समाज
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अमिताभ और अभिषेक बच्चन कोरोना पाजिटिव, अस्पताल में भर्ती, शुभ कामनाओं का अम्बार
🔊 सुनें (मीडिया स्वराज़ डेस्क ) अमिताभ बच्चन और उनके बेटे अभिषेक बच्चन ने ट्वीट करके सूचना दी है कि…
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कोरोनावायरस प्रभावित लखनऊ का सी एम ओ आफिस सील , हाईकोर्ट में थर्मल स्कैनिंग करने वाला पाजिटिव
🔊 सुनें (मीडिया स्वराज़ डेस्क) मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि लखनऊ में शनिवार को केजीएमयू द्वारा…
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आख़िर देश – विदेश में विकास दुबे का बिज़नेस क्या था और कौन है रिंग मास्टर?
🔊 सुनें दिनेश कुमार गर्ग, स्वतंत्र लेखक तीन जुलाई से दस जुलाई तक यानि बिकरु गाँव में दस पुलिस वालों की सुनियोजित हत्या से लेकर दस जुलाई को हिरासत में मौत तक मीडिया का सारा फ़ोकस शातिर दिमाग़ माफिया विकास पर था. लेकिन किसी ने यह नहीं बताया कि वह ऐसा कौन सा बिज़नेस कर रहा था कि चंद सालों में उसने इतनी बार विदेश यात्राएँ की और देश विदेश में नामी बेनामी अकूत सम्पत्ति जमा की. किसी ने यह भी ध्यान नहीं दिया कि कारों के तमाम नए माडल होने के बावजूद उसकी दिलचस्पी एम्बेसडर और पुरानी सरकारी गाड़ियों में क्यों थी? उसके काम में इतनी सफ़ाई थी कि आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय किसी को भनक नहीं लगी. इन सबकी नींद तब खुली जब वह भगोड़ा हो गया. इन्फोर्समेण्ट डायरेक्टेरेट यानी ईडी ने 7 जुलाई को कानपुर पुलिस को पत्र लिखकर विकास दुबे की संपत्तियों की पूरी सूची बनाने और प्रस्तुत करने को कहा है । इससे सन्देह पैदा होता है कि विकास दुबे अपने बिकरू गांव की स्थानीय दबंगई, माफियागीरी से बहुत आगे निकल गया था …और जिसने उसे निकाला , बढा़या उसकी विकास के ज़िंदा रहने में दिलचस्पी नहीं रह गयी थी. उसका सफ़ाया तो दो जुलाई की रात होना था, जब रात के अंधेरे में उसके घर पर दबिश दी गयी. लेकिन सत्ता और पैसे की गर्मी से घमंड में चूर विकास दुबे ने पुलिस वालों को ही घेरकर मार डाला. और फिर फ़रार होकर आपने आकाओं से जान बचाने की भीख माँगने निकाल पड़ा. विकास जो कभी साधारण ग्रामीण आर्थिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति था वह बहुत थोडे़ समय में इतना धनी बन गया लेकिन इनकम टैक्स या ईडी की नज़र तब उस पर नहीं पड़ी. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसिद्ध है कि रोग और मुकदमा जिसे लग जाते हैं उसके धन को डाॅक्टर और वकील खा जाते हैं। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो विकास के ऊपर 60 मुकदमें थे फिर भी उसका धन राकेट की स्पीड से बढ़ता गया । उसने गत तीन वर्षों में 14 देशों का भ्रमण कर डाला , लखनऊ के कृष्णानगर में कई करोड़ रुपये का आवास खरीद लिया , विभिन्न शहरों में 30 से अधिक बेनामी संपत्तियां बना लीं , बडे़ लड़के को इंग्लैण्ड में पढा़ना शुरू कर दिया . उसके गुर्गों ने यूनाइटेड अरब अमीरात और थाईलैण्ड आदि में उसके लिए पेण्टहाऊस खरीदे रखे थे. उसके 6 हजार रुपया महीना कमाने वाले व्यक्ति ने कानपुर के पाॅश इलाके में 23 करोड़ रु मूल्य का बंगला खरीद लिया. यह सब इंगित करते हैं कि वह किसी ऐसे धन्धे में था जिसमें रिंगमास्टर कोई बहुत ही ऊंची पहूंच का पावरफुल व्यक्ति या लोगों का समूह है और नम्बर दो का भारी खजाना उसके और गिरोह के हाथ लग गया है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में उड़ते पंजाब की छाया पड़ने लगी है, शराब, हशीश और स्मैक का प्रचलन बढ़ रहा है।कहीं ऐसा तो नहीं कि उसकी कमाई का ज़रिया यही रहा हो. उत्तर प्रदेश का मंत्रालय और सचिवालय अब बहुत बदल गये हैं । अब इन स्थानों पर स्वतंत्रता संग्राम लड़ने वाले आदर्शवादी नेताओं की जगह कैरियर पाॅलिटीशियन व उनके दलों के लोग रहते हैं । अब यहां शुचिता और लोक शिकायत के प्रति सम्वेदनशीलता की जगह दलाल तंत्र पीड़ित और पीड़ा दूर करने वालों के बीच काम करता है। ऐसे माहौल का आगमन कोई 30-35 वर्षों में हुआ है । जो नोटेड अपराधी हुआ करते थे वे मंत्री और मुख्यमंत्री बनने की रेस में रहते हैं । परिणामस्वरूप बीहड़ की जगह लखनऊ हर तरह के अपराधियों का केन्द्र बिन्दु बनने लगा । ये अपराधी राजनीतिक दलों के फाइनेन्सर , मसेल पावर , मनीलाॅण्डरर , प्रापर्टी मैनेजर , रैली कराने वाले ईवेण्ट मैनेजर , विरोध प्रदर्शनों को हिंसक विरोध प्रदर्शन में बदलने वाले कार्यकर्ताओं के आपूर्तिकर्ता आदि -आदि भूमिकाओं में आने लग गये । ये सचिवालय के उच्च पदस्थ अधिकारियों को मुट्ठी में रखते हैं और विभिन्न सरकारी आदेशों के बाईपास ढूंढ़ने में सिद्धहस्त हैं । सचिवालय की ताकत के जोर पर अवर श्रेणी के विभागीय अधिकारियों का गला दबाये रखते हैं। आटो चलाने वाले, पानकी गुमटी रखने वाले, अंडे का ठेला लगाने वाले ऐसे सब लोग अब इम्पोर्टेड गाडि़यों में जू़म करते हैं और कोठियां कितनी उनकी हैं कितनी कब्जा की हुईं , गिनती नहीं। विकास दुबे को भी ऐसे ही किसी दलाल या पाॅलिटीशियन का सहारा मिला जो न केवल उसके मसल पावर का राजनीतिक इस्तेमाल करता था बल्कि उसके नेटवर्क के माध्यम से कुछ और व्यापार करता रहा जिसके माध्यम से अकूत धन विकास ने भी कमाए . अब केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के कई विभाग विकास दुबे की काली कमाई के सभी तार अनप्लग करने को दृढ़संकल्पित दिखाई पड़ रही है. अगर उसके सारे सूत्रों को अनकवर कर सके तो देश व समाज की बडी़ मदद होगी यह जानकर कि विकास का असली रहनुमा कौन था ? एक बडा़ सवाल , शायद …शायद ही उत्तर मिल सके।
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रोजगार का संकट, प्रवासी मजदूरों की वापसी
🔊 सुनें —डॉक्टर अमिताभ शुक्ल , भारत में विकास की नीतियों में दूरदर्शिता एवं दीर्घ अवधि योजनाओं के निश्चित…
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कोरोना युग में क्या हवाएं डरावनी हो जाएँगी ?सांस लेना भी क्या दूभर हो जाएगा ?
🔊 सुनें —डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी ,प्रयागराज मानव सभ्यता के इतिहास में सन 2020 को न भूतो न भविष्यति ,ऐसे कोरोना…
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प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी की सामाजिक संस्थाओं के साथ किया संवाद
🔊 सुनें प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वाराणसी के उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिनिधियों…
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साझा संस्कृति मंच ने मजदूरों को रोज़गार, हर्जाना, बेरोज़गारी भत्ता और राशन कार्ड की मांग की
🔊 सुनें (मीडिया स्वराज़ डेस्क ) वाराणसी, साझा संस्कृति मंच ने पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में मंच…
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लखनऊ: कोविड केयर सेंटर में तब्दील हुआ हज हाउस
🔊 सुनें लखनऊ. राजधानी स्थित हज हाउस को कोविड केयर सेंटर के रूप में तब्दील किया जाएगा। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश…
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डव्लूएच ओ ने स्वीकार किया कि कोरोना संक्रमण हवा से भी फैलता है
🔊 सुनें —डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी , वैज्ञानिक, प्रयागराज विश्व स्वास्थ्य संगठन -डव्लूएचओ के कोरोना संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण की…
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घूँट भर अंतरिक्ष और एक अनाथ दुविधा, असीम विकास की निरंकुश वासना
🔊 सुनें — सोपान जोशी जल के बारे में सबसे जरूरी बात वह है जो हर साधारण हिंदुस्तानी जानता था…
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