वाह रे हुनरबाज़ प्रवासी श्रमिकों! क्वारंटाइन रहते कर डाला स्कूल का कायाकल्प

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिली इस क्वारंटाइन सेंटर से प्रेरणा

अनिल सिंदूर

अनिल सिंदूर, स्वतंत्र पत्रकार

उन्नाव. इच्छाशक्ति एक ऐसा शब्द है जिसके दम पर व्यक्ति असंभव को भी सम्भव कर सकता है और एक नई मिसाल स्थापित कर सकता है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद में देखने को मिला है। यहां प्रवासी श्रमिकों की इच्छाशक्ति मात्र से एक प्राथमिक विद्यालय का ऐसा कायाकल्प हुआ कि अब अधिकारी भी यहां की मिसाल दे रहे हैं। हम बात कर रहे हैं यूपी के उन्नाव जनपद के विकास खंड अजगैन की ग्राम पंचायत नारायनपुरा में बने सरकारी स्कूल की। कोविड-19 महामारी के दौरान हैदराबाद से पैदल और विभिन्न संसाधनों से जब प्रवासी श्रमिक अपने गाँव पहुँचे तो उन्हें क्वारंटाइन सेंटर यानि गांव के प्राथमिक विद्यालय ले जाया गया। जब उन्होंने प्राथमिक विद्यालय की जीर्ण शीर्ण अवस्था देखी तो उन्होंने क्वारंटाइन स्थल की व्यवस्था देख रहे अधिकारी से कहा हम पेंटिंग का कार्य जानते हैं, यदि हमें संसाधन उपलब्ध करवा दें तो वह इस विद्यालय का कायाकल्प कर देंगे। संसाधन उपलब्ध होते ही उन्होंने विद्यालय का अपने श्रमदान से कायाकल्प कर डाला। हुनरबाज़ श्रमिकों का यह श्रमदान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गया, जिसका जिक्र बीते 20 जून को वीडियो कोंफ्रेंसिंग में उन्होंने किया है।

उन्नाव स्कूल ताकि सनद रहे

जानकारी के मुताबिक हैदराबाद से तीन युवक विनोद पुत्र घसीटे, अरुण पुत्र राजेश तथा कमलेश पुत्र लल्लू कोविड -19 महामारी के दौरान घर की याद आने पर पैदल ही अपने गाँव नारायनपुरा के लिए चल दिए। कहीं किसी ट्रक ने 10-20 किमी. को बैठा लिया तो बैठ गये नहीं तो पैदल ही चलते रहे। जब वह रास्ते में जंगलों से गुजरे तो उनके लुटेरों ने उनके पास मौजूद रुपए पैसे और मोबाइल लूट लिए। विनोद ने बताया कि दूसरा लॉकडाउन जब घोषित हुआ तो उसके दूसरे दिन ही दोनों साथियों के साथ वह पैदल गाँव को रवाना हुये। गाँव आते-आते 13 दिन लग गये। गाँव पहुँचते ही 14 दिन के लिए क्वारंटाइन किया गया और सभी को प्राथमिक विद्यालय नारायनपुरा में रखा गया। जब प्राथमिक विद्यालय की दयनीय दशा देखी तो हम तीनों ने श्रमदान से प्राथमिक विद्यालय की दीवालों को नया रूप देने की ठानी। अपना प्रस्ताव क्वारंटाइन स्थल की व्यवस्था देख रहे बीडीओ केएन पाण्डेय को बताया तो उन्होंने ग्राम्य विकास अधिकारी धीरेन्द्र रावत और प्रधान राजू यादव को सभी संसाधन जुटाने को कहा। हम लोगों ने पुट्टी से दीवालों के गड्ढे भर कर पूरे विद्यालय की पेंटिंग कर डाली। दीवाल लेखन का कार्य उसके बाद किया।

उन्नाव विद्यालय में चित्रकारी

सोशल मीडिया पर यह कार्य वीडियो के माध्यम से वायरल हुआ। वायरल वीडियो की भनक प्रधानमंत्री कार्यालय को लगी तो कार्यालय के अधिकारियों ने जिलाधिकारी रवीन्द्र जी को सत्यता परखने को कहा। जिलाधिकारी रवीन्द्र ने आनन फानन में बीडीओ केएन पाण्डेय से वीडियो तथा फोटो पीएमओ कार्यालय भेजने के लिए मांगे। जिलाधिकारी ने कहा कि उन्हें ये अपेक्षा नहीं थी कि श्रमदान के वायरल हुये वीडियो को पीएमओ देख रहा है और प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी वीडियो कोंफ्रेंसिंग में इस जनपद का जिक्र करेंगे।
वहीं, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के जनपद उन्नाव में स्थित इस क्वारंटाइन सेंटर यानि प्राथमिक विद्यालय नारायनपुरा का जिक्र करते हुए बताया कि उन्हें पीएम गरीब कल्याण योजना की प्रेरणा उत्तर प्रदेश के जनपद उन्नाव के क्वारंटाइन स्थल यानि इस सरकारी विद्यालय की कायाकल्प करने वाले उन तीन श्रमिकों से मिली जो रंगाई-पुताई और पीओपी के कार्य में पारंगत थे। इन श्रमिकों ने क्वारंटाइन के दिनों का उपयोग करते हुये अपने श्रमदान से विद्यालय का कायाकल्प कर दिया। जैसे ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उन्नाव का जिक्र प्रधानमन्त्री ने किया उन्नाव प्रशासन सकते में आ गया और जिलाधिकारी सहित जिले के आलाधिकारी ग्राम पंचायत नारायनपुरा पहुँच गये। जिलाधिकारी रवीन्द्र ने श्रमिक विनोद से मुलाकात की और उससे कहा गाँव में कुछ मदद चाहिये तो उसने कहा मेरे घर पर विद्युत् कनेक्शन नहीं है यदि हो सके तो करवा दें। जिलाधिकारी ने तत्काल प्रभाव से विद्युत् कनेक्शन करने की मंजूरी दे दी। आपको बता दें कि वर्तमान में विनोद प्रधानमन्त्री आवास योजना, शौचालय तथा उज्ज्वला योजना का लाभ ले रहा है। विनोद की पत्नी रामरती मनरेगा की जॉब कार्ड धारक है। इस गाँव की हर ओर चर्चा हो रही है।

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