बाल्मीकी के मर्यादा पुरषोत्तम राम, तुलसी के लिए पूर्ण ब्रम्ह का अवतार लेते हैं
राम नारायण सिंह
बुध विश्राम सकल जन रंजन।
राम कथा कलि कलुष विभंजन।
राम कथा,विद्वानों की जिज्ञासा का समाधान कर उन्हें विश्राम देने वाली, समस्त सामान्य लोंगो का मनोरंजन करने वाली और कलियुग के कुसंस्करो का परिष्कार करने वाली है।
कालजयी साहित्य की यही तीन कसौटियाँ हैं। वह विद्वत समाज के जिज्ञासाओं का कितना समाधान कर पाता है और उन्हें कितना बौधिक आनंद दे कर शांति का अनुभव करा पाता है।उसका सम्मान इसी पर निर्भर करेगा।
वह सामान्य जन का कितना मनोरंजन कर उन्हें आनंदित करता है। कितना उनकी समझ को गुदगुदाता है। उसकी व्यापक लोकप्रियता इसी पर निर्भर करेगी।
इसके साथ ही वह साहित्य लोंगो में कितना अच्छे संस्कार,विचार और प्रेरणा पैदा करता है तथा उनके कुसंस्कारो ,निम्न स्तरीय सोंचो तथा हताशा को दूर करता है। उसकी दीर्घकालिक उपादेयता इसी पर निर्भर करेगा।
तुलसी साहित्य इन सभी कसौटियों पर पूर्णत: खरा उतरता है। इसी लिए वह ज्ञानमार्गी विद्वानो,कर्मयोगी सामान्यज़नो और भक्तिमार्गी संतो में समान रूप से लोकप्रिय है।सबका तारणहार है।
तुलसी इसका श्रेय अपनी काव्य रचना क्षमता को नहीं देते। उनके अनुसार राम कथा की यह स्वाभाविक परिणति है। वे तो अपने को मतिमंद ही मानते हैं।
जाकी कृपा लवलेस ते मतिमंद तुलसीदासहूँ।
पायो परम विश्रामु राम समान प्रभु नाहीं कहूँ।
यह तो राम की छोटी सी कृपा है जो उनको पूर्ण तृप्त कर परम शांति प्रदान करती है। राम के समान दूसरा स्वामी कहीं नहीं है। बाल्मीकी के मर्यादा पुरषोत्तम राम, तुलसी के लिए पूर्ण ब्रम्ह का अवतार लेते हैं।
आज तुलसी जयन्ती है। उस तुलसी की जय हो,जय हो।
पन्द्रह सौ चौवन बिसे कालिन्दी के तीर।
श्रावण शुक्ला सप्तमी तुलसी धर्यो शरीर।।
बिक्रम सम्बत (बिसे) १५५४ जमुना किनारे (राजापुर बाँदा )जन्मे तुलसी ने १२६ वर्ष की आयु में शरीर छोड़ा।
सम्वत् सोरह सौ असी असी गंग के तीर।
श्रावण कृष्णा तीज शनि तुलसी तज्यो शरीर।।
(लेखक आई पी एस अधिकारी हैं. उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस से महा निदेशक हैं. )