कोरोना के साथ.साथ मौसमी रोगों से भी करें बचाव – वैद्य की सलाह

ड़ा शिव शंकर त्रिपाठी

डा शिव शंकर त्रिपाठी, वैद्य 

देश के दूसरे लाकडाउन का पालन कर हम सब कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने घरों में हैं। इधर मौसम में परिवर्तन हुआ है और तापमान बढ़ने के कारण गर्मी भी बढ़ी है, अतएव ऐसी स्थिति में हमें और भी ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना के साथ-साथ हमें मौसमी रोगों से भी अपने को सुरक्षित रखना है।

(1) गर्मी के कारण डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी होना आम बात है, जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को तेजी से कम करता है। अतएव हमें पानी पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिये। एक व्यक्ति को औसतन कम से कम 3 से 4 लीटर प्रतिदिन पानी पीना आवश्यक है।

(2) धूप एवं गर्मी में कार्यरत लोग जिसमें हमारे कोरोना वारियर्स भी सम्मिलित हैं, उन्हें 2-3 गिलास नींबू की सिकंजी जरूर लेना चाहिये। इसे तैयार करने हेतु एक गिलास पानी में दो चम्मच राब या खाण्ड (गुड़ का चूरा), दो चुटकी सेंधा नमक एवं एक नींबू का रस मिलायें।

(3) मोटी सौंफ एवं धनिया के बीज (प्रत्येक 50 ग्राम) लेकर धीमी आँच में भून कर उन्हें मिलाकर रख लें। दिन में 2 से 3 बार आधा-आधा चम्मच चबाकर खाएँ, जिससे प्यास बुझेगी, सिर दर्द नहीं होगा, पेट में जलन नहीं होगी और न ही गैस बनेगी तथा गर्मी में होने वाली मिचली में भी आराम मिलेगा।

(4) मौसम परिवर्तन में एलर्जी के कारण अक्सर छींके, जुकाम एवं गले में खरास होने का डर बना रहता है, अतएव हमें चाहिए कि अदरख, तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च एवं मुलेठी को मिलाकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम गर्म-गर्म पियें।

(5) नस्य के रूप में गोघृत, तिल तैल या नारियल तैल में से किसी एक को लेकर गर्म करें फिर ठंडा होने पर नाक में 4-5 बूँद रोज सुबह डालें, यह हमें किसी भी प्रकार के वायरस एवं वैक्टीरिया के संक्रमण से बचाने में कवच की तरह काम करेगा। इसके साथ-साथ नाक में नियमित रूप से तैल डालने से सिर, आँख और नाक के रोग नहीं होते। इससे आँखों की रोशनी बढ़ती है। बाल काले-लम्बे होते हैं और समय से पहले न झड़ते हैं और न सफेद होते हैं।

(6) अजवाइन या पुदीना की पत्ती डालकर एक से दो बार इस समय नाक एवं मुख से भाप लेना लाभकर है। इससे नाक और गले की सूजन में लाभ मिलता है तथा मुख विसंक्रमित होता है।

(7) गर्मी में अपच के कारण दस्त एवं पेचिस होने की सम्भावना रहती है। यह कभी-कभी पानी स्वच्छ न होने के कारण भी होता है। अतएव सदैव स्वच्छ एवं विसंक्रमित पानी ही लें तथा खाने के पूर्व साबुन से हाथ अच्छी तरह साफ करें। पेट को दुरुस्त रखने के लिए भुनी अजवाइन चैथाई चम्मच काला नमक या गुड़ के साथ मिलाकर खाने के बाद लेवें तथा हींग का तड़का लगाकर दाल-सब्जी खायें।

(8) रात्रि में सोने के पूर्व 6 से 10 मुनक्के तथा आधा चम्मच हल्दी एक गिलास दूध में उबालकर गुनगुना रहने पर पियें।

(9) भोजन हल्का एवं सुपाच्य लें तथा ताजा ही ग्रहण करें। फ्रिज में रखी चीजों का सेवन कतई न करें। वर्तमान समय में कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम का सेवन करना खतरनाक साबित हो सकता है।

(10) घर में कूलर एवं एयरकंडीसनर्स (ए.सी.) का प्रयोग अभी कोरोना संक्रमण तक न करें।

(11) रात्रि का भोजन प्रत्येक दशा में 8 बजे तक कर लें और रात्रि में 10 बजे तक जरूर सोने का प्रयास करें। इस समय 7 से 8 घण्टे की पूरी नींद लेना आवश्यक है, जिससे रोग प्रतिकारक शक्ति में वृद्धि होगी।

(12) सात्विक एवं सकारात्मक विचार रखें। वर्तमान में रामायण, महाभारत जैसे शिक्षा एवं प्रेरणादायक सीरियल्स को भी टी.वी. में देखें। मन को प्रसन्न रखें तथा मन की एकाग्रता हेतु सुबह 30-40 मिनट योग एवं प्राणायाम अवश्य करें।

(13) सूर्योदय से पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में उठना चाहिये क्योंकि उस समय वातावरण प्रदूषण रहित रहता है तथा प्राणवायु की मात्रा सर्वाधिक रहती है। सुबह उठकर उष्ण जल एक से दो गिलास पीने से शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। पाचन तंत्र नियमित रहता है। समय से पूर्व बालों का सफेद होना तथा झुर्रियों का आना रूकता है।

डा0 शिव शंकर त्रिपाठी,

-भू0पू0 क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी, लखनऊ

-भू0पू0 प्रभारी चिकित्साधिकारी (आयुर्वेद), राजभवन, उत्तर प्रदेश

email : drsstripathi@gmail.com

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