बाबरी विध्वंस मुक़दमे का फ़ैसला कुछ ही देर में

बुधवार 30 सितंबर 2020 यानी आज विशेष न्यायाधीश अयोध्या प्रकरण लखनऊ, बाबरी विध्वंस मामले में अपना निर्णय सुनाएंगे।

अब से कुछ ही देर बाद फैसला सुनाने के लिए अदालती कार्यवाही शुरू हो जायेगी।

इससे पूर्व आइये! तब तक जानते हैं इस ट्रायल का इतिहास।

सेशन ट्रायल नंबर 344/1994, 423/2017 और 796/2019 सरकार बनाम पवन कुमार पांडे एवं अन्य उपरोक्त मामले में सभी पक्षों की सुनवाई 16/09/2020 को समाप्त हुई थी।

उसके बाद श्री सुरेंद्र कुमार यादव पीठासीन अधिकारी विशेष न्यायालय अयोध्या प्रकरण लखनऊ ने 30 सितंबर 2020 को निर्णय हेतु तिथि निर्धारित की थी |

दो एफआईआर

06/12/1992 के बाबरी विध्वंस मामले में दो एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें एफ आई आर संख्या 197 लाखों कारसेवकों के खिलाफ थी।

षड्यंत्र से संबंधित एफआईआर संख्या 198 , 48 संघ परिवार, शिवसेना, आडवाणी, जोशी, बाल ठाकरे, विनय कटियार, अशोक सिंहल, उमा भारती, साक्षी महाराज व अन्य के खिलाफ कराई गई थी |

सन 1993 में सीबीआई ने उपरोक्त विवेचना अपने हाथ में लिया था |

वर्ष 1996 में उत्तर प्रदेश सरकार ने नोटिफिकेशन द्वारा दोनों केस की सुनवाई एक साथ करने का करने का निर्णय किया।

लखनऊ कोर्ट ने अपराधिक षड्यंत्र की धाराएं सभी केस में जोड़ दिया, जिसको लालकृष्ण आडवाणी एवं अन्य अभियुक्तों ने अदालत में चैलेंज किया।

4 मई 2001 को स्पेशल कोर्ट ने षड्यंत्र की धारा 120 बी लालकृष्ण आडवाणी मुरली मनोहर जोशी एवं अन्य 13 अभियुक्तों के विरुद्ध समाप्त कर दी एवं उनका ट्रायल रायबरेली में अलग से चलने लगा।

2003 में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किया।

19 अप्रैल 2017 को उच्चतम न्यायालय ने सभी केसेस स्पेशल कोर्ट लखनऊ अयोध्या प्रकरण को निस्तारित करने का निर्देश दिया और कहा कि 2 वर्ष के अंदर ट्रायल समाप्त किया जाए।

21 मई 2017 को स्पेशल सीबीआई कोर्ट अयोध्या प्रकरण में दिन-प्रतिदिन उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में सुनवाई प्रारंभ की।

8 मई 2020 को उच्चतम न्यायालय ने निर्देशित किया कि यह ट्रायल 3 माह में समाप्त हो जाए और 31 अगस्त 2020 की तारीख नियत की।

परंतु ट्रायल समाप्त ना होने पर पुनः लॉकडाउन को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने 30 सितंबर के आखरी तारीख ट्राई समाप्त करने की निश्चित की।

1 सितंबर को दोनों पक्षों की सुनवाई पूर्ण हुई और 16 सितंबर को स्पेशल जज ने 30 सितंबर 2020 को जजमेंट की तारीख निश्चित की।

49 अभियुक्तों में 32 जीवित

उपरोक्त बाबरी विध्वंस मामले में 49 कुल अभियुक्त थे जिसमें 32 वर्तमान में जीवित है और 17 का देहांत हो गया।

बाबरी विध्वंस
बाबरी विध्वंस के आरोपित जो अब नहीं रहे : अशोक सिंहल, महंत अवैद्यनाथ, विष्णुहरि डालमिया, बाल ठाकरे, विजया राजे सिंधिया

बाला साहब ठाकरे, महंत अवैद्यनाथ, विष्णु हरि डालमिया, विजया राजे सिंधिया, विनोद कुमार बंसल, राम नारायण दास, लक्ष्मी नारायण दास, हरगोविंद सिंह, रमेश प्रताप सिंह, देवेंद्र बहादुर राय, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, मोरेश्वर सावे महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, रामचंद्र दास परमहंस, बैकुंठ लाल शर्मा, डॉक्टर सतीश कुमार नागर इन अभियुक्त गणों का देहांत हो चुका है।

बाबरी विध्वंस
  कल्याण सिंह,    विनय कटियार,       चंपत राय,         आचार्य धर्मेंद्र,          साक्षी महाराज,        जयभान पवैया,    बृजभूषण शरण सिंह

जिन 32 अभियुक्त के विरुद्ध निर्णय आना है वह है लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, राम विलास वेदांती, महंत नृत्य गोपाल दास, कल्याण सिंह, सतीश प्रधान, चंपत राय, धर्मदास, रविंद्र नाथ श्रीवास्तव, महाराज स्वामी साक्षी, पवन कुमार पांडे, बृजभूषण सिंह, जय भगवान गोयल, रामचंद्र खत्री, सुधीर कक्कड़, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे, प्रकाश शर्मा, जय भान सिंह पवैया, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, रामजी गुप्ता, लल्लू सिंह, ओमप्रकाश पांडे, विनय कुमार राय, कमलेश त्रिपाठी, गांधी यादव, विजय बहादुर सिंह, नवीन भाई शुक्ला, आचार्य धर्मेंद्र देव है।

बाबरी विध्वंस
     सतीश प्रधान,                    लल्लू सिंह,                        पवन पाण्डेय,                         प्रकाश शर्मा,                     जयभगवान गोयल

निर्णय के समय सभी अभियुक्त गणों की उपस्थिति के लिए न्यायालय ने कहा है।

स्वामी साक्षी महाराज सांसद न्यायालय में समय से उपस्थित रहेंगे।

उपरोक्त मुकदमे में कुल 294 अभियोजन साक्षी पेश हुए।

स्वामी साक्षी महाराज के विरुद्ध श्री हरीश चंद्र पटवाल साक्षी संख्या 44, सुश्री कुमकुम चड्ढा साक्षी संख्या 50, अभियोजन साक्षी संख्या 136 आरबी सिंह, अभियोजन साक्षी संख्या 192 जगत बहादुर अग्रवाल, अभियोजन साक्षी संख्या 294 एम नारायणन स्वामी साक्षी महाराज के खिलाफ गवाही दी है।

उपरोक्त सत्र परीक्षण अंतर्गत धारा 395 397 332 337 338 295 297 एवं 153A आईपीसी के अंतर्गत चलाया गया |

एडवोकेट प्रशांत सिंह अटल
एडवोकेट प्रशांत सिंह अटल
 
प्रशान्त सिंह अटल,  एडवोकेट,
हाईकोर्ट, लखनऊ,
सहअध्यक्ष -बार काउन्सिल उत्तर प्रदेश। 
 

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