विदेश से आयात के कारण मक्का किसानों को भारी घाटा

विरोध में शुरू हुआ पहला ऑनलाइन आंदोलन

भोपाल मध्य प्रदेश।                                                                                                                                                                                                                 कोरोना लॉक डाउन के चलते राजनीतिक दल एलईडी टीवी लगाकर ऑन लाइन रैलियाँ कर रहे हैं . जवाब में मध्यप्रदेश के सिवनी ज़िले में मक्का किसानों ने सरकार और समाज का ध्यान खींचने के लिए ऑनलाइन आंदोलन शुरू किया है.
इस समय किसानों को मक्के की कीमत रु 900 से रु 1000 के बीच मिल रही है जो घाटे का सौदा है.

कमीशन फ़ॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस (CACP) के अनुसार 1 कुण्टल मक्का पैदा करने की लागत 1213 रुपए आती है। वर्तमान समय में मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपये है। C2+50 का फ़ॉर्मूला अपनाया जाता तो मक्के का समर्थन मूल्य 2355 रुपए होना चाहिए था। किसानों के द्वारा चलाया जा रहा अपने तरह के इस पहले ऑनलाइन आंदोलन का फौरी उद्देश्य मक्का का समर्थन मूल्य बढ़वाना नहीं, मक्का का समर्थन मूल्य पाना है।

किसानों को प्रति कुण्टल लागत पर 213 रुपये से लेकर 313 रुपए और समर्थन मूल्य से आकलन करें तो 850 से 950 रुपये प्रति कुण्टल का घाटा सहना पढ़ रहा है।
1 एकड़ में मक्के पर किसानों को 14 से 16 हजार तक की लागत आ रही है और इतना ही नुकसान प्रति एकड़ मक्के की खेती पर किसानों को हो रहा है।

मक्का किसानों को हो रहे इस बहुत बड़े घाटे से परेशान होकर युवा किसानों ने अलग-अलग क्षेत्र के सक्रिय युवाओं के साथ मिलकर विरोध का नया तरीका निकाला।

ऑनलाइन सत्याग्रह

किसान सत्याग्रह नाम से फेसबुक पेज बनाया गया, ट्विटर में भी इसी नाम से दस्तक दी गई। ‘किसान सत्याग्रह’ नाम से व्हाट्स एप्प ग्रुप्स बनाये गए, जहां किसानों को जोड़ना शुरू किया गया। तेज़ी से किसान इन व्हाट्स एप्प ग्रुप्स से जुड़े।

मक्का किसान दुखी और निराश थे। इसलिए युवाओं द्वारा शुरू हुए इस ऑनलाइन आंदोलन को बहुत जल्द बड़े समूह का जन समर्थन मिलना शुरू हुआ।

महज 13 दिनों में किसान सत्याग्रह पेज की पहुँच 80 हजार से ज्यादा लोगों तक हो गई।

मक्का MSP आंदोलन से जुड़ी हर पोस्ट को किसान बड़ी मात्रा में शेयर करने लगे। देश भर से किसान आंदोलन से जुड़े जाने माने नाम आंदोलन के समर्थन में वीडियो संदेश भेज रहे हैं।।

किसानों ने पेज के माध्यम से सरकार से स्पस्ट मांग रखी है। #मक्काMSP 1850 दो, या इस्तीफा दो।

आन्दोलन को सपोर्ट के लिए 3 मुख्य तरीके अपनाए गए हैं। पहला प्ले कार्ड के माध्यम से किसान अपना सपोर्ट दर्शा रहे हैं.

दूसरा अपना वीडियो बनाकर अपनी परेशानी तथा अपनी मांग बता रहे हैं।।

तीसरा किसान सत्याग्रह के समर्थन में आंदोलन को सपोर्ट करता फ्रेम DP में अपडेट कर रहे हैं।
अपनाए गए इन तीनों तरीकों को किसानों का बड़ा समर्थन मिल रहा है। नतीजतन मध्य प्रदेश सरकार पर किसानों के दबाव का असर होना शुरू हो गया है।

1 जून को मध्य प्रदेश जबलपुर मंडी बोर्ड ने आदेश देते हुए स्वीकार किया कि मक्का किसानों को बहुत घाटा हो रहा है।
उन्होंने कृषि उपज मंडी अधनियम 1972 की धारा 36(3) का हवाला देते हुए कहा कि मक्का समर्थन मूल्य से कम में नहीं बिकना चाहिए, व्यापारियों से बात कर घोष बोली के द्वारा ये दर दिलवाना सुनिश्चित किया जाए। (प्रति सलंग है)
1 तारीख के इस आदेश के बाद भी मंडियों में मक्का वही 900 से 1000 के करीब ही बिक रहा है।

क्यों गिरे मक्का के इतने दाम

पोल्ट्री लॉबी के दबाव में आयात से दाम गिरे

इस वर्ष खरीफ़ सीजन में मक्का की फसल आने के बाद दाम तेज़ी से ऊपर गए। दिसंबर और मध्य जनवरी तक मक्के के दाम 2100-,2200 तक थे, पर हमारी आपदा को अवसर में बदलने वाली और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने वाली सरकार ने 3 देशों से रसिया, यूक्रेन, बर्मा से आयात शुरू कर दिया। नतीजतन देश में जो मक्का 2200 तक बिक रहा था, उसकी क़ीमत जमीन के तरफ बढ़ने लगी। विदेश से मक्का भारत के पोर्ट तक 1800 में पहुँच रहा था।
अपनी सरकार ने अपने ही किसानों के साथ धोखा करते हुए उनके उत्पाद की कीमत इसलिए गिरी दी क्योंकि उन्हें पोल्ट्री लॉबी का ध्यान रखना था। आज कीमत गिरकर 900 रुपए तक आ गईं है। 10 दिन बाद फिर मध्य प्रदेश में मक्का की बोनी शुरू होने वाली है, किसान चिंतित और परेशान हैं।
एक जिले सिवनी में लगभग 4 लाख 35 हजार एकड़ में मक्का की बोनी हुई थी, MSP ना मिलने से प्रति एकड़ किसानों को 16 हजार के करीब घाटा हो रहा है। मक्का उत्पादक गांवों को करोड़ो का नुकसान हो रहा है।
अकेले सिवनी जिले के किसानों को 600 करोड़ के करीब का घाटा सहना पढ़ रहा है।

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