मदुरई से निकलकर रामनाथपुरम् झील पहुंची विरासत स्वराज यात्रा 2021-22

जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने स्थानीय लोगों और किसानों से बातचीत करते हुए कहा कि, जब वैगाई नदी में जल ही नहीं बचा, तो झील कैसे भरेगी!

मीडिया स्वराज डेस्क

दिनांक 14 नवंबर 2021 को विरासत स्वराज यात्रा सुबह-सुबह मदुरई से निकलकर रामनाथपुरम् झील पर पहुंची। इस झील को वैगाई नदी से भरा जाता है। यहां जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने स्थानीय लोगों और किसानों से बातचीत करते हुए कहा कि, जब वैगाई नदी में जल ही नहीं बचा, तो झील कैसे भरेगी! कैसे यहां के लोगों को पानी मिलेगा! इसलिए यहां के जीवन, जीविका हेतु वर्तमान में वैगाई नदी पर हो रहे व्यापारिक, शोषण, अतिक्रमण को रोकना होगा। तभी हमारे जीवन की विरासत बच पायेगी।

दी के प्राकृतिक प्रवाह को काट कर, मानवनिर्मित बना रहे हैं। आज हमारे देश में विकास ने नाम पर नदियों, संप्रदायों या समुद्र हो, इन सभी का बहुत विनाश हो रहा है। यहां की सरकारें बहुत लापरवाही कर रही है।

इसके उपरांत यात्रा नदी पालम गाँव पहुँची। यह वह स्थान है, जहां से वैगाई नदी समुद्र में प्रवेश करने के लिए तैयार होती है। यहां राजेंद्र सिंह ने कहा