पद्मविभूषण कपिला वात्स्यायन नहीं रहीं
पद्मविभूषण, पूर्व संसद सदस्या कपिला वात्स्यायन नहीं रहीं।
वह हिंदी के यशस्वी दिवंगत साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की पत्नी थीं।
साठ के दशक से वह अपने पति से अलग होकर एकाकी जीवन व्यतीत कर रही थीं।
उन्होंने साहित्य, कला और संस्कृति के संवर्धन में अपना पूरा जीवन लगा दिया था।
उन्होंने 20 से अधिक पुस्तकें लिखीं।
लगभग 92 वर्षीय कपिला वात्स्यायन का निधन दिल्ली के गुलमोहर एनक्लेव स्थित उनके घर में बुधवार सुबह 9 बजे हुआ।
कपिला वात्स्यायन की शिक्षा-दीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय, अमेरिका के मिशिगन विश्विद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पूरी हुई थी।
वह प्रख्यात नर्तक शंभू महाराज और इतिहासकार वासुदेव शरण अग्रवाल की भी शिष्या रहीं।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक, इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन ट्रस्टी, संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी से फ़ेलोशिप और अनेक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सुसज्जित कपिला वात्स्यायन का पूरा जीवन लोगों के लिए आदर्श बना रहा।
कुछ समय पहले तक वह इंडिया इंटरनेशनल के एशिया प्रोजेक्ट की अध्यक्ष भी थीं।
वर्ष 2006 में उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया था।
लेकिन लाभ के पद का विवाद शुरू हो जाने पर उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।
लेकिन बाद में उन्हें फिर से इस पद के लिए मनोनीत किया गया।