कोविड-19 की चिकित्सा : बार बार क्यों बदल रहा प्रोटोकॉल?

गत वर्ष के आरंभ में, जब कोविड-19 महामारी का प्रकोप बढ़ने लगा तो उस समय न इसके लिए कोई उपचार था और न ही इससे बचाव के लिए कोई अन्य उपाय। स्वाभाविक है कि जिस वायरस के संबंध में विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित, सम्पूर्ण चिकित्सा जगत इसके प्रति पूरी तरह से अंजान था। फिर भी, उस समय से लेकर अब तक, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दिये गए सुझावों के दृष्टिगत, भारत में प्रचलित चिकित्सा तंत्र के साथ मिलकर सरकार ने जो जो प्रोटोकॉल जारी किया, चिकित्सा तंत्र ने समय समय पर उसका पालन किया। परंतु, तब अब तक यह प्रोटोकॉल कई बार बदल चुका है।

जो औषधियाँ एक प्रोटोकॉल में शामिल की जाती हैं, अगले प्रोटोकॉल में उनको यह कह कर खारिज कर दी जाती हैं कि ये औषधियाँ इस महामारी के कारगर नहीं हैं, कुछ अन्य औषधियाँ शामिल कर दी जाती हैं। ऐसा एक दो बार नहीं 5-6 बार हो चुका है। ये औषधियाँ स्वस्थ एवं रोगी सभी लोगों को समान रूप से खिलाई गईं। औषधियों के सेवन के बावजूद एक बड़ी संख्या में लोग महामारी के शिकार हुये और असमय कालकलवित भी हुए। इन बदलते हुये विभिन्न प्रोटोकोलों ने न केवल पूरे चिकित्सा जगत को भ्रमित कर रखा है, बल्कि आम जन भी स्वयं को ठगा महसूस कर रहा है कि जिन दवाओं के लिए गत दिनों इतनी मारामारी हुई कि निर्धारित मूल्य से कई गुना अधिक मूल्य चुका कर ब्लैक में खरीदनी पड़ी, उनको आज बताया जा रहा ही कि ये दवाएं कारगर ही नहीं है 

एक ओर तो यह कहा जा रहा है रोगियों को केवल वही दवाएं दी जानी चाहिए जो इविडेंस-बेस्ड प्रमाणित हों, वहीं दूसरी ओर, बिना किसी प्रमाण के इन दवाओं का लोगों पर अंधाधुंध प्रयोग कर उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आज जनमानस को यह प्रश्न बुरी तरह से मथ रहा है कि आखिर इन प्रोटोकोलों को बनाने की क्या व्यवस्था है और इन पर कितना और क्या चिंतन किया जाता है। 

  यह आज इसी विषय पर इनके विधिक पक्षों सहित, विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिये श्री रामदत्त त्रिपाठी के साथ आयुषग्राम चित्रकूट के संस्थापक, भारतीय चिकित्सा परिषद, उ.प्र. शासन में उपाध्यक्ष तथा कई पुस्तकों के लेखक, आयुर्वेद फार्मेसी एवं नर्सिंग कॉलेज के प्रधानाचार्य एवं प्रख्यात आयुर्वेदचार्य आचार्य वैद्य मदन गोपाल वाजपेयी, Shri AYURVED Mahavidyalay Nagpur के प्रो. ब्रजेश मिश्र, महाराष्ट्र सरकार के आयुष प्रोटोकॉल समिति के सदस्य प्रो. एच.बी. सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी, रांची से डॉ. सुरेश अग्रवाल, देवरिया से डॉ. आर. अचल, और हेमवतीनन्दन बहुगुणा चिकित्सा विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. हेम चंद्रा उपस्थित हैं। आइये सुनते हैं इस विषय पर इन विद्वतजनों के विचार: 

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