कोरोना वायरस से हृदय को भी ख़तरा 

 

(मीडिया स्वराज़ डेस्क )

यह धारणा सही नही है की कोरोना वायरस केवल फेफड़ों पर हमला करके जान ले लेता है। 

बहुत से मरीज फेफडे़ की समस्या के अतिरिक्त हृदयरोग से भी ग्रस्त हो रहे हैं और मर रहे हैं।

चीन, इटली , वाशिंग्टन, न्यूयाॅर्क से प्राप्त हो रहे आंकडो़ के दृष्टिगत बडी़ संख्या में हार्ट के डाक्टर अब विश्वास करने लगे हैं कि कोविड 19 वायरस हार्ट मसल यानी हृदय भित्ति को संक्रमित कर सकता है ।

साइंटेफ़िक अमेरिकन वेबसाइट में प्रकाशित एक लेख के अनुसार  एक प्रारंभिक अध्ययन का निष्कर्ष है कि श्वसन अवरोध के लक्षण विहीन 5 में से एक मरीज में हृदय को नुकसान होने के कारण हृदय घात और परिणामतः मृत्यु होती है ।

कोविड 19 के खिलाफ चल रहे युद्ध में इसके कारण एक नया मोर्चा बनाना पड़ सकता है – मोर्चा जिसमें पहले से हृदयरोग ग्रस्त लोगों में नयी सावधानियों , नये उपकरणों की जरूरत होगी, परिणामतः कोरोना से उबरनेवाले मरीजों के कमजोर हो गये हृदय के लिए नये चिकित्सा आयोजना की आवश्यकता पडे़गी।

कोविड 19 जैसी नयी बीमारी से  जूझ रहे  डाक्टर,  मरीजों के संबंध में आज जिस बडे़ सवाल का सामना कर रहे हैं वह यह है कि क्या उनके  सामने आ रही हृदय की बीमारियां वायरस जन्य हैं अथवा वायरस के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया की बाईप्राॅडक्ट हैं ? वायरस अपने स्तर से हृदय को कैसे ग्रसता है यह निर्धारण करना कठिन है क्योंकि  किसी गंभीर बीमारी के चलते वैसे ही हृदय प्रभावित हो सकता है।

स्पेशलिस्ट का विश्वास है कि कोविड 19 संक्रमण हृदय को चार – पांच तरह से क्षतिग्रस्त कर सकता है। इन लोगों के अनुसार कुछ मरीज हृदय स्पंदकों के रास्ते तत्काल प्रभावित हो सकते हैं।

डाक्टरों को पहले से ही यह ज्ञान है कि किसी भी गंभीर चिकित्सकीय अवस्था यहां तक कि हिप सर्जरी से उत्पन्न स्ट्रेस से भी हृदय को क्षति पहुंच सकती है। न्यूमोनिया जैसी अवस्था में शरीर में व्यापक सूजन ( इनफ्लामेशन )हो सकती है जो धमनियों में जमा प्लाॅक को अनस्टेबल बनाकर हार्ट अटैक को ला सकती है। इनफ्लामेशन मायोकार्डाइटिस की अवस्था पैदा कर सकता है जिससे हार्ट मसल कमजोर होती है और हृदयगति रुक जाती है। 

कुछ डाक्टर सोचते हैं की कि कोविड 19 के मरीज में हृदय को जो क्षति देखी गयी है वह वायरस द्वारा सीधे हार्ट मसल को संक्रमित करने के कारण हो सकता है। 

अभी इस दिशा में और शोध की ज़रूरत है। लेकिन इतना तो पक्का है कि चिकित्सा विशेषज्ञों को अब फेफड़े के साथ साथ हृदय को बचने के अतिरिक्त उपाय करने होंगे।

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