साझा संस्कृति मंच ने मजदूरों को रोज़गार, हर्जाना, बेरोज़गारी भत्ता और राशन कार्ड की मांग की

कोरोना के दौर में बनारस लौटे प्रवासी मजदूरों पर साझा संस्कृति मंच द्वारा किया गया सर्वेक्षण

(मीडिया स्वराज़ डेस्क )

वाराणसी, साझा संस्कृति मंच ने पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में मंच के द्वारा किये गए सर्वेक्षण के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए अन्य प्रदेशों से घर लौटे मजदूरों की बदहाली पर प्रकाश डाला | मंच के संयोजक फादर आनंद, लोक चेतना समिति की निदेशिका रंजू सिंह, मनरेगा मजदूर यूनियन के महेंद्र राठौर और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने जॉइंट एक्शन कमेटी के डॉ0 धनञ्जय त्रिपाठी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए बदहाली में जी रहे मजदूरों के लिए सरकार से मांग की कि उन्हें अविलम्ब बेरोज़गारी भत्ता , यात्रा के दौरान हुए मुश्किलों के लिए हर्जाना, राशन कार्ड आदि मुहैया कराया जाए।

कोरोना महामारी के दौरान प्रथम लॉकडाउन लगने के तुरंत बाद ही साझा संस्कृति मंच की पहल पर 25 मार्च 2020 से 02 जून 2020 तक वाराणसी शहर और जिले के हरहुआ, चोलापुर, अराजी लाइन, चिरईगांव, सेवापुरी और पिंडरा विकास खण्डों में तथा जौनपुर जिले के केराकत विकास खंड में 13691 परिवारों तथा कुल 94,633 लोगों के मध्य राशन किट का वितरण किया गया.

राशन वितरण के कार्य में प्रमुख रूप से जन विकास समिति, लोक चेतना समिति, ज्वाइंट एक्शन कमेटी बी एच यू, विश्व ज्योति जनसंचार केंद्र, आशा ट्रस्ट, लोक समिति, विजन संस्थान, एशियन ब्रिज इंडिया, क्लाइमेट एजेंडा, अस्मिता, मनरेगा मजदूर यूनियन, डेयर, रिदम, न्यू सोशल इनीशिएटिव, विश्वज्योति गुरुकुल, अमर दीप आदि संस्थाओं और संगठनों के कार्यकर्ता दिन-रात लगे रहे |

लोक समिति और आशा ट्रस्ट के द्वारा वाराणसी जिले के अराजी लाइन तथा सेवापुरी ब्लॉक के 105 गाँवों के 1773 प्रवासी मजदूरों के मध्य एक सघन सर्वे कर आंकड़ें जुटाए गए। विश्व ज्योति जनसंचार केंद्र और प्रेरणा कला मंच के कलाकारों ने हरहुआ विकास खंड के सभी 96 गांव के कुल 1841 प्रवासी मजदूरों के मध्य सर्वे किया। लोक चेतना समिति, चिरईगांव के साथियों ने आशा ट्रस्ट के साथ मिलकर चोलापुर के 49 गाँव में 2362 मजदूरों के बीच, चिरइगाँव ब्लाक के 39 गाँव के 1365 मजदूरों के बीच तथा काशी विद्यापीठ के 18 गाँव के 357 प्रवासी मजदूरों के बीच सर्वेक्षण किया और हर गाँव के मजदूरों के हुनर का पता लगाया है |

ये मजदूर गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिल नाडू, तेलंगाना से लेकर अबुधाबी तथा दुबई तक से पलायन कर वापस आने के मजबूर हुए हैं। इन मजदूरों में से 48% वापस जाना नहीं चाहते। सरकार ने स्वयं स्वीकार किया है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में केवल मनरेगा में ही रोजगार दे सकती है।

