श्री गांधी आश्रम के महामंत्री ब्रज भूषण पांडेय का निधन

नई दिल्ली। खादी की एक शीर्ष संस्था श्री गांधी आश्रम के महामंत्री श्री बृज भूषण पांडे नहीं रहे, उनकी उम्र 86 वर्ष थी। शुक्रवार को दोपहर अचानक हार्ट अटैक से उनका निधन हुआ। इस उम्र में भी वह लगातार खादी की सेवा में लगे थे। श्री गांधी आश्रम के एक प्रमुख पदाधिकारी शत्रुघ्न द्विवेदी ने कहा कि श्री पांडेय के निधन से खादी जगत के एक बड़ा पहाड़ ढह गया।

गांधी स्मारक निधि उत्तर प्रदेश के महामंत्री लाल बहादुर राय भगवान से शोक संदेश में ईश्वर से प्रार्थना की कि उनको अपने चरणों में स्थान दें उनके परिवारी जनों को यह दुख सहन करने की क्षमता प्रदान करें। ओम शांति शांति शांति!

सर्व सेवा संघ में मैनेजिंग ट्रस्टी अशोक शरण ने कहा श्री बृज भूषण पांडे जी का निधन अत्यन्त दुखद है। गांधी, खादी, सर्वोदय के पुरोधा हमारे बीच नही रहे। उनके न रहने से खादी मिशन को अपार क्षति हुई है।

गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष राम चंद्र राही ने कहा, खादी जगत का एक स्तम्भ चला गया।श्री गांधी आश्रम का एक कोना सूना हो गया। ईश्वर उनकी आत्मा को चिर शांति प्रदान करे और परिवार जनों को यह शोक सहन करने की शक्ति प्रदान करें!

विनोबा सेवा आश्रम की विमला बहन ने कहा, वे गांधी आश्रम परिवार के मुखिया होने के साथ ही खादी में काम करने वाली तमाम संस्थाओं का मार्गदर्शन करते थे। एक संरक्षक हम सबने खोया है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।

श्री ब्रज भूषण पाण्डेय जी, महामंत्री श्री गाँधी आश्रम प्रधान कार्यालय लखनऊ के आकस्मिक निधन का समाचार जानकर स्तब्ध रह गया। संस्था के संचालक श्री राम नरेश भई से सम्पर्क किया। उन्होंने कहा के संकट के समय हम लोगों को छोड़ कर चले गए। इससे दुःखद क्या हो सकता है।

श्री पाण्डेय जी वर्ष 1955 में श्री गाँधी आश्रम में पूर्वांचल में आए फिर पश्चिम अंचल में स्थानांतरित होकर चले गए। मुरादाबाद अंचल में वर्ष 1998 तक विभिन पदों पर रहे। मुख्य रूप से मुरादाबाद क्षेत्र के मंत्री रहते हुए संस्था को उच्चतम स्तर तक पहुँचाये। 1998 में प्रधान कार्यालय में स्थानांतरित होकर गए। श्री महेश भाई, महामंत्री जी के निधन के बाद उनका कार्यभार अभी तक सम्भाल रहे थे। भारत सरकार की संस्था खादी ग्रामोद्योग आयोग की विभिन्न समितियों के अध्यक्ष, सदस्य के रूप में योग दाँ दिए।

संस्था के कार्य को उच्चतम स्तर तक ले जाने की अद्भुत क्षमता थी। ऐसे सहज, सहनशील, दयालु व्यक्तित्व का जाना एक अपूरणीय क्षति तो है ही, हर कार्यकर्ता का मुख्य संरक्षक नही रहा। हम सब ईश्वर से प्रार्थना करते हैं की दिवंगत आत्मा को शांति एवं परिवारी जनों को इस दुःख की घड़ी में सम्बल प्रदान करे।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

16 − 7 =

Related Articles

Back to top button