नवरात्रि के 5वें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, मूर्ख भी बन जाएंगे विद्वान

मां की उपासना से होगा नकारात्मक शक्तियों का नाश

मां की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. मां का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं. देवी के इस रूप के पूजन से मूर्ख प्राणी को भी ज्ञान हो जाता है. देवी का यह रूप अत्यंत करुणामय एवं सौम्य है.

Navratri 2021: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व है. आज 10 अक्टूबर के दिन पांचवी नवरात्रि है. नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है. मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं.

प्राणी मात्र में चेतना का संचार करने वाली देवी स्कंदमाता को नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा जाता है. कुमार कार्तिकेय जी का एक नाम स्कंद भी है. कुमार कार्तिकेय जी की माता होने के कारण देवी स्कंदमाता की नवरात्रि के पांचवें दिन पूजा की जाती हैं.

अभय मुद्रा के चलते बनीं पद्मासना

कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है. कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कंद कुमार आदि के रूप में जाना जाता है. मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं. पर्वतराज की बेटी होने से इन्हें पार्वती कहते हैं. भगवान शिव की पत्नी होने के कारण एक नाम माहेश्वरी भी है. गौर वर्ण के कारण गौरी भी कही जाती हैं. मां स्कंदमाता को उमा नाम से भी जाना जाता है. मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है. मान्यता है इससे उपासक निरोगी बनता है.

चार भुजाओं वाली देवी

स्कंदमाता चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो एक हाथ में कुमार कार्तिकेय जी को गोद में लिए होती हैं और दूसरे हाथ में कमल, तीसरे हाथ में शास्त्र व चौथा हाथ वर मुद्रा में रहता है. इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. स्कंदमाता की उपासना से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इनकी पूजा से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं. मां की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है. मां का वाहन सिंह है. मां स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. मान्यता है इससे उपासक निरोगी बनता है.

कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. इनकी उपासना से सारी इच्छाएं पूरी होने के साथ भक्त को मोक्ष मिलता है. मान्यता यह भी है कि इनकी पूजा से संतान योग बढ़ता है.

शास्त्रों के अनुसार, इनकी कृपा से मूर्ख भी विद्वान बन सकता है. स्कंदमाता पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं हैं. कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है. इनकी उपासना से सारी इच्छाएं पूरी होने के साथ भक्त को मोक्ष मिलता है. मान्यता यह भी है कि इनकी पूजा से संतान योग बढ़ता है.

मां स्कंद माता पूजा विधि

सिंह पर सवार इस देवी की पूजा करते समय पूरी स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए. सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें. मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं. स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें. मां को रोली कुमकुम भी लगाएं.

प्रातः काल पूजन के समय देवी को शुद्ध घी से बने भोजन का भोग लगाएं. इसके बाद दुर्गा सप्तशती के पाठ और दुर्गा महिमा का पाठ जरूर करें. देवी के इन मंत्रों का जितना हो सके जाप करें, फिर बताशे का भोग लगाकर बांटें. मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें. मां की आरती अवश्य करें.

छोटी कन्याओं का पूजन

स्कंद माता पूजा के दौरान छोटी कन्याओं का पूजन बड़ी श्रद्धा भाव से करें. इसके साथ-साथ छोटे बाल रूपी बच्चों की भी पूजा करें व उनको दान-दक्षिणा अवश्य दें.

स्कंदमाता की साधना से बुध ग्रह की शांति होती है, उसके दोषों का निवारण होता है क्योंकि यह देवी बुद्धि में विकास करने का आशीर्वाद भी देती हैं. मां स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है. मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है. मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है.

देवी के स्वरूप को घर के उत्तर की दिशा में स्थापित करने से व्यापार व वाणी में अच्छे परिणाम मिलते हैं.

मां स्कंदमाता को प्रिय हैं ये चीजें

मां की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है. मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है. मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें. मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें.

मां का भोग

मां को केले का भोग अति प्रिय है. मां को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें. मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं. संतान को सुख की प्राप्ति होती है.

संतान प्राप्ति हेतु जपें स्कंद माता का मंत्र

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

इस मंत्र का जाप कर लगाएं ध्यान

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 am से 05:29 am
अभिजित मुहूर्त – 11:45 am से 12:31 am
विजय मुहूर्त – 02:04 pm से 02:51 pm
गोधूलि मुहूर्त – 05:45 pm से 06:09 pm
रवि योग – 02:44 pm से 07:54 pm

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