Virasat Swaraj Yatra 2022: विरासत स्वराज यात्रा प्रयागराज पहुंची

Virasat Swaraj Yatra 2022: जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि,  मैं इस सरस्वती नदी को जानने-समझने के लिए पिछले 10 सालों से बराबर कोशिश कर रहा था।

Virasat Swaraj Yatra 2022: दिनांक 10 जनवरी 2022 को विरासत स्वराज यात्रा (Virasat Swaraj Yatra)  श्रृंग्वेरपुर धाम प्रयागराज पहुँची है। विरासत स्वराज यात्रा प्रकृति और मानवता, धरती और नदियाँ इन सभी की समझ विकसित करने के लिए निकली है। यहां सबसे पहले श्रृंग्वेरपुर में निषाद राजा का किला और वहां की पुरानी विरासत तालाब पर पहुंचे । यह यहां की बहुत प्राचीन विरासत है।

इसके उपरांत यात्रा प्रयागराज विश्नानदी पर पहुंची। यह नदी पहले बरोठी नदी के नाम से जानी जाती थी। यह नदी आज बसना नाला बन गई है। नदी की दोनों तरफ की जमीन में खेती हो रही है। जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि,  यह विनाश बहुत ही भयानक है। इसलिए आज  नदियां गंदे नाले कैसे बन गई है? नाले नदियों की हत्यारे कैसे हो जाते है? यह समझना बहुत जरूरी है।

नदियों का जीवन जिस देहकुंड से बनता था, उसको देखा। श्रृंग्वेरपुर, यह पूरा इलाका ऋषि भूमि की तरह रहा होगा। क्योंकि यहाँ पर नदियाँ आज भी जवानी में बह रही है। यह क्षेत्र हमारी मां गंगा जी का जवानी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में मां गंगा अपने पूरे यौवन में होती है। जो गंगा छोटी – छोटी नदियों व धाराओं से बनती थी। वह पूरे यौवन के साथ प्रयागराज पहुँचती है। *प्रयागराज वह स्थान होता है। प्रयागराज राज में यमुना नदी मिल जाती है। जहाँ कोई भी दो जल धाराओं के मिलने से उस जल की विशिष्टता – गुणवत्ता बढ़ जाए। इसलिए यमुना और गंगा के योग का स्थान है। इस योग का संगम प्रयागराज कहलाता है।

इसके 40 किलोमीटर ऊपर यमुना जी में पहले सरस्वती मिलती है। जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि,  मैं इस सरस्वती नदी को जानने-समझने के लिए पिछले 10 सालों से बराबर कोशिश कर रहा था। यह मुझे समझ नहीं आ रहा था कि, सरस्वती कहा मिलती है। अभी बहुत ही स्पष्ट प्रमाणों के साथ समझ आ गया है। आज कल जो ससुर खरेरी नाम से जो नदी जानी जाती है। यह नदी ही सरस्वती नदी है। यह अंतरवाहिनी नदी और सभ्यता है। यहां उपस्थित सभी लोगों ने संगम पर संकल्प लिया कि, ससुर खदेरी नदी ही सरस्वती नदी है। इसके राजपत्रित करवाना है।

इसके उपरांत यात्रा शुरुआत संस्था पहुंची । यहां सामाजिक कार्यकर्ता, बच्चों संस्था के लोगों ने यात्रा का स्वागत किया । यह संस्था बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रही है। यहां जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि, वर्तमान में  हम विद्या को समझने की जरूरत है। यह विद्या सभी के शुभ के लिए होती है और शिक्षा लाभ के लिए होती है। शिक्षा प्रकृति पर अतिक्रमण, प्रदूषण और शोषण करती है। विद्या हमें प्रकृति का पोषण सिखाती है।

इसके बाद जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने हलधर पत्रिका,त्रासदी पुस्तक का विमोचन किया। इसके उपरांत यात्रा  इसके उपरांत श्रृंग्वेरपुर के बायोंवेद इंस्टीट्यूट में पहुंची। यहां  यात्रा का स्वागत प्रधानाचार्य डॉ वी. के. दिवेदी ने किया। प्रधानाचार्य ने कहा कि,  जैसे राम जी ने अपने 14 वर्ष वनवास का आरंभ किया ,वैसे ही आपके यहां आ जाने से हम राम राज्य की कल्पना करते है। 

शाम को जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने प्रयागराज में जय त्रिवेणी और जय प्रयाग सीमित द्वारा आयोजित संगम में आरती और पूजन किया। इस यात्रा में आज चंद्र शेखर प्राण, आर्येशेखर, अरविंद कुशवाहा, नलिनी मिश्र आदि उपस्थित रहे। विरासत स्वराज यात्रा का दूसरा दल सुरेश रैकवार के नेतृत्व में अतर्रा बाँदा बुंदेलखंड पहुंचा।

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