कैसे बड़ी Pharma Companies खतरनाक दवाओं को बढ़ावा देकर कमाते हैं मुनाफा

Pharma Companies: आधुनिक समय में कौन जिएगा और कौन नहीं, यह तय करने वाला आपका भाग्य नहीं बल्कि ये बड़ी फार्मा कंपनी (Pharma Companies) बनती जा रही हैं।

Pharma Companies: आधुनिक समय में कौन जिएगा और कौन नहीं, यह तय करने वाला आपका भाग्य नहीं बल्कि ये बड़ी फार्मा कंपनी (Pharma Companies) बनती जा रही हैं। दवा बनाने वाली ये कम्पनियां अपने मुनाफे के लिए सरकार को ब्लैकमेल करने से लेकर शेयर बाजार में अपने भाव बढ़ाने तक कुछ भी कर सकती हैं। आज, और आने वाले समय में भी हमें हेल्थ बूस्टर्स की ज़रुरत पड़ने वाली है। ऐसे में क्या हो अगर ये बड़ी कंपनियां अपने मनमानी मूल्य पर आपका जीना-मरना तय करने लगें। आज हम आपको ऐसे कई उदहारण से वाकिफ कराएँगे और बताएँगे कि कैसे कुछ कंपनी ने अनैतिकता से पैसे बनाये और सरकार को चकमा दिया।

मार्टिन श्क्रेली (Martin Shkreli), डाराप्रिम(Daraprim) ड्रग केस:

डाराप्रिम दवा, मलेरिया के गंभीर संक्रमण में इस्तेमाल किया जाने वाला ड्रग था जिसकी शुरूआती कीमत 13.50 डॉलर के करीब थी। मार्टिन श्क्रेली नाम के एक व्यक्ति ने इसका लाइसेंस खरीदा और इसकी कीमत 5000% बढ़ाकर 750 डॉलर कर दी। लोग इससे नाराज हो गए। मरीज, डॉक्टर और नियम बनाने वाले सभी लोगों ने इसका विरोध किया।  लेकिन फिर भी इस आदमी ने किसी एक की न सुनी। लोग इन बीमारियों से मरते रहे। इस तरह हम देख सकते हैं कि ये लोग कैसे कानून और सरकार को चकमा देकर पैसे बनाते हैं और लोगों की जान खतरे में डालते हैं। इन बड़ी फार्मा कंपनियों के पास इतनी क्षमता होती है कि ये राजनीति से लेकर आर्थिक बाजार सभी तरह के फेरबदल कर मुनाफा कमा सकती हैं।

ऐसे करते हैं काम

ये बड़ी फार्मा कंपनियां कई बार डॉक्टर्स को दवाई के बारे में गलत जानकारी देकर उनसे इस्तेमाल में लाने को कहती हैं। ऐसा ही एक केस परड्यू फार्मा (PURDUE PHARMA) नाम की कंपनी में देखने को मिला। इस कंपनी ने ऑक्सीकॉन्टिन (OxyContin) दवा निकाला जिसमें ओपिओइड (OPIOID) ड्रग जो की दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल होता था के उपयोग को गलत तरीके से बढ़ावा दिया। ओपिओइड ड्रग नर्व सिस्टम पर काम करता था इसलिए इसकी उपयोग की आदत सी हो जाती थी।  इस कंपनी ने अमेरिका के डॉक्टरों को गलत जानकारी दी की ये ड्रग्स एडिक्टिव नहीं है और भारी मात्रा में इस्तेमाल की सलाह भी दी। जिसके बाद कंपनी ने भारी मुनाफा कमाया।

साल 1999 से 2012 तक करोड़ों लोगों ने इसका सेवन किया और इसके ओवरडोज़ से 99 हजार लोगों ने अपनी जान गवाई।  साल 2016 तक कुल मरने वालों की संख्या 4 लाख 50 हज़ार से भी ज्यादा पहुंच गयी थी। साल 2019 में ओपिओइड के ओवरडोज़ से 71 हज़ार लोगों की मौत हुई है।

ये बड़ी फार्मा कंपनियां न सिर्फ गलत जानकारी देकर अपना काम निकलती हैं बल्कि इनकी पहचान बड़े स्तर पर होती है। नियम कानून और सरकार तक को मुँह चिढ़ाने वाली ये फार्मा बड़े एडवोकेट और फाइनेंसियल विशेषज्ञों को इस तरह के कामों के लिए मोटी रकम देते हैं।  ये उदहारण तो नाम मात्र के हैं जबकि पूरा फार्मा सेक्टर ही ऐसे कंपनी से भरा हुआ है।

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