हाथरस पीड़िता पर हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

हाथरस के जघन्य मामले में पीड़िता की रात में चुपचाप अंत्येष्टि कर दिए जाने के बारे में मीडिया में सरकार और प्रशासन पर उठे तमाम सवालों के मद्देनज़र इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने आज एक बहुत महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया ।

जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट के वरिष्ठ रजिस्ट्रार को ‘गरिमामय अंतिम संस्कार के अधिकार’ के शीर्षक से एक जनहित याचिका दायर करने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।

कोर्ट ने कहा है कि यह तय किया जाना चाहिए कि पीड़िता की आनन – फानन में रात दो बजे के बाद अंत्येष्टि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन तो नहीं है।

इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह ) , उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक , अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून -व्यवस्था ) , हाथरस के जिला अधिकारी और पुलिस अधीक्षक को तलब किया है और उन्हें अदालत के सामने पेश होकर अपन पक्ष रखने और जांच की प्रगति का ब्यौरा देने के आदेश दिए हैं।

कोर्ट ने दिवंगत पीड़िता के परिवार के लोगों -उसके माता-पिता, भाई-बहन आदि – को भी अदालत के समक्ष हाज़िर किये जाने के आदेश दिए हैं ताकि लड़की की अंत्येष्टि के बारे में उनका पक्ष भी सुना जा सके और अदालत प्रशासन की ओर से पेश किये जाने वाले तथ्यों की जांच भी कर सके। हाथरस के जिला जज को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि सुनवाई के दिन दिवंगत पीड़िता के परिवार के लोग अदालत में मौजूद रहें।

गाँधी जयंती की पूर्व संध्या पर आये इस आदेश की शुरुआत विद्वान् न्यायाधीशों ने महात्मा गाँधी के एक बहुत प्रसिद्ध कथन के उल्लेख से की।

Tomorrow is Gandhi Jayanti and we are reminded of the words of
the Father of our nation Mahatma Gandhi whose heart bled for the weak and downtrodden and we quote his words as under:-
” मैं तुम्हे एक जंतर देता हूं। जब भी तुम्हे संदेह हो या तुम्हारा अहम तुम पर हावी होने लगे तो यह कसौटी अपनाओ, जो सबसे गरीब और कमजोर आदमी तुमने देखा हो, उसकी शक्ल याद करो और अपने दिल से पूछो कि जो कदम उठाने का तुम विचार कर रहे हो, वह उस आदमी के लिए कितना उपयोगी होगा, क्या उससे उसे कुछ लाभ पहुंचेगा? क्या उससे वह अपने ही जीवन और भाग्य पर काबू रख सकेगा? यानी क्या उससे उन करोड़ों लोगों को स्वराज मिल सकेगा, जिनके पेट भूखे हैं और आत्मा अतृप्त… तब तुम देखोगे कि तुम्हारा संदेह मिट रहा है और अहम समाप्त होता जा रहा है।’’”
This is a time to strengthen our resolve to live up to the ideas which “Bapu” stood for, but, unfortunately, ground realities are very different from the high values propagated and practiced by the Father of our Nation.

देखें जनादेश चैनल पर बीबीसी के पूर्व संवाददाता वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी का शो ‘आरडीटी’ शो

https://youtu.be/XErlvk2Nf20

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