कोरोना युग में क्या हवाएं डरावनी हो जाएँगी ?सांस लेना भी क्या दूभर हो जाएगा ?

—डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी ,प्रयागराज

चंद्र विजय चतुर्वेदी

मानव सभ्यता के इतिहास में सन 2020 को न भूतो न भविष्यति ,ऐसे कोरोना युग के रूप में याद किया जाएगा जब धरती का शहंशाह प्राणी मानव एककोशीय क्षुद्र अर्द्धजीव के समक्ष नतमस्तक हो त्राहिमाम करते साथ जीने साथ मरने की कसमें खाने लगा। क्या बिडम्बना है जैसे अन्य बीमारियों ने भी कोरोना के समक्ष घुटने टेक दिए हों। छह माह होने के आये ,ग्रहों और अंररिक्ष अभियान का सूरमा विज्ञानं कोरोना से मुक्ति हेतु वैक्सीन नहीं बना पाया ,जो दवाइयाँ खोजी भी गई वे इतनी महँगी हैं और उनकी कालाबाजारी भी होने लगी कि वे आम आदमी की पहुँच से बाहर ही रहेंगी। सरकार कृपा कर दे तो और बात है अन्यथा सामान्य व्यक्ति को कीट मर्कट की नाई विधि के विधान का ही पालन करना है।

आज का विश्व जो ग्लोबल विलेज बनरहा था ,कुछ कुछ बन भी गया था कुछ लोगों के लिए। किसी वैश्विक संस्कृति के उदय की प्रतीक्षा में उत्तर आधुनिक युग के आज के मानव को विश्व के सार्वभौमिक परिवर्तन की अपेक्षा थी ,पर दुर्भाग्य यह विश्व कुछ सौदागरों का ग्लोवल बाजार बनकर रह गया। इस कोरोना युग में मानव के प्राण के साथ राजनीती की जा रही है ,सौदेबाजी की जा रही है। राजनैतिक छल प्रपंच ज्ञान विज्ञानं के क्षेत्र को भी प्रभावित करने लगे हैं। आज के विश्वग्राम -ग्लोवल विलेज का वातावरण भय आतंक से ग्रस्त है ,कोरोना ने तो इस भय को
चोखा कर दिया है। व्यक्ति भयग्रस्त है ,समाज भयग्रस्त है ,देश भयग्रस्त हैं। सोचिये विश्वग्राम की अवधारणा में ,विश्व के राष्ट्र घटकों में भौतिक एकता में ,आर्थिक एवं राजनैतिक संबंधों समझौतों में कहीं विश्वबंधुत्व में वृद्धि हुयी है ?कहीं वैश्विक नागरिकता का बीजारोपण हुआ है क्या ?
अंततः आज के मानव को अंतस की एकता की अनदेखी कर विश्व के द्वैतचारित्र और द्वन्द में ही कोरोना वायरस के साथ जीना पडेगा। डव्लूएचओ ने उन्तीस देशों के दो सौ से अधिक वैज्ञानिकों की बात को स्वीकार कर यह मान लिया है की कोरोना संक्रमण का विसरण वायु के माध्यम से हो रहा है। यह अत्यंत चिंताजनक स्थिति है। क्या हवाएं डरावनी हो जाएंगी ?क्या मानव का साँस लेना दूभर हो जाएगा।

प्रकृति प्रसूता इस मानव का अस्तित्व जिन पंच महाभूतों –क्षिति ,जल ,पावक ,गगन और समीरसे है उसमे जल महतत्व तो मानव और प्रकृति के हाथ से निकल कर आज से पचास साल पूर्व ही बाजार के हाथ चला गया। अरबों रुपये का व्यापार पीने के पानी का हो रहा है। इस कोरोना युग में दूसरे महातत्व वायु पर बाजार की दृष्टि पड़ गयी है। कोरोना का संक्रमण वायु के माध्यम से हो रहा है इसके निदान पर वैज्ञानिकों की दृष्टि गई है। अमेरिका के हाउस्टन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का एक अध्ययन –जर्नल मटेरियल्स टुडे फिजिक्स में प्रकाशित हुआ है जिसमे एक ऐसे कैच एंड कील एयर फ़िल्टर के ईजाद का उल्लेख है जो नोवोल कोरोना वायरस को ट्रैप करके तत्काल निष्क्रिय कर देगा जिससे कोविड 19 के विसरण को रोका जा सकेगा। कोरोना वायरस तीन घंटे हवा में रहता है जो 70 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के ताप पर जिन्दा नहीं रह सकता। इस फ़िल्टर में निकिल फोम का प्रयोग कर 200 डिग्री सेल्सियस के ताप पर कोरोना वायरस को समाप्त किया जाएगा। यह फ़िल्टर सार्वजनिक स्थानों के लिए तो अति आवश्यक है। यह फ़िल्टर आगे चलकर ऐसी में लगकर कमरों को भी कोरोना मुक्त कर सकेगा। विज्ञान के मानवतावादी बने रहने में ही मानव का कल्याण है इन्हे बाजार से बचाना होगा।

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