कौन हैं सिराज मेहंदी, जो यूपी में शरद पवार की पार्टी एनसीपी का बने हिस्सा

सिराज मेहंदी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पुराने नेता हैं

उत्तर प्रदेश में मंगलवार को शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ज्वाइन करने वाले सिराज मेहंदी को लेकर लोगों में उत्सुकता है। वे जानना चाहते हैं कि आखिर सिराज मेहंदी कौन हैं, जो यूपी में एनसीपी में शामिल हुये हैं? ऐसे लोगों की उत्सुकता को कम करते हुये हम यह बताना चाहते हैं कि सिराज मेहंदी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के पुराने नेता हैं। 40 वर्षों तक राजनीति में अपनी सेवाएं देने वाले सिराज कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष व पूर्व एमएलसी हैं।

कांग्रेस ने दिग्गज नेता सिराज मेंहदी को नवंबर 2019 में पार्टी से छह साल के लिये निष्कासित कर दिया गया था। पार्टी ने उनके बगावती तेवर देखकर उनके खिलाफ ये कार्रवाई की थी। सिराज के साथ कुल 10 दिग्गज व वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को पार्टी ने एकसाथ बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

क्यों निकाले गये थे सिराज मेहंदी

सिराज मेहंदी लगातार उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी से संबंधित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्णयों पर सार्वजनिक तौर पर बैठक कर विरोध जता रहे थे। इन्हें पार्टी की अनुशासन समिति ने नोटिस भेजा था, जिसके जवाब से संतुष्ट ना होने के बाद इन्हें पार्टी से छह साल के लिए बाहर कर दिया गया था।

क्यों नाराज थे सिराज मेहंदी

सिराज मेंहदी तब पार्टी से अपनी नाराजगी का कारण बताते हुये मीडिया से कहा था कि कांग्रेस पार्टी ने शिया समुदाय की उपेक्षा की है, कांग्रेस ने कभी शिया नेताओं को आगे नहीं बढ़ाया, जबकि दूसरे दलों में शिया नेताओं को काफी प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने इस बात को लेकर भी नाराजगी दिखाई थी कि पिछले दिनों गठित कांग्रेस की नई कमिटी में भी उन्हें जगह नहीं दी गई थी।

पुत्रमोह में फंसी कांग्रेस अध्यक्ष

21 दिसंबर 2021 को सिराज मेहंदी ने एक बार फिर कांग्रेस पार्टी पर हमला बोलते हुये कहा था कि कांग्रेस ने सत्तर साल देश पर राज किया, लेकिन आज कांग्रेस जमीन पर कहीं नहीं दिख रही। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पुत्र मोह में फंसी हैं, जिसके कारण राहुल और प्रियंका कांग्रेस को बर्बाद करने में लगे हैं। ऐसे में देश के सामने बड़ा संकट खड़ा है, इस संकट से देश को जनता ही निकाल सकती है।

बीजेपी की नीतियों पर भी बोले सिराज

दिसंबर 2021 में ही शिया कॉलेज में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सिराज मेहंदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की केंद्र एवं प्रदेश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि सरकार जल्दबाजी में चुनाव को देखते हुए उद्घाटन और लोकार्पण कर रही है। इसका उदाहरण अधूरा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, जौनपुर का मेडिकल कॉलेज है।

सिराज मेंहदी ने कहा था कि अगर इस सरकार ने काम किया था तो उद्घाटन और लोकार्पण साढ़े चार सालों में क्यों नहीं हुए। इस वक्त जब चुनाव सिर पर आ गया है तो उद्घाटन-लोकार्पण किए जा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग तक तैयार नहीं है और न ही कोई स्टाफ, तो फिर ऐसा उद्घाटन करने का क्या मकसद है।

योगी आदित्यनाथ की तारीफ की थी

उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने साढ़े चार सालों में बहुत मेहनत की। प्रदेश के सभी जिलों का कई बार दौरा किया लेकिन किस वजह से भाजपा सरकार के घोषणा पत्र का आधा काम भी पूरा नहीं हुआ। इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर मुख्यमंत्री को कार्रवाई करनी चाहिए।

सिराज मेहंदी ने चुनाव आयोग से भी यह मांग की थी कि पांच प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में आयोग निष्पक्ष चुनाव कराए ताकि अच्छी सरकार बने।

बीजेपी द्वारा लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाने के फैसले का सिराज ने स्वागत करते हुए कहा था कि इस मामले में कोई बुराई नहीं है, इसका सभी को स्वागत करना चाहिए।

पीएम को लिखी थी चिट्ठी

जुलाई 2020 में सिराज मेहंदी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर राम मंदिर के भूमि पूजन में दूसरे धर्म गुरुओं को भी बुलाने की मांग की थी।
वरिष्ठ नेता सिराज मेहंदी ने प्रधानमंत्री से मांग की थी कि 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के भूमि पूजन में अन्य धर्मों के धर्मगुरुओं को भी आमंत्रित किया जाए। इस बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा था। इस पत्र में 5 अगस्त को प्रधानमंत्री के अयोध्या आगमन पर उनका स्वागत करते हुए सिराज मेंहदी ने अपनी शिकायत दर्ज करवाई थी।

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पत्र में कहा गया था कि इस आयोजन में दूसरे धर्म के धर्मगुरुओं को आमंत्रित न किया जाना न केवल चिंता का विषय है बल्कि हमारे राष्ट्र की सेक्यूलर छवि और सर्वधर्म सम्भाव के मूलमंत्र को आघात पहुंचाने वाला कदम है।

सिराज मेहंदी ने तब कहा था कि प्रभु श्रीराम के कृतित्व और व्यक्तित्व का यह देश हमेशा से अनुयायी रहा है, ऐसी महान शख्सियत को किसी धर्म विशेष के दायरे में सीमित करना उन लाखों लोगों की भावनाओं के साथ अन्याय होगा, जिनकी आस्था सदियों से सर्वधर्म सम्भाव में रही है। उन्होंने यह भी लिखा था कि बेशक वह देश की एक बड़ी सियासी पार्टी से जुड़े हुए हैं। मगर उन्हें उम्मीद है कि उनकी इस भावना को प्रधानमंत्री या उनकी पार्टी और सरकार राजनीतिक चश्मे से नहीं देखेंगे।

उन्होंने कहा था कि अगर इस आयोजन में मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि धर्मगुरुओं को भी आमंत्रित किया जाए तो वे भी इस ऐतिहासिक पल के गवाह बनेंगे और इससे हमारी सदियों पुरानी धार्मिक समरसता व एकजुटता प्रदर्शित होगी।

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