Himalaya Avalanche हिमालय में क्यों होते हैं हिमस्खलन

लोकेन्द्र सिंह बिष्ट, उत्तरकाशी

उत्तरकाशी में हाल ही में एवलांच आने या खिसकने की न तो ये पहली घटना है और न अंतिम ही है।हिमालय में एवलांच यानी हिमस्खलन की घटनाएं हिमालय का स्वभाव है। ये नेचर है प्रकृति है पहाड़ की . उच्च हिमालय में एवलांच यानी हिमस्खलन की घटनायें हिमालय का मिजाज है। ये नेचर है हिमालय का। हिमालय में हिमस्खलन, एवलांच, क्रेवास ये सब हिमालय के स्वभाव हैं।
बस हिमालय की चोटियों से एवलांच यानी हिमस्खलन खिसकने के दौरान इसके रास्ते में यदि कोई इंसानी जिंदगी तबाह हो जाय या इंसानी परिसंपत्तियों को नुकसान हो जाय तो घटना प्रकाश में आ जाती है और खबर बन जाती हैं। आपको बताते चलें कि कभी भी एवलांच इंसान के रास्ते मे नहीं आता है उलट इंसान ही इसके रास्ते मे आ जाने से इनकी चपेट में आ जाता है। सामान्यतः हिमालय में ये घटनाएं आम हैं यानी प्राकृतिक हैं। हिमालय का ये नेचर है। ये उसकी प्रकृति है।
उच्च हिमालय क्षेत्र में अत्यधिक इंसानी दखल के चलते भी अपनी प्रकृति को नहीं बदल सकता है हिमालय। न ही इंसान हिमालय के इस प्राकृतिक नेचर स्वभाव को बदलने की हिमाकत कर सकता है।और न ही इन् घटनाओं को इन्सानी प्रयासों से कम किया जा सकता है।
हम केवल एवलांच ओर हिमस्खलन की चपेट में आने से मात्र बच सकते हैं। वो भी तब जब हिमालय क्षेत्र में पर्वतारोहण के लिए गए पर्वतारोही आधुनिक मौसम विज्ञानी यंत्रो से सुसज्जित हों औऱ इस विज्ञान को समझने वाले लोग भी साथ हों।।

क्रेवास क्या हैं?

क्रेवास खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि ये कभी भी अप्रत्याशित रूप से खुल सकते हैं और किसी पर्वतारोही दल या व्यक्ति के इसमें गिरने का कारण बन सकते हैं।

क्रेवास यानी बर्फ में दरार जो 45 मीटर जितनी गहरी और 20 मीटर जितनी चौड़ी हो सकती है। उच्च हिमालय में लगातार भारी बर्फबारी से कभी कभी इन दरारों के ऊपर बर्फ की चादर बिछ जाती है नतीजा यह हो जाता है कि दरारें अदृश्य हो जाती हैं जो ग्लेशियर में चढ़ाई कर रहे पर्वतारोहियों के लिए घातक बन जाते हैं।
छिपे हुए दरारों के साथ ग्लेशियर पर यात्रा करने की योजना बनाने वाले पर्वतारोहण समूहों को रस्सी टीम के रूप में स्थानांतरित करने और उचित उपकरण रखने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ।

क्रेवास से बचाव के उपाय


पर्वतारोहण में क्रेवास बचाव यानी ग्लेशियर में एक पर्वतारोही को क्रेवास से पुनः खोज निकालने का प्रशिक्षण भी जरूरी होना चाहिये।।
प्रशिक्षण के दौरान बर्फ की खाई यानी क्रेवास से निकाले जाने की तैयारी भी उतनी ही जरूरी बना देनी चाहिये जितनी दूसरी चीजों पर ध्यान दिया जाता है।।

एवलांच क्या है?


हिमस्खलन (avalanche) किसी पहाड़ी या चोटी के ढलान वाली सतह पर तेज़ी से हिम के बड़ी मात्रा में नीचे की ओर खिसकने को कहते हैं। यह आमतौर पर किसी ऊँचे क्षेत्र में उपस्थित हिमपुंज में अचानक अस्थिरता पैदा होने से आरम्भ होते हैं। शुरु होने के बाद ढलान पर नीचे जाते हुए ये बर्फ गुणात्मक गति पकड़ने लगती है और इसमें बर्फ़ की और भी मात्रा शामिल होने लगती है।

हिमस्खलन यानी एवलांच लगभग 5 सेकंड के भीतर 80 मील प्रति घंटे की गति पकड़ लेता है और अपने आगे पड़ने वाली सभी मजबूत से मजबूत और अखंड से अखंड चीजों को तबाह बर्बाद कर देता है।

लोकेंद्र सिंह बिष्ट
लोकेंद्र सिंह बिष्ट

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