मां पद्मावती के दर्शन के बाद ही पूरा होता है तिरुपति दर्शन

श्री पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर

यूं तो देश ही नहीं, विदेशों से भी बड़ी संख्या में पर्यटक सालभर भगवान तिरुपति (Tirupati) के दर्शन के लिए आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) स्थित तिरुमला (Tirumala) की पहाड़ियों में पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्रि के दिनों में मां पद्मावती के दर्शन का विशेष महत्व है. कम ही लोग जानते हैं कि भगवान तिरुपति के दर्शन का फल तब तक नहीं मिलता, जब तक कि आप मां पद्मावती (श्री पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर) (Tiruchanur Padmavathi Temple) के दर्शन भी न कर लें.

— सुषमाश्री

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर से 5 किलोमीटर दूर तिरुचनूर मार्ग पर स्थित है भगवान वेंकटेश्वर (भगवान विष्णु) की पत्नी महाशक्ति माता पद्मावती (लक्ष्मी) पद्मावती मंदिर, तिरुपति (Padmavathi Ammavari Temple) का यह भव्य मंदिर.

देवी पद्मावती को समर्पित यह खूबसूरत मंदिर तिरुपति के पास एक छोटे से शहर तिरुचनूर में स्थित है. अल्मेलुमंगापुरम के रूप में भी लोकप्रिय इस मंदिर को हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है . देवी पद्मावती को बहुत दयालु कहा जाता है . वह न सिर्फ अपने भक्तों को आसानी से क्षमा कर देती हैं, बल्कि उनकी हर मुराद भी पूरी करती हैं .

ऐसे होता है माता का साज-श्रृंगार

देवी पद्मावती का मंदिर भी तिरुमला के भगवान वेंकटेश्वर मंदिर और दक्षिण के अन्य मंदिरों की तरह द्रविड़ शैली में बना है . देवी पद्मावती को तिरुपति के पीठासीन देवता वेंकटेश्वर की पत्नी माना जाता है . तिरुपति भगवान की तरह पद्मावती मंदिर में देवी का श्रृंगार भी सोने के वस्त्रों व आभूषणों से किया जाता है . मंदिर के ऊपर एक विशाल ध्वज लहराता रहता है, जिस पर देवी पद्मावती के वाहन एक हाथी की छवि बनी हुई है .

कमल के आसन पर पद्मासन में हैं विराजमान

मंदिर में देवी की चांदी की विशाल मूर्ति है, जो कमल पुष्प के आसन पर पद्मासन मुद्रा में बैठी हैं . उनके दोनों हाथों में कमल पुष्प सुशोभित हैं . इनमें से एक फूल अभय का प्रतीक है तो दूसरा पुष्प वरदान का .

मंदिर प्रांगण में कई देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर भी बनाए गए हैं . देवी पद्मावती के अलावा यहां कृष्ण-बलराम, सुंदरा वरदराजा स्वामी और सूर्य नारायण मंदिर भी काफी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन प्रभु वेंकटेश की पत्नी होने के कारण देवी पद्मावती के मंदिर को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है .

तिरुपति बालाजी मंदिर से 5 किलोमीटर दूर तिरुचनूर मार्ग पर स्थित है भगवान वेंकटेश्वर (भगवान विष्णु) की पत्नी महाशक्ति माता पद्मावती (लक्ष्मी) पद्मावती मंदिर, तिरुपति (Padmavathi Ammavari Temple) का यह भव्य मंदिर

भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं दयालु प्रवृत्ति माता पद्मावती

कहते हैं कि मां पद्मावती बेहद दयालु प्रवृत्ति की हैं . माता पद्मावती की शरण में जाने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है . माता के सामने सच्चे मन से सिर झुकाकर मांगी गई भक्तों की हर मुराद मां पूरी करती हैं .

ॐ नमो भगवती पद्मावती सर्वजन मोहनी।

सर्वकार्य करनी, मम विकट संकट हरणी।।

मम मनोरथ पूरणी, मम चिंता चूरणी नमो।

ॐ ॐ पद्मावती नम स्वाहा:।।

मान्यता है कि देवी पद्मावती की वंदना अगर इस मंत्र से की जाए तो मां भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करती हैं —

मंदिर का इतिहास:

मंदिर में एक शिलालेख है, जो यहां के इतिहास के बारे में विस्तार से बताता है . इसके अनुसार, वर्षों पहले मूल रूप से तिरुचनूर में भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित एक मंदिर था .

चूंकि यह काफी छोटा था, इसलिए पुजारियों के लिए अनुष्ठान करना मुश्किल हो रहा था . तब सारे धार्मिक संस्कारों व पूजा विधियों को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया .

आखिरकार, मूल स्थल पर केवल दो महत्वपूर्ण अनुष्ठान किए गए . समय के साथ, यह भी बंद हो गया और धीरे-धीरे यह स्थान नगण्य हो गया .

हालांकि, 12वीं शताब्दी में, यह फिर से सुर्खियों में आया, जब यादव राजाओं ने यहां श्रीकृष्ण बलराम मंदिर का निर्माण किया . बाद में, 16वीं और 17वीं शताब्दियों में, सुंदर वरदराजा देवता की स्थापना की गई और देवी पद्मावती के लिए एक मंदिर बनाया गया .

