हरिद्वार में भड़काऊ भाषण देने के बाद हिन्दू नेताओं ने पुलिस पर दबाव बनाया

शुरू में एक स्थानीय द्वारा प्राप्त शिकायत के आधार पर केवल एक व्यक्ति- उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी, जो जितेंद्र नारायण त्यागी बने, को प्राथमिकी में नामित किया गया था। लेकिन 26 दिसंबर को अन्नपूर्णा मां उर्फ ​​पूजा शकुन पांडेय, निरंजिनी अखाड़ा के 'महामंडलेश्वर' और हिंदू महासभा के महासचिव के नाम; और बिहार निवासी धर्मदास महाराज का नाम भी इस FIR में जोड़ा गया। हालांकि, अबतक इनमें से किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

धर्म संसद मामले में दंगा भड़काने की कोशिश

जैसे-जैसे यूपी चुनावों का समय करीब आ रहा है, बीजेपी जीत के अपने हर पैंतरे को पूरी तरह से आजमा लेना चाह रही है। बीते दिनों उत्तराखंड में आयोजित एक धर्म संसद मामले में दंगा भड़काने की कोशिश करता एक वायरल वीडियो बीजेपी के राजनीतिक पैंतरों की पोल खोलती दिख रही है।

बता दें कि 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में एक धर्म संसद का आयोजन किया गया था, जिसमें मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वाली और दंगा भड़काने वाली बातें की गई थीं। इसके बाद कार्यक्रम में भाग लेने वाले पांच लोग हरिद्वार पुलिस स्टेशन पहुंचकर तीन मौलवियों के खिलाफ दंगा फैलाने को लेकर प्राथमिकी भी दर्ज करवा आये, हालांकि, फिलहाल पुलिस ऐसे किसी भी एफआईआर के दर्ज होने से अब मुकर रही है।

घटना की वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद, हरिद्वार पुलिस ने 23 दिसंबर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 ए (ए और बी) (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया है, जिसमें अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान है।

शुरू में एक स्थानीय द्वारा प्राप्त शिकायत के आधार पर केवल एक व्यक्ति- उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी, जो जितेंद्र नारायण त्यागी बने, को प्राथमिकी में नामित किया गया था। लेकिन 26 दिसंबर को अन्नपूर्णा मां उर्फ ​​पूजा शकुन पांडेय, निरंजिनी अखाड़ा के ‘महामंडलेश्वर’ और हिंदू महासभा के महासचिव के नाम; और बिहार निवासी धर्मदास महाराज का नाम भी इस FIR में जोड़ा गया। हालांकि, अबतक इनमें से किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

एफआईआर दर्ज होने के इतने दिनों बाद भी उनकी गिरफ्तारी न होने के मामले में पुलिस अधिकारियों ने कोविड नियमों के पालन को बताया जिसके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट की उस गाइडलाइन का हवाला दिया गया है जिसके अनुसार फिलहाल बहुत जरूरी और कम मामलों में ही गिरफ्तारी किये जाने की बात की गई है।

वायरल वीडियो की जांच के लिये फिलहाल उसे फॉरेंसिक लैब भेज दिया गया है। बता दें कि वीडियो में पुलिस ऑफिसर राकेश कथैट के साथ वीडियो में हरिद्वार धर्म संसद में शामिल कई लोग नजर आ रहे हैं। इनमें हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधानंद गिरी भी दिख रहे हैं। साथ ही धार्मिक नेता यति नरसिंहानंद, पूजा शकुन पांडे, आनंद स्वरूप और वसीम रिजवी उर्फ ​​जितेंद्र नारायण भी दिखाई देते हैं। इनमें से तीन का नाम उत्तराखंड पुलिस द्वारा हरिद्वार में भड़काऊ भाषण देने के मामले में दर्ज प्राथमिकी में है।

वीडियो में पूजा शकुन पांडे पुलिस अधिकारी की ओर इशारा करते हुए कहती हैं, “एक संदेश जाना चाहिए कि आप बायस्ड नहीं हैं। आप प्रशासनिक अधिकारी हैं और आप सभी के प्रति इक्वल रहा करें। यह उम्मीद हम आपसे रखते हैं और आपकी सदैव जय हो। वहीं बगल में खड़े यति नरसिंहानंद कहते हैं, ”लड़का हमारे तरफ होगा।” फिर कमरे में मौजूद सभी लोग हंस पड़ते हैं। जबकि पुलिस अधिकारी मुस्कुराता है और सिर हिलाता है। बता दें कि हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके बाद से विवाद जारी है। बता दें कि सोशल मीडिया पर यह वीडियो सामने आने के बाद कई हस्तियों ने अपनी नाराजगी जताई थी।

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