राम मन्दिर – सोमपुरा के शिल्प में ढलता इतिहास
—लीना मिश्र
अब से नौ दिन बाद अयोध्या में भगवान राम के ऐतिहासिक मन्दिर का शिलान्यास प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी करने जा रहे हैं । पूरा देश सांसे रोके सा इस महाद्वीप के उस मन्दिर के पुनर्निर्माण को देख रहा है, जिसे अफगानी आक्रान्ता बाबर के सेनापति मीर बाकी ने कोई 500 सौ वर्षों पूर्व ढहा दिया था । पूरा भारत जनना चाहता है कि त्रेतायुगीन राम का मन्दिर कैसा होगा और कौन उसका शिल्पकार है ।
अयोध्या में स्थान रामजन्म स्थान पर बनने वाले मन्दिर के शिल्पकार चन्द्रकांत सोमपुरा हैं जो अहमदाबाद नारानपुरा के हैं और 10×12 फुट के कमरे से अपना मन्दिर शिल्पकारी का पैतृक व्यवसाय ” सी बी सोमपुरा टेम्पल आर्कीटेक्ट्स ” नाम से चला रहे हैं । सोमपुरा जो इस समय 77 वर्ष के हैं , के पुत्र और पौत्र भी इसी कार्य में संलग्न हैं। यह उल्लेखनीय है कि सोमपुरा परिवार सोमनाथ मन्दिर के वास्तुकार रहे हैं। चन्द्रकांत सोमपुरा के पितामह प्रभाशंकर सोमपुरा ने प्रभास पाटन में सोमनाथ मन्दिर शिल्पित किया था। उनकी विशाल आवक्ष प्रतिमा सोमपुरा के आॅफिस के दरवाजे पर ही लगी है।
राम मन्दिर के निर्माण में चन्द्रकांत सोमपुरा को सोमनाथ मन्दिर से जुडी़ पारिवारिक ख्याति ने खींचा । बात वर्ष 1990 की है जब राम जन्म भूमि आन्दोलन के लिए संघर्षरत विश्व हिन्दू परिषद नेता अशोक सिंघल ने चन्द्रकांत सोमपुरा को अयोध्या ले गये , सोमपुरा उस समय जवान थे 47 वर्ष के और पहली बार भगवान राम के जन्मस्थान को देखने का अवसर उन्हें मिला था। पूरा इलाका सैनिक छावनी में बदला हुआ था । सिंघल उन्हें राम जन्म भूमि मन्दिर का एक माॅडल बनाने हेतु मौका मुआयना कराने ले गये थे । विडम्बना यह थी कि सोमपुरा को अपने साथ नाप-जोख के औजार भी सिक्योरिटी चिन्ताओं के कारण ले जाने की अनुमति नहीं थी। ऐसे में उन्होंने नाप-जोख की आदम पद्धति का प्रयोग करते हुए पैरों के कदमों से मन्दिर की भूमि और ढांचे को मापा था । सोमपुरा बताते हैं कि ” उस जगह कुछ खास तरह की अनुभूति मुझे हो रही थी ! ” सोमपुरा के बनाये मन्दिर माॅडल को प्रस्तुत कर सिंघल ने जन्म भूमि आन्दोलन को नयी उर्जा प्रदान की थी।
अहमदाबाद के वाणिज्यिक क्षेत्र में बने सोमपुरा के आॅफिस में कम्प्यूटर पर राम मन्दिर के 3 डायमेन्सन शिल्प को तैयार करते कुछ लोग व्यस्त दिखे । वे राम मन्दिर का बडा़ माॅडल बनाने का कार्य कर रहे थे। नये बडे़ मन्दिर के माॅडल को स्वीकृति गत 18 जुलाई को ” राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट” द्वारा दिया गया है।
इस नये माॅडल केअनुसार मन्दिर के लिए साइट प्लान तैयार कर रहे 49 वर्षीय आशीष सोमपुरा ( सोमपुरा के पुत्र) ने बताया कि वह राम मन्दिर के फाइनल माॅडल के लिए 18 जुलाई वाली अयोध्या बैठक में सम्मिलित हुए थे । वह स्वयं एक प्रतिष्ठित संस्थान बीसी पटेल स्कूल आफ आर्किटेक्चर आनन्द से शिल्प शास्त्र में डिग्री प्राप्त आशीष सोमपुरा ने ही सर्वप्रथम राम मन्दिर माॅडल बोर्ड को आफिस के कमरे से बाहर लाकर प्रदर्शित कराया । उन्होंने बताया कि पहले वाला राम मन्दिर माॅडल वर्तमान फाइनल माॅडल के सामने आकार-प्रकार व दर्शनीयता में महत्वहीन है। उन्होंने स्वीकार किया कि राम मन्दिर का प्रोजेक्ट एक बहुत बडा़ कार्य है तब पता चला जब बाबरी ढांचा 6 दिसम्बर 1992 में अनियंत्रित राम भक्त कारसेवको द्वारा ध्वस्त कर दिया गया और पूरी दुनिया में यह गूंज गया । इसके बाद राम मन्दिर कार्यशाला में पत्थर तराशने के कार्य में तेजी आयी।वर्ष 1992 से 1996 तक विश्व हिन्दू परिषद के अनुषांगिक संगठन राम जन्म भूमि न्यास के तत्वावधान में पत्थर गढ़ने का काम बहुत गतिशीलता से सम्पन्न हुआ।पर उसके बाद अर्थाभाव के कारण काम की गति कछुआ चाल में बदल गयी।
आशीष सोमपुरा ने बताया कि उनके किशोरावस्था से वे इसे देखते आ रहे हैं और सोचते थे कि अन्य मन्दिर प्रोजेक्ट्स की तरह यह भी एक मन्दिर प्रोजेक्ट है जो उनके परिवार के लिए सामान्य बात है। कोई बडी़ बात नहीं। एक बार अशोक सिंघल जी ने पूछा कि पापा से पूछा था कि 10×12 के इस कमरें में बैठकर कितने मन्दिर बनवा डाले ? पापा ही आज भी मन्दिर डिजाइन करते हैं और उसे निर्णायक स्तर पर ले जाते हैं। तीसरी पीढी़ के 28 वर्षीय आशुतोष सिविल इन्जीनियर हैं और वे भी मन्दिर निर्माण के पारिवारिक बिजनेस में हैं।
चन्द्रकान्त सोमपुरा याद करते बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव मस्जिद ढांचे के तीनों गुम्बदों को बनाये रखते हुए मन्दिर माॅडल बनानेके लिए फोन पर निर्देश दिये थे । वैसा माॅडल बना पर विश्व हिन्दू परिषद ने यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि “जन्मभूमि की 6×3 फीट की जगह छोड़ दें , मन्दिर वास्तविक स्थान पर न बना तो फिर मन्दिर कहीं भी बने क्या फर्क है ?”
बुजुर्ग सोमपुरा जब नये विशाल राम मन्दिर के बारे में बताने लगे तो बोले ,” नया वाला इतना भव्य है कि पुराना वाला माॅडल याद न आयेगा । यह नागर शैली का स्थापत्य होगा और गर्भगृह के ऊपर शिखर होगा। आशीष को 5 अगस्त को अयोध्या आकर प्रस्तुतिकरण करने का निमंत्रण मिला है।” ननयी डिजाइन में 3 शिखर और जोडे़ गये हैं- एक प्रवेश पर और दो पार्श्व में । खम्बोंकी संख्या भी पहले के 160 से बढ़कर 366 हो गयी है।
सीढि़यों की चौडा़यी पहले की निर्धारित 6 फीट से बढा़कर 16 फीट करी गयी है। पहले मन्दिर की ऊंचाई 141 फीट थी जो अब बढा़कर और ऊंची 161 फीट कर दी गयी है। गर्भगृह को विष्णु मन्दिर के लिए शास्त्रसम्मत अष्टकोणीय संरचना प्रदान की गयी है। मन्दिर परिसर में चार अन्य मन्दिर सीता जी, लक्ष्मण जी , हनुमान जी व गणेश जी के होंगें। इन परिवर्तनों के कारण निर्माण में लगने वाले पत्थरों की मात्रा भी दोगुनी हो गयी है। पसले 3 लाख क्यूबिक फीट सैण्डस्टोन लगता जो अब दोगुना लगेगा।
सोमपुरा का अनुमान है कि कोराना की वजह से मन्दिर के निर्माण पूर्ण होने में 6 माह तक का बिलंब हो सकता है। अभीअनुमान है कि निर्माण साढे़ तीन साल में पूरा होगा। मन्दिर निर्माण के लिए 3 एजेन्सियां काम पर विश्व हिन्दू परिषद ने लगाया था पर अब उन्हे हटाकर पूरा काम लार्सन एण्ड टूब्रो को दिया गया है।
सोमपुरा परिवार नेलगभग 200मन्दिर बनाए हैं पर सब पर भारी है सोमनाथ मन्दिर । पूरा परिवार उससे भावनात्मक रूप से जुडा़ है। अब राम मन्दिर अयोध्या से जुड़ना और उसे बनवाना सोमपुरा परिवार के लिए गौरव और प्रसन्नता का अद्भुत अवसर है।
( Courtesy The Indian EXpress daily Delhi )