इन मजदूरों में से 56 फीसदी अकुशल श्रमिक हैं। लगभग 90% मनरेगा के तहत पंजीकृत नहीं हैं । और 97 फीसदी मजदूरों के पास श्रम विभाग का पंजीयन नहीं है। 59 फीसदी से अधिक परिवारों में कमाने वाला व्यक्ति केवल एक है । और लगभग 46 फ़ीसदी के पास राशन कार्ड भी उपलब्ध नहीं है। काफ़ी लोग पिछले दो-तीन वर्षों से ही सूरत, कल्याण, भिवंडी जैसे महानगरों में जा कर रोज़गार कर रहे थें। जिस कारण बहुत जमा पूंजी भी इनके परिवारों के पास नहीं होगी। इन्हें चिन्हित कर तत्काल मदद देने की जरूरत है। ये मजदूर पेंटर, दर्जी, ड्राइवर, स्ट्रीट वेंडर, घरेलु कामगार, गार्ड, बढ़ई, मार्बल मिस्त्री, माली तथा होटल/रेस्तरां मेम्काम, इम्ब्रॉइडरी और कपड़ा उद्योग की मजदूरी, ठेके पर निर्माण कार्य और रेहड़ी-पटरी दुकानी आदि का काम कर अपनी जीविका चलाते थे। भोजन उपलब्ध ना होने तथा रोज़गार बंद होने के कारण आर्थिक समस्या आदि उन प्रमुख कारणों में से रहे जिस कारण इन्हें अपने घर-गांव वापस आना पड़ा। इन सारे मजदूरों के नाम, मोबाइल नंबर, इनका हुनर आदि का विवरण जिला प्रशासन, लेबर कार्यालय, रोज़गार दफ्तार आदि में दिया जाएगा ताकि इन मजदूरों को अपने हुनर के मुताबिक रोज़गार मिले |

मंच ने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित नवम्बर माह तक अतिरिक्त राशन उपलब्ध कराने की घोषणा का स्वागत किया ।

साझा संस्कृति मंच और जॉइंट एक्शन कमेटी BHU से जुड़े सभी संगठनों ने केंद्र और राज्य सरकार से प्रवासी मजदूरों के आजीविका के लिए कुछ जरूरी सुझाव रखे एवं माँग की:-

1. सभी प्रवासी मजदूरों को चिन्हित करके अनिवार्य रूप से तत्काल ONOC (One Nation One Ration Card) योजना के तहत राशनकार्ड जारी किया जाय।
2. सभी प्रवासी मजदूरों के परिवार को कम से कम मार्च 2021 तक निःशुल्क और पर्याप्त राशन उपलब्ध कराया जाय।
3. सभी प्रवासी मजदूरों को कैम्प लगाकर अनिवार्य रूप से तत्काल श्रम विभाग, रोजगार विभाग और अन्य सम्बन्धित विभाग में रजिस्ट्रेशन किया जाय।
4. सभी प्रवासी मजदूरों को कैम्प लगाकर मनरेगा योजना के तहत जॉब कार्ड जारी किया जाय। तथा उन्हें वर्ष में कम से कम 200 दिन का रोजगार व न्यूनतम मजदूरी 600 रुपए किया जाय। जो कि अभी मात्र 202 रुपये है।
5. सभी प्रवासी मजदूरों को उनके स्किल के हिसाब से रोजगार उपलब्ध कराया जाय।
6. लाकडाउन के दौरान काम करने वाले सभी मजदूरों को कोरोना बचाव व सुरक्षा के लिये अच्छी गुणवत्ता वाली सुरक्षा किट उपलब्ध कराया जाय।
7. जब तक उन्हें कोई स्थाई रोजगार उपलब्ध नही है तब तक सभी प्रवासी मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाय।
8. सभी प्रवासी मजदूरों और उनके परिवार के सभी सदस्यों को आयुष्मान भारत योजना के तहत तुरंत स्वास्थ्य कार्ड जारी किया जाय तथा उनका निःशुल्क इलाज सुनिश्चित कराया जाय।
9. सभी प्रवासी मजदूरों को स्वरोजगार के लिये वित्तीय सहायता व अन्य सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाय।
10. लॉक डाउन में घर वापसी के दौरान परेशान हुए सभी प्रवासी मजदूरों को कम से कम 10,000 रुपए का हर्जाना दिया जाय।
11. ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में यूनिवर्सल सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सभी परिवारों व एकल जन को तत्काल राशनकार्ड उपलब्ध कराए जाएं | राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाए और अभी तक मांगे जा रहे अनगिनत प्रमाण पत्रों के दुष्चक्र से इस महामारी काल में जनता को राहत दी जाए।
12. सरकारी गल्ले से दिए जा रहे सस्ते राशन में खाद्य तेल और दाल को भी शामिल किया जाए।
13. आत्मनिर्भर योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा 8 करोड़ अतिरिक्त जनों को दिए जा है राशन व्यवस्था की पुनर्बहाली हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

two + seven =

Related Articles

Back to top button