किंवदंती है कि देवी का जन्म कमल के तालाब में हुआ था, जो अब मंदिर के भीतर बना एक कुंड है .

ऐसे हुईं धरती पर अवतरित

पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी पद्मावती का जन्म कमल के फूल से हुआ है, जो मंदिर के तालाब में खिला था . इसी मंदिर के तालाब में खिले कमल के पुष्प से देवी पद्मावती के रूप में माता लक्ष्मी ने जन्म लिया था, जिन्हें भगवान श्री हरि के वेंकटेश्वर स्वरूप की पत्नी कहा जाता है .

मां लक्ष्मी 12 वर्षों तक पाताल लोक में वास करने के बाद 13वें साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माता पद्मावती के रूप में धरती पर अवतरित हुई थीं .

देवी पद्मावती का जन्म कमल के फूल और मंदिर के तालाब से होने के कारण वही तालाब एक कुंड रूप में परिवर्तित हो गया है .

भगवान तिरुपति के दर्शन का फल तब तक नहीं मिलता, जब तक कि आप मां पद्मावती (श्री पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर) (Tiruchanur Padmavathi Temple) के दर्शन भी न कर लें

इस समय आएं:

मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय नवरात्रि (एक पवित्र नौ दिवसीय त्योहार), दशहरा, थेपोत्सव (नाव उत्सव) और कार्तिक के महीने में सबसे अच्छा माना जाता है, मान्यता है कि भगवान वेंकटेश, इस समय देवी पद्मावती को उपहार भेजते हैं .

प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि यानि दीपावली के दिन भगवान वेंकटेश्वर देवी पद्मावती के लिए उपहार भेजते हैं . यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है .

कैसे पहुंचें :

यहां तक पहुंचने के लिए आपको बिल्कुल भी परेशानी नहीं होगी . तिरुपति सड़क और रेल, दोनों ही मार्गों के जरिये देश के सभी शहरों से जुड़ा है . देश के तकरीबन सभी बड़े शहरों से तिरुपति तक पहुंचने के लिए सीधी रेल सेवा है .

सड़क मार्ग- हैदराबाद से 547 किलोमीटर दूर है तिरुपति और यह गांव तिरुपति से 5 किलोमीटर दूर है . यह गांव सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है .

इसके अलावा जिन शहरों से तिरुपति तक रेल सेवा नहीं है, वे चेन्नई होते हुए आसानी से तिरुपति जा सकते हैं . चेन्नई से तिरुपति की दूरी करीब 150 किलोमीटर है . चेन्नई से तिरुपति जाने के लिए बसें भी आसानी से उपलब्ध हैं .

तिरुपति पहुंचने के बाद तिरुपति रेलवे स्टेशन से मंदिर तक जाने के लिए आसानी से बसें मिल जाती हैं . वैसे, आप चाहें तो ऑटो से भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं .

रेलमार्ग – तिरुपति रेलवे स्टेशन से यहां के लिए रेल भी ले सकते हैं . तिरुपति रेलवे स्टेशन से पद्मावती मंदिर की दूरी 5 किलोमीटर ही है . महज 20 से 25 मिनट में आप यह दूरी आसानी से तय कर सकते हैं .

वायुमार्ग – यहां का निकटतम हवाई अड्डा तिरुपति में है .

मंदिर के ऊपर एक विशाल ध्वज लहराता रहता है, जिस पर देवी पद्मावती के वाहन एक हाथी की छवि बनी हुई है

कहां ठहरें :

तिरुपति में ठहरने के लिए प्राइवेट होटल और गेस्ट हाउस की कमी नहीं है . यहां हर बजट के लोगों के रहने के लिए आसानी से कमरे मिल जाते हैं . इनमें सबसे सुविधाजनक है तिरुमला-तिरुपति देवस्थानम संचालित गेस्ट हाउस माधवन, शिव निवासम और विष्णु निवासम .

विष्णु निवासम रेलवे स्टेशन के सामने ही स्थित है . इनकी बुकिंग पहले ही तिरुमला-तिरुपति देवस्थानम (TTD) के वेबसाइट https://tirupatibalaji.ap.gov.in/ से की जा सकती है . पहले से ही कमरा बुक कर लें तो आपको आसानी होगी .

मंदिर में दर्शन का समय :

पद्मावती मंदिर में दर्शन सुबह 5 बजे ही शुरू हो जाता है, जो हर दिन के मुहूर्त के हिसाब से अलग-अलग या 10-20 मिनट आगे पीछे होता है . मुहूर्त के अनुसार ही मंदिर दर्शन के लिए पूरे दिन में कई बार खुलता और बंद होता है . कभी-कभी तो दर्शन करने में कई घंटे का समय लग जाता है .

यहां दर्शन के लिए 25 रुपये का एक कूपन लेना पड़ता है, जिसके लिए मंदिर के मुख्य द्वार पर कई काउंटर हैं . ये काउंटर भी दर्शन के समय के अनुसार ही खुलते और बंद होते हैं .

Leave a Reply

Your email address will not be published.

16 − one =

Related Articles

Back to top button