हम और हमारा देश

डा चन्द्रविजय चतुर्वेदी, (प्रयागराज)

हम और हमारा देश
मिलकर हैं एक
प्रगति की गति पर चढ़
विकास के पथ पर
बढ़ने को
अपनाते हैं विधि अनेक
कई घटकों के
एकाकार समुच्चय रूप
हम हैं वृहद् एक
जिसमे तमाम मैं हैं अटके
कुछ वे हैं कुछ आप हैं
कुछ तुम भी हैं भटके
कुछ तेरे हैं कुछ मेरे हैं झटके
सूरज की किरणों सा
विविध रंगों का सार तत्व है
रंग एक हमारा देश
हम और हमारा देश
एक गति से एक साथ
विकास के पथपर
गतिशील नहीं हो पाता
कोई अपने साथ देश को
राकेट पर बैठाकर
चन्द्रमा पर ले जा रहा है
कोई बुलेट ट्रैन के साथ
फर्राटा भरना चाह रहा है
किसी को वायुयान नसीब है
तो कोई देश को
अपने फोर ह्वीलर से
सिक्स लेन पर दौड़ा रहा है
कुछ जो बस बेचारे हैं
वे देश को भैंसागाड़ी पर लादे
चरमर चरर मरर चूं
चले जा रहे बिरहा गाते
मुश्किल से कोई सड़क हैं पाते
ज्यादातर गड्डे में से ही चलते जाते
तमाम अति बेचारे देश के संग ही
दलदल में फंसे हुए हैं
विकास की पगडंडी भी
नहीं पकड़ में पाए हैं
रॉकेट वायुयान बुलेट से
हम और हमारे देश को
आसमान पर उड़ते
चमचमाती सडकों पर
फर्राटे भरते देखकर
बस तालियां बजा बजा कर
दलदल में मस्त नाच रहे हैं
हम और हमारा देश

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Back to top button