J&K में आतंकियों का नया टारगेट बने UP-Bihar से आए मजदूर
UP-Bihar के मजदूर बने J&K के आतंकियों का नया टारगेट
संविधान से धारा- 370 हटाने के साथ ही जम्मू-कश्मीर को देश के अन्य राज्यों की तरह स्थान मिल गया. अलग झंडा, अलग नियम, जैसी कई ऐसी बातें जो जम्मू कश्मीर को पूरे देश से अलग थलग करती थी, अब उसका अंत हो गया. एक ओर जहां केंद्र सरकार ने स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार देने की तैयारियां शुरू कर दीं, वहीं दूसरी ओर देश के अन्य राज्यों में रह रहे लोगों के लिए जम्मू कश्मीर में जमीन खरीदने और बसने के लिए भी रास्ते खोल दिए.
-सुषमाश्री
केंद्र की बीजेपी सरकार ने वैसे लोगों की नौकरियां तक छीननी शुरू कर दीं, जिनके किसी न किसी तरह आतंकियों से संबंध होने के सबूत मिले. आतंकवादियों और अलगाववादियों को राज्य में लोकतंत्र के ये बढते कदम हजम नहीं हो पा रहे.
नतीजतन, जम्मू कश्मीर में अब उन्होंने ‘टारगेट किलिंग’ का नया तरीका शुरू कर दिया है, जिसके तहत राज्य के बाहर से आए लोगों, खासकर यूपी बिहार के मजदूरों की लगातार हत्याएं की जा रही हैं.
जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के वानपोह इलाके में आतंकवादियों द्वारा की गई फायरिंग में 2 गैर-स्थानीय मज़दूरों की मौत हुई है और एक घायल हुआ है. पुलिस और सुरक्षाबलों ने इलाके की घेराबंदी कर दी है.
जम्मू कश्मीर में आतंकियों द्वारा गैर कश्मीरियों को निशाना बनाने का सिलसिला लगातार दूसरे दिन भी देखने को मिला. रविवार को आतंकियों ने एक बार फिर दूसरे प्रदेशों से आए मजदूरों पर हमला बोल दिया.
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुलगाम के वानपोह इलाके में आतंकियों ने घर में घुसकर मजदूरों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी, जिसमें दो मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, वहीं एक मजदूर घायल बताया जा रहा है.
यूपी-बिहार से आए थे मजदूर
जनसत्ता की एक खबर के मुताबिक घटना के बाद सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है. इन हमलों को देखते हुए पुलिस ने राज्य के सभी जिला पुलिस प्रमुखों को आदेश दिया है कि सभी गैर-स्थानीय मजदूरों को तुरंत नजदीकी पुलिस और सेना के कैंपों में लाया जाए.
समाचार एजेंसी ANI ने सीआईडी के सूत्रों के जरिए बताया कि आतंकियों ने जिन तीन गैर कश्मीर मजदूरों पर गोलियां चलाई हैं, वो सभी बिहार के रहने वाले थे और कुलगाम में साथ ही रहते थे. तीन में से दो राजा रेशी देव और जोगिंदर रेशी देव की मौत हो गई है जबकि एक घायल हैं.
लगातार दूसरे दिन बाहरी लोगों की हत्या
बता दें कि यह लगातार दूसरा दिन है, जब दहशतगर्दों ने गैर कश्मीरी मजदूरों को निशाना बनाया है. पिछले दो दिनों में वह चार गैर-कश्मीरी मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर चुके हैं.
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में 24 घंटे से भी कम समय में गैर-स्थानीय मजदूरों पर यह तीसरा हमला है. बिहार के एक रेहड़ी-पटरी वाले और उत्तर प्रदेश के एक बढ़ई की शनिवार शाम को आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
शनिवार को भी दो नागरिकों की हत्या
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने शनिवार को भी यहां बाहरी नागरिकों को टारगेट कर उनकी हत्या कर दी थी. आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में बिहार के एक हॉकर को गोली मारी थी. मारे गए व्यक्ति का नाम अरविंद कुमार साह था. वह बिहार के बांका जिले का रहने वाला था और पानीपुरी बेचता था. दूसरी घटना में आतंकियों ने शनिवार को ही पुलवामा में सगीर अहमद नाम के शख्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी. यूपी का रहने वाला सगीर कारपेंटर का काम करता था.
