प्रदेश में मेडिकल कालेजों के इंटर्न डाक्टरों का स्टाइपेंड दिहाड़ी मज़दूर से भी कम, दस साल से नहीं बढ़ा

असम में रु 31500, कर्नाटक में रु 30000,पश्चिम बंगाल में रु 28050 केंद्र में 23500रु प्रतिमाह है

 

केजीमयू इंटरन प्रदर्शन करते हुए

(मीडिया स्वराज़ डेस्क )

उत्तर प्रदेश के एमबीबीएस एवम बीडीएस इंटर्न डॉक्टरों के स्टाइपेंड में पिछले 10 सालों से कोई बढौतरी नही हुई है. पिछले 10 सालों में महंगाई में कई गुना बढ़ोतरी हुई, पर इनका स्टाइपेंड 7500रु प्रतिमाह ही है।इसमें से रुपया 1500 कमरे का किराया कट जाता है, हाथ आता है केवल रुपया 6000 , जिसमें खुराक का भी खर्च नहीं निकलता. 

ये लोग पाँच साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक साल के लिए इंटर्नशिप करते हैं. फिर पी जी की पढ़ाई या प्रैक्टिस अथवा नौकरी करते हैं.लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम कर रहे एक  इंटर्न ने बताया कि वे  इतने पैसे में वे कोविड महामारी के दौर में अपने कर्तव्यों का पालन भी कर रहे है।

लगातार 8 से 10 घंटे जहां भी जरूरत हो जैसे ट्रायज एरिया, फ्लू ओ पी डी, इमरजेंसी, होल्डिंग एरिया, जहाँ पर कि संक्रमण के सबसे ज्यादा रिस्क हैं, काम पर  लगे हुए है।  बदले में सरकार 250रु प्रतिदिन देती है, जो दैनिक मजदूर को मिलने वाली राशि से भी  कम है। अन्य राज्यों के इंटर्न डॉक्टर की स्टाइपेंड जैसे कि असम में 31500, कर्नाटक में 30000,पश्चिम बंगाल में 28050 तथा ज्यादातर राज्यो में 22000 से 25000 प्रतिमाह के बीच है।केंद्रीय संस्थानों में 23500रु प्रतिमाह है.

एक विज्ञप्ति के अनुसार ये लोग कई महीने से अपनी बात विभिन्न माध्यमो से सरकार तक पहुँचा रहे है।इसके लिए प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेजों में प्रदर्शन तथा कैंडल मार्च किये गए। इसी क्रम में 21 जुलाई को KGMU, लखनऊ में शांतिपूर्ण कैंडल मार्च निकाला गया।
इनका स्टाइपेंड दिहाड़ी मज़दूरों की न्यूनतम मज़दूरी  से भी कम है . मगर किसी ने इन्हें जवाब देना भी ज़रूरी नहीं समझा.

सरकारी मेडिकल कालेजों में लगभग दो हज़ार इंटरन डाक्टर हैं और इतने ही प्राइवेट मेडिकल कालेजों में. मेडिकल कालेज के रेज़िडेंट डाक्टर एसोशिएशन ने प्रशासन को लिखे पत्र में कहा है कि पर्याप्त स्टाइपेंड  न मिलने इन डाक्टरों में हताशा फैल रही है और मनोबल गिर रहा है. इसलिए  इस मामले में तत्काल निर्णय लिया जाए. इन डाक्टरों ने  ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील  की है कि वे तत्काल  फ़ाइल मंगाकर  कर स्टाइपेंड केंद्रीय संस्थानों के बराबर कर दी जाए. 

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