चन्द्रविजय चतुर्वेदी
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सम्भवामि युगे युगे : धर्म संस्थापना अर्थात प्रकृति का संरक्षण
मैं अपने को प्रगट करता हूँ। कोरोना काल में धर्म के पतन के उदहारण न भूतो न भविष्यत् हैं -पतन…
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गणेश ओंकारस्वरूप हैं ,गणेश का सगुण रूप ओंकार का प्रतीक है गणेशोत्तरतापिन्युपनिषद में गणेश को ओंकारस्वरूप एकाक्षर ब्रह्म माना है…
Read More »🔊 सुनें डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी। प्रयागराज श्रावण पूर्णिमा को श्रावणी ,सनातन पूर्णिमा और रक्षाबंधन के पावन पर्व के रूप में…
Read More »इस विपत्तिकाल में बहुत अच्छा लगा जयजगत ,आत्मनिर्भरता ,स्वदेशी ,लोकल स्थानीयता के प्रयोग की अभिलाषा जागरण देश में उभर रहे…
Read More »आधुनिक काल के हिंदी साहित्य का संवर्धन करने वाले भट्ट जी का भाषा के सम्बन्ध में स्पष्ट मत था --बहुत…
Read More »वस्तुतः यह अमेरिकी शिक्षा पद्धति की ओर ले जा रहा है जहाँ शिक्षा एक कमोडिटी और व्यवसाय है। इस व्यवस्था…
Read More »मैं अपने को प्रगट करता हूँ। कोरोना काल में धर्म के पतन के उदहारण न भूतो न भविष्यत् हैं -पतन…
Read More »कोरोना से मुक्ति पाने के सन्दर्भ में यह भी सोचते रहने की आवश्यकता है की यदि कोरोना प्रकृति जन्य है…
Read More »नाइट्रिक आक्साइड के उत्पादन और क्रियाशीलता के लिए सबसे उपयोगी प्राणायाम भ्रामरी प्राणायाम है जिसमे मुंह ,आँख ,कान बंद करके…
Read More »फाज थैरपी पर अध्ययन के दौरान एक बात उभर कर आती है की क्या यह संम्भव नहीं है कि मानव…
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