LG मनोज सिन्हा का बयान, एक एक बूंद का बदला लेंगे
नागरिकों की हत्याओं के बीच, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों को निशाना बनाकर उनके खून की एक-एक बूंद का बदला लेने की बात कही है.
LG मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की शांति, सामाजिक-आर्थिक प्रगति और लोगों के व्यक्तिगत विकास को बाधित करने के प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के तेजी से विकास की बात भी दोहराई. सिन्हा ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘आवाम की आवाज’ में कहा कि मैं शहीद नागरिकों को अपनी श्रद्धांजलि देता हूं और शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं. हम आतंकवादियों, उनके हमदर्दों को निशाना बनायेंगे और निर्दोष नागरिकों के खून की हर बूंद का बदला लेंगे.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले पर दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि बिहारी मजदूरों की हत्या से उन्हें बेहद तकलीफ हुई है. इस मामले को लेकर उन्होंने J&K के राज्यपाल मनोज सिन्हा से चर्चा भी की.
BJP ने की निंदा
भारतीय जनता पार्टी की जम्मू कश्मीर इकाई के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने हत्याओं की निंदा करते हुए कहा कि यह नरसंहार के अलावा कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि गैर-स्थानीय लोगों की हत्या अमानवीय के अलावा और कुछ नहीं है और आतंकवादियों की हताशा को दर्शाती है.
अमर उजाला की एक खबर के मुताबिक कश्मीर में एक बार फिर से 90 के दशक में शुरू हुई टारगेट किलिंग जैसा माहौल बनाकर डर पैदा करने की कोशिश की जा रही है. इस बार यह माहौल आतंकियों और चरमपंथियों की ओर से कुछ विशेष वजह से बनाया जा रहा है.
दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से कश्मीर में अमन बहाली और फिर से कश्मीरी पंडितों और अल्पसंख्यकों को दोबारा घाटी में बसाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों को कमजोर करने के लिए आतंकी संगठन ऐसा कर रहे हैं.
दहशत फैलाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा का दि रजिस्टेंस फ्रंट जिम्मेदार
इसमें तीन प्रमुख ऐसी वजह है, जो घाटी के चरमपंथियों और आतंकवादियों को हजम नहीं हो रही है. दहशत फैलाने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के दि रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के आतंकवादियों ने कश्मीर में 90 के दशक जैसा माहौल और दहशत फैलाने के लिए टारगेट किलिंग शुरू की है.
हालांकि सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक बहुत जल्द ही न सिर्फ टीआरएफ के आतंकवादी बल्कि जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन से वास्ता रखने वाले आतंकवादियों का खात्मा कर दिया जाएगा.
आतंकी संगठनों को नहीं हजम हो रही अमन बहाली की प्रक्रिया
दरअसल, केंद्र सरकार ने घाटी में कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने, स्थानीय लोगों को रोजगार देने और अमन बहाली के लिए जो फैसले लिए और जो तैयारियां की, वह आतंकी संगठनों को हजम नहीं हो रही है.
सूत्रों के मुताबिक आतंकी संगठन और चरमपंथियों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है कि केंद्र सरकार इसके लिए कोशिश कर रही है कि कश्मीर में हिंदुओं को बसाने से पहले 90 के दशक में उनकी जमीन जायदाद और प्रॉपर्टी को जिस तरीके से हथियाया गया था, उसको वापस दिलाने के लिए रेवेन्यू कोर्ट तैयार करने की कोशिश कर रही है.
कब्जा की गई जमीनों को वापस दिलाने के लिए रेवेन्यू कोर्ट की विशेष अदालतें तैयार
दरअसल, केंद्र सरकार ने जबरदस्ती हड़पी गई जमीनों को वापस दिलाने के लिए कश्मीर में रेवेन्यू कोर्ट की विशेष अदालतें तैयार की है. इन कोर्ट में कश्मीरी पंडित और दूसरे अल्पसंख्यक लोग अपने दस्तावेजों को सबमिट कर अपनी जमीनों को वापस पाने का दावा पेश कर रहे हैं क्योंकि उस दौरान ज्यादातर आतंकी संगठन और उससे वास्ता रखने वाले लोगों ने उस पर कब्जा कर लिया था या उनसे बहुत कम कीमत पर खरीद लिया था. जिससे अब इन कोर्ट के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया के तहत उनको वापस मिलने की उम्मीद जग गई है.
