यहां जलपुरुष डॉ राजेंद्र सिंह ने स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि, नदी को जानने, समझने और फिर सहेजने के काम करने हेतु इस नदी क्षेत्र में “नदी पाठशाला” का आयोजन होना चाहिए। जिससे लोग नदी के सभी अंग – प्रत्यंगों को समझ सके। इस पाठशाला में प्रकृति और मानवता का बराबर सम्मान करते हुए इसके पोषण, संरक्षण की शिक्षा पढ़ाई जाना चाहिए।

यह नदी तमिलनाडु से शुरू होकर तमिलनाडु के समुद्र में ही मिल जाती है। इस नदी को 14 जलधाराएं मिलकर बनाती हैं। यहां अंग्रेजी हुकूमत के जमाने में मद्रास की राजधानी थी, इसलिए अंग्रेजों ने यहां बिजली पावर के प्लांट लगाए थे और वह अभी भी चल रहे हैं।

आगे कहा कि, यदि हमारी नदी जिंदा रहेगी, तभी हमारी सभ्यता और संस्कृति जीवित रहेगी। वाइपर नदी तमिलनाडु की बड़ी विरासत है। इसे सहेजकर रखने का कार्य समाज को करना होगा। उसके उपरांत यात्रा ताम्रवर्णी नदी को जानने, समझने के लिए रवाना हुई। इस नदी का उद्गम वेस्टर्न घाट की चोटियों में अगस्त बेंज के अंदर बहुत प्राचीन गहरे जंगल से होता है।

यह नदी तमिलनाडु से शुरू होकर तमिलनाडु के समुद्र में ही मिल जाती है। इस नदी को 14 जलधाराएं मिलकर बनाती हैं। यहां अंग्रेजी हुकूमत के जमाने में मद्रास की राजधानी थी, इसलिए अंग्रेजों ने यहां बिजली पावर के प्लांट लगाए थे और वह अभी भी चल रहे हैं।

इसके केचमेंट एरिया में टाइगर प्रोजेक्ट का गहरा जंगल है। इसलिए नदी का प्रवाह अभी भी अच्छा बना हुआ है।
इस नदी की 14 धाराओं में, हर धारा के ऊपर एक बांध बना हुआ है। बांध बनने के बावजूद भी इस नदी में थोड़ा प्रवाह अभी बचा हुआ है।

ताम्रवर्णी नदी जब ऊपर पहाड़ से चलती है, तो अपने बाल्यकाल में दौड़ कर चलती है। अठखेलियां खेलती हुई नीचे आती है, जहां इसकी तरुण अवस्था होती है। फिर नीचे धरती पर आकर इस नदी की जवानी दिखने लगती है। इसकी तरुणाई काले पत्थरों में दिखती है। जब यह धरती पर बहने लगती है, तब इसकी प्रौढ़ता आती है।

यहां पहाड़ पर पानी रोकने का अद्भुत काम हुआ है। अंग्रेजों ने पहाड़ों पर पानी रोककर, बिजली के प्लांट चलाने हेतु बहुत बड़ी पाइपलाइन डाली थी।

ताम्रवर्णी नदी जब ऊपर पहाड़ से चलती है, तो अपने बाल्यकाल में दौड़ कर चलती है। अठखेलियां खेलती हुई नीचे आती है, जहां इसकी तरुण अवस्था होती है। फिर नीचे धरती पर आकर इस नदी की जवानी दिखने लगती है। इसकी तरुणाई काले पत्थरों में दिखती है। जब यह धरती पर बहने लगती है, तब इसकी प्रौढ़ता आती है।

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विरासत स्वराज यात्रा 2021-22

जब यह समुद्र में लीन होती है अर्थात ताम्रवाणी नदी का विवाह समुद्र के साथ होता है। इस नदी की चौड़ाई तीन किलोमीटर से भी ज्यादा होती है। इसलिए यह अदभुत नदी है। जलपुरुष डॉ राजेंद्र सिंह ने कहा कि, यह दक्षिण तमिलनाडू की पवित्र गंगा है। लेकिन इस नदी पर प्लांट, बांध, फैक्ट्री होने की वजह से नदी का पर्यावरणीय प्रवाह बाधित हो रहा है, कहीं कहीं यह नदी बिल्कुल सूखी नजर आती है, फिर भी एक नदी के अंग प्रत्यंग सभी, इस नदी में दिखते हैं।

इस यात्रा दल में उत्तरप्रदेश से संजय राणा, आंध्र प्रदेश से वी. प्रकाशराव जी, तेलंगाना से सत्यनारायण बुल्लीशेट्टी, तमिलनाडु से गुरु स्वामी आदि प्रदेशों से लोग शामिल हैं।

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