पुलिस ने विकास दुबे को मुठभेड़ में मारने का दावा किया , सारे राज दफ़न

विपक्षी समाजवादी पार्टी ने मुठभेड़ पर उठाए सवाल

(मीडिया स्वराज़ डेस्क )

कानपुर पुलिस का कहना है  कि बहुचर्चित अपराधी विकास दुबे उज्जैन से आते हुए मुठभेड़ में मारा गया है. घटना कानपुर से क़रीब बीस किलोमीटर पहले की बतायी गयी है. यह जगह नौबस्ता और सचेंडी पुलिस थाना के बीच भौंती   है. पुलिस ने बताया  कि गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे एक पुलिस वाले की पिस्तौल  या बंदूक़ छीनकर भागा और एस टी एफ जवानों की जवाबी फ़ायरिंग  में मारा गया. उसे उठाकर कानपुर अस्पताल लाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.बताया गया है कि उसकी लाश कानपुर के एक अस्पताल में है. 

vikas_hospital कृपया वीडियो देखें 

एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ने कहा, ” पुलिस की गाड़ी बदमाशों का वजन नहीं ले पाती। या तो पंक्चर हो जाती है या पलट जाती है।
बदमाश पुलिस का पिस्टल छीन पुलिस पर फायर कर भागने लगते हैं।” यह टिप्पणी अपने आप में बहुत कुछ कहती है. 

 

लेकिन पूर्व पुलिस महा निदेशक विक्रम सिंह ने एन दी टी वी से बातचीत में पुलिस के जवानों को शाबासी  दी और कहा कि मुठभेड़ पर अविश्वास का कोई  कारण नही है.  एक दुर्दांत अपराधी का सफ़ाया है. सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि हर मुठभेड़ की मजिस्टीरियल जाँच होती है जिसमें पता चलेगा कि स्टैंडर्ड प्रोसिजर का पालन किया गया अथवा नहीं. 

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने पहले ही यह आशंका प्रकार कर दी थी कि विकास मुठभेड़ में मारा जा सकता है.

अमिताभ ठाकुर ट्वीट

लेकिन कानपुर के एक पत्रकार का कहना है कि  पुलिस ने पहले से मन बना लिया था कि हर हाल में विकास को मुठभेड़ में मारना है. 

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं. 

अखिलेश यादव का ट्वीट

पूर्व पुलिस महा निदेशक प्रकाश सिंह ने एक टी वी चैनल से बातचीत में कथित मुठभेड़ को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया है. उनका कहना है की अगर उससे पूछताछ होती तो उससे तमाम बड़े बड़े लोगों के राज खुलते. 

बताया गया है कि मीडिया की जो गाड़ियाँ एस टी एफ के क़ाफ़िले का पीछा कर रही थीं, उन्हें काफ़ी दूर पहले रोक दिया गया था. 

पूरे आधिकारिक विवरण का इंतज़ार है. जो अधिकारी अस्पताल पहुँचे है वे पूरा विवरण देने से कतरा रहे हैं. 

विकास दुबे की मुठभेड़ के साथ इसी के साथ विकास दुबे के सारे रहस्य दफ़न हो गए.

मगर एक सवाल है कि जब उसने उज्जैन में स्वयं गिरफ़्तारी दी तो फिर उसने भागने की कोशिश क्यों की और पुलिस का हथियार छीनकर हमला किया. 

कहना होगा कि माफिया विकास दुबे की  पुलिस प्रशासन और राजनीतिक लोगों से गहरी साँठगाँठ थी. मुक़दमा चलता तो बहुत से चेहरे बेनक़ाब होंगे.

विपक्षी समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं. 
@samajwadiparty

“विकास दुबे के साथ उन सभी सबूतों, साक्ष्यों का भी एनकाउंटर हो गया जिससे अपराधियों,पुलिस और सत्ता में बैठे उसके संरक्षकों का पर्दाफाश होता! विकास के जरिए उन सभी को बचाने की कोशिश की है जो नेक्सेस में उसके मददगार रहे?आखिर उन सत्ताधीशों पर कार्रवाई का क्या जिनका नाम उसने स्वयं लिया?”

यह समाजवादी पार्टी का ट्वीट है. 

 

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