आतंकी संगठन और चरमपंथियों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है कि 90 के दशक में कब्जा की गई जमीनों को वापस हिंदुओं को या अल्पसंख्यकों को दिया जाए ताकि वह यहां आकर अपना गुजर-बसर करें.
डोमिसाइल का मामला राज्य सरकार के अधीन
इसके अलावा अभी तक कश्मीर में डोमिसाइल का मामला राज्य सरकार के अधीन था. लेकिन धारा 370 हटने के साथ डोमिसाइल प्रक्रिया अब केंद्र के दिशानिर्देशों के मुताबिक शुरू हुई है. देश भर में रह रहे कश्मीरियों के डोमिसाइल प्रमाण पत्र उनको न सिर्फ ऑनलाइन बल्कि जिस राज्य में जो भी कश्मीरी रह रहा है, उसको विशेष कैंप लगाकर ऑफलाइन भी डोमिसाइल प्रमाण पत्र दिया जा रहा है.
कश्मीरी मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि पहले कश्मीरी लड़कियों की शादी अगर राज्य से बाहर होती थी तो उनको कश्मीर में कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने का हक नहीं बनता था, लेकिन नई व्यवस्था के मुताबिक अब कश्मीर की किसी लड़की की शादी अगर देश के किसी दूसरे प्रांत के किसी भी व्यक्ति से हुई है तो न सिर्फ लड़की बल्कि जिसके साथ शादी हुई है, उसके परिवार को भी कश्मीर में प्रॉपर्टी खरीदने का हक होगा और वह वहां का निवासी माना जाएगा.
केंद्र सरकार की नई योजनाओं को लागू नहीं करने देना चाहते हैं स्थानीय चरमपंथी
कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ प्रोफेसर एसके डार कहते हैं कि अलगाववादी नेता और आतंकियों के साथ-साथ चरमपंथियों को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है क्योंकि इससे कश्मीर में सारे देश के लोग आकर अपना आशियाना भी बना सकते हैं और वहां बस भी सकते हैं.
धारा 370 के हटने के बाद वैसे भी कश्मीर में रोजगार से लेकर वहां बसने और उद्योगों को लगाने से लेकर तमाम तरह से जीवन स्तर को ऊपर उठाने के रास्ते आसान हो गए हैं. यह बात भी चरमपंथियों और आतंकवादियों को हजम नहीं हो रही है.
तीसरी और सबसे अहम बात यह है, जिस तरीके से कश्मीर में बीते कुछ दिनों में आतंकी संगठन से संबंध रखने वाले लोगों को सरकार न सिर्फ नौकरियों से बर्खास्त कर रही है बल्कि उनके साथ कड़ाई से पेश भी आ रही है, जो स्थानीय चरमपंथियों को नागवार गुजर रही है.
गिलानी के पोते की सेवाएं समाप्त
अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के पोते अनीस उल इस्लाम की सेवाएं सरकार ने समाप्त कर दी हैं. वह शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में रिसर्च अफसर के तौर पर कार्यरत था. उसके खिलाफ संविधान के आर्टिकल 311 (2) (सी) के तहत एक्शन लिया गया. अनीस, अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूश का बेटा है. अनीस को 2016 में शेर ए कश्मीर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में शोध अधिकारी नियुक्त किया गया था.
प्रोफेसर डार कहते हैं, दरअसल घाटी में मौजूद आतंकी संगठन और चरमपंथी यह बिल्कुल नहीं चाहते कि केंद्र सरकार की नई योजनाओं को आसानी से लागू करने दिया जाए. क्योंकि कश्मीर के लिए केंद्र सरकार की जो योजनाएं हैं, वह न सिर्फ शांति बहाली के लिए हैं बल्कि जो लोग कश्मीर से वापस चले गए हैं, उनको वापस राज्य में बसाने के लिए भी हैं.
इसके अलावा स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार दिलाने की व्यवस्थाएं की जा रही हैं. कश्मीर में सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि घाटी में जिस तरीके से आईएसआई आतंकवाद फैला कर बेरोजगार लोगों को निशाना बनाता है और उनको अपने मकसद के लिए इस्तेमाल करता है, अब घाटी में केंद्र सरकार की योजनाओं से रोजगार पाने वाले युवाओं की वजह से सारा खतरनाक खेल खत्म हो रहा है. इसलिए वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को गुमराह कर कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए फिर से प्रयास कर रहा है.
हत्याएं कर दहशत फैलाने की कोशिश
कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए एक बार फिर से लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के स्लीपर सेल के चरमपंथी आतंकवादी जानबूझकर स्थानीय हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को न सिर्फ मार रहे हैं बल्कि दूर-दराज के राज्यों से अपना पेट भरने के लिए आए लोगों और व्यापारियों को भी सॉफ्ट टारगेट करके हत्याएं कर दहशत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं.
अमर उजाला की खबर के मुताबिक बीते कुछ दिनों में जो हत्याएं हुई हैं, वह लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन दि रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के आतंकवादी मिलकर कर रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक टीआरएफ के साथ जैश ए मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन की स्लीपर सेल सक्रिय हो गई है, इनके टॉप कमांडर सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं. इनमें से कुछ टॉप कमांडर को मार गिराया गया है. बहुत जल्द ही कुछ अन्य आतंकवादियों को भी मार गिराया जाएगा.
‘द हिंदुत्व पेराडाइम’ में कश्मीर मुद्दे पर विस्तार से चर्चा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ पदाधिकारी राम माधव की नई पुस्तक ‘द हिंदुत्व पेराडाइम’ में कश्मीर मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की गई है. पुस्तक में कही गई बातें भी इस ओर इशारा करती हैं कि कश्मीर के हालात में बदलाव शांति और अमन पसंद लोगों को जहां रास आ रही हैं, वहीं आतंकी संगठनों के लिए यह चिंता का कारण बन चुका है. यही वजह है कि अब आतंकी संगठन यहां टारगेट किलिंग की नई राह पर चल पड़े हैं.
राम माधव ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि कश्मीर में राजनीतिक विमर्श बदल गया है. स्वायत्तता और अलगाववाद के विषयों का स्थान अब लोकतंत्र और विकास ने ले लिया है, जो एक स्वागत योग्य कदम है. लगभग 5 साल तक बीजेपी महासचिव और जम्मू-कश्मीर में पार्टी प्रभारी रहे राम माधव ने कहा कि घाटी में भारत विरोधी ताकतें कमजोर और अलग-थलग पड़ रही हैं.
अब यहां शांति खरीदनी नहीं पड़ती बल्कि स्थापित हो रही
उन्होंने कहा, ‘कश्मीर आज पूरी तरह से अलग रास्ते पर चल रहा है. अब तक शांति खरीदने और संघर्ष को प्रबंधित करने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन अब यहां शांति स्थापित हो रही है. जब आप शांति खरीदते हैं, तो आपको कुछ समझौते करने पड़ते हैं, लेकिन जब आपको शांति स्थापित करनी है तो आपको उस ताकत की स्थिति में होना होगा, जो अभी दिख रही है…”
अलगाववाद की बात करने वाले लोकतंत्र की बात करने लगे
इस बात पर जोर देते हुए कि घाटी में भारत-विरोधी ताकतें कमजोर हो गई हैं और अलग-थलग पड़ गई हैं, उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में राजनीतिक विमर्श पूरी तरह से बदल गया है. जो लोग हमारा विरोध करते थे, अब वे भी अलगाववाद और स्वायत्तता के बजाय लोकतंत्र और चुनाव की बात करते हैं. यह स्वागत योग्य है और हम उनके साथ लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर चर्चा करना चाहेंगे.’
(यह खबर जनसत्ता, अमर उजाला और नवभारत टाइम्स की अलग अलग खबरों को मिलाकर तैयार की गई है.)