UP में ‘खिचड़ी’, पंजाब में ‘लोहड़ी’, असम में ‘बिहू’ नाम से मनायी जाती है ‘संक्रांति’

जानिये, मकर संक्रांति के अन्य नाम

Makar Sankranti 2022 : विविधताओं के देश, भारत में कुछ कुछ दूरी पर ही त्योहार के नाम और उन्हें मनाने की परंपरायें तक बदल जाती हैं। इसके बावजूद गंगा-जमुनी हमारी संस्कृति में देश में हर त्योहार मिल-जुल कर मनाने की परंपरा है। कुछ त्योहार ऐसे भी हैं, जो एक ही समय पर अलग-अलग नामों से मनाये जाते हैं। मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2022) का पर्व भी ऐसा ही है।

मकर संक्रांति भी ऐसा ही एक त्योहार है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में जाने पर मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 14 व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। तमिलनाडु में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल, असम में बिहू और गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। जानिए, भारत में कहां किस रूप में मनाई जाती है मकर संक्रांति…

उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है खिचड़ी पर्व

उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति का पर्व खिचड़ी के नाम से मनाया जाता है। यहां इस दिन खिचड़ी के सेवन एवं खिचड़ी के दान का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन सुबह नदी में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। और भी कई परंपराएं इस पर्व से जुड़ी हुई हैं।

उत्तराखंड

कुमाऊं और गढ़वाल में इस उत्सव को घुघुती भी कहते हैं। वहीं गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांत भी कहा जाता है। घुघुती एक मिठाई है। इसे अलग-अलग आकार में बनाया जाता है। इसे आते और गुड़ से बनाया जाता है।

पंजाब में लोहड़ी

पंजाब में मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। इस उत्सव में रात को आग जलाकर उसके आस-पास महिला व पुरुष परंपरागत नृत्य करते हैं। साथ ही आग में तिल, मूंगफली और चिड़वा डाला जाता है। महिलाएं गिद्दा और पुरुष भांगड़ा नृत्य करते हैं। इस मौके पर कुछ खास चीजें भी खाई जाती हैं। पंजाब में मकर संक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है। माघी के दिन नदी में स्नान का अपना महत्व है। हिंदू तिल के तेल से दीपक जलाते हैं, क्योंकि इसे समृद्धि देने वाला और सभी पापों को दूर करने वाला माना जाता है। इस दिन लोग बैठ कर खिचड़ी, गुड़ और खीर खाते हैं। 

असम में बिहू

मकर संक्रांति के अवसर पर असम में बिहू उत्सव मनाया जाता है। असम में माघ बिहू मनाया जाता है जिसे भोगली बिहू भी कहा जाता है। असम में मनाया जाने वाले ये एक फसल उत्सव है, जो माघ यानि जनवरी-फरवरी के महीने में मनाया जाता है। यह फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है। माघ बिहू के पहले दिन को उरुका कहा जाता है। इस दिन लोग नदी के किनारे अथवा खुली जगह में धान की पुआल से अस्थायी छावनी बनाते हैं, जिसे भेलाघर कहते हैं। गांव के सभी लोग यहां रात्रिभोज करते हैं। गांव के सभी लोग इस मेजी के चारों और एकत्र होकर भगवान से मंगल की कामना करते हैं। इस उत्सव में एक हफ्ते तक दावत होती है। युवा लोग बांस, पत्तियों और छप्पर से मेजी नाम की झोपड़ियों को बनाते हैं और उसमें बैठ कर दावत खाते हैं फिर अगली सुबह इन झोपड़ियों को जलाया जाता है।  

दक्षिण भारत

तमिलनाडु में इसे पोंगल कहते हैं। ये चार दिन का त्योहार होता है। जिसमें पहला दिन भोगी-पोंगल, दूसरा दिन सूर्य-पोंगल, तीसरा दिन मट्टू-पोंगल और चौथा दिन कन्या-पोंगल के रूप में मनाते हैं। दक्षिण भारत  के लोग इस जिन चावक के पकवान बनाते हैं। हर दिन की तरह इस दिन भी रंगोली बनाई जाती है जो बेहद खूबसूरत होती है और रंगों से भरी होती है। 

केरल में मकर विलक्कू

केरल में इसे मकर विलक्कू कहते हैं और सबरीमाला मंदिर के पास जब मकर ज्योति दिखाई देती है तो लोग इसेक दर्शन करते हैं। वहीं आंध्र प्रदेश में संक्रांति का पर्व तीव दिन का होता है। जिसमें लोग पुरानी चीजों को फेंक कर नई चीजें लेकर आते हैं। किसान अपने खेत, गाय और बैलों की पूजा करते हैं और तरह-तरह का खाना खिलाते हैं

तमिलनाडु में पोंगल

पोंगल के त्योहार में मुख्य रूप से बैल की पूजा की जाती है क्योंकि बैल के माध्यम से किसान अपनी जमीन जोतता है। गाय व अन्य पशुओं को सजाया जाता है। उनके सींगों पर चित्रकारी की जाती है। उसके बाद भगवान को नई फसल का भोग लगाया जाता है व गाए व बैलों को भी गन्ना व चावल खिलाया जाता है। इस अवसर पर बैलों की दौड़ और अन्य खेलों का भी आयोजन होता है।

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गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश 

गुजरात में उत्तरायण

मकर संक्रांति का पर्व गुजरात में उत्तरायण के रूप में मनाया जाता है। गुजराती में मकरसंक्रांति को उत्तरायण कहा जाता है। इस दिन यहां बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है, जो दो दिन तक चलता है। 14 जनवरी को उत्तरायण और 15 जनवरी को वासी-उत्तरायण। इस दिन यहां के लोग पतंग उड़ाते हैं और तिल-गुड़ के लड्डू खाते हैं। इस दिन काले तिल और गुड़ के लड्डू खाने और दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन यहां काइट फेस्टिवल मनाया जाता है। पतंगबाजी को पारंपरिक रूप से इस त्योहार के एक भाग के रूप में मनाया जाता है, जो राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी  खूब फेमस है।

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