अटल बिहारी वाजपेयी को 800 भेड़ें लेकर क्यों जाना पड़ा चीनी दूतावास
(मीडिया स्वराज़ डेस्क)
भारत और चीन के बीच विवाद वर्षों से चला आ रहा है। इससे जुड़ा वर्ष 1965 का एक ऐसा किस्सा है, जो दुनिया में विख्यात हो गया।बात 1965 की है, तब चीन ने भारत पर झूठे आरोप लगाने का क्रम जारी रखा और परिणाम भुगतने की धमकियां देनी शुरू कर दीं। चीन के इस रवैये को लेकर भारत के भीतर आक्रोश बढ़ता जा रहा था। इसी बीच चीन ने 1965 में पत्र लिखकर भारतीय सैनिकों पर उसकी भेड़ें और याक चुराने का आरोप लगाया। इसके साथ-साथ उसने यह धमकी भी दी कि अगर जानवर वापस नहीं किये गए तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
दरअसल, उस समय चीन सिक्किम पर कब्जा जमाने की फिराक में था। चीन ने भारत को कई पत्र लिखे थे। उसमें से एक पत्र में उसने भारतीय सैनिकों पर तिब्बत के चरवाहों की 800 भेड़ें और 59 याक चुराने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं चीन ने अपने जानवर भारत से वापस मांगे और ऐसा न करने की स्थिति में परिणाम भुगतने को तैयार रहने तक की धमकी तक दे डाली।
चीन के इस बेतुके आरोप का विरोध जताने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक खास तरकीब निकाली। वह दिल्ली में चीनी दूतावास में 800 भेड़ों का एक बड़ा झुंड लेकर पहुंच गए। वहां, उन्होंने कहा कि अब चीन भेड़ों और याक पर विश्व युद्ध शुरू करने की फिराक में है। भेड़ों के गले में तख्ते थे जिनपर लिखा था, ‘हमें खा लीजिए, लेकिन दुनिया को बचा लीजिए।’
अटल बिहारी वाजपेयी की इस हरकत की चर्चा विदेशों में भी हुई। इससे चीन परेशान हो गया क्योंकि इस अजीबोगरीब प्रदर्शन से उसकी भारत को दी जा रही धमकियां सबके सामने आ गई थीं। इसके बाद चीन में भारतीय दूतावास को गुस्से से भरी एक चिट्ठी भेजी गई जिसमें शिकायत थी कि वाजपेयी का विरोध प्रदर्शन असल में भारत सरकार द्वारा समर्थित था। इस चिट्ठी में यह भी आरोप लगाया गया कि भारतीय सैनिक चीन के क्षेत्र में घुसे और वहां निर्माण कार्य भी किया है।
इसके बाद इस चिट्ठी के जवाब में भारत सरकार ने लिखा कि 800 भेड़ों और 59 याक के बारे में भारत सरकार पहले ही जवाब दे चुकी है। हमें इनके बारे में कुछ नहीं पता है। वहीं वाजपेयी के ‘भेड़ प्रदर्शन’ पर भारत ने लिखा कि चीन ने 26 सितंबर की चिट्ठी में नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास में शांतिपूर्ण प्रदर्शन का विरोध किया है। भारत सरकार का इस प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है। यह चीन के अल्टीमेटम के खिलाफ भारतीय नागरिकों द्वारा शांतिपूर्ण और अच्छे मजाकिया तरीके से किया गया एक प्रदर्शन मात्र था।