पीसीएस अफ़सर मंजरी की आत्म हत्या : इस सडांध के ख़िलाफ़ हमें खड़ा होना होगा
—राम नारायण सिंह, पूर्व पुलिस महानिदेशक
मणि मंजरी राय के आत्म हत्या का प्रकरण आत्मा को झकझोरेने वाला है। मैंने पुलिस अधीक्षक बलिया से विस्तार से बात किया। वे स्वयं इस घटना से मर्माहत दिखे और प्रभावी कार्यवाही का आश्वासन दिया। इस प्रकरण में कार्यवाही तो अवश्य होगी। परंतु इससे क्या आगे ऐसा होना रुक जाएगा। मणि मंजरी से हम लोंगो का लगाव होना स्वाभाविक है। परंतु जिन परिस्थितियों ने उसे इस हाल में पहुँचाया यदि उसके उपचार के लिए कुछ नहीं किया गया तो तो इस घटना पर रोना धोना विधवा विलाप के अलावा कुछ नहीं होगा।
मैं स्वयं इसी प्रकार के एक छोटे टाउन एरिया -कछवा मिर्ज़ापुर का रहने वाला हूँ। भूमाफ़िया ठेकेदार नेता और नौकरशाही का भ्रष्ट नंगा नाच रोज़ देख रहा हूँ। सभी के द्वारा सरकारी ज़मीन के अवैध हड़पने के प्रयास के ख़िलाफ़ दो बार अनसन पर बैठना पड़ा। एक बार थाने के अंदर। केवल काम रुका परंतु क़ब्ज़ा लगभग साल भर होने जा रहा है आज तक नहीं हटा और न ही किसी अधिकारी के विरुद्ध कोई कार्यवाही हुई।
पिछले चेयरमैनी तक सभासदों का कमीशन २% था। अब ६% हो गया है। चेयरमैन और विभिन्न अधिकारियों का मिलाकर ५०%। दस लाख के ऊपर के काम को टुकड़ों में बाट कर ई टेंडरिंग से अलग कर दिया जाता है तथा मिली भगत कर एक ही ठेकेदार आवश्यक टेंडर की व्यवस्था कर ख़ानापूर्ति कर देता है। वास्तविक लागत से कई गुना ज़्यादा का फ़र्ज़ी इस्टीमेट बनता है। इस व्यवस्था में मंजरी जैसे समवेदनशील अधिकारी के पास क्या रास्ता बचता है?
इस सडांध के ख़िलाफ़ हमें खड़ा होना होगा। यदि नहीं खड़े होंगे तो यह रुकने वाला नहीं है। हर स्तर पर खड़ा होना होगा।अपने मुहल्ले ,गाँव,क़स्बा,शहर -हर जगह। आप सभी से आग्रह है मंजरी की सहादत को व्यर्थ न जाने दें। आयें इस लड़ाई को आगे बढ़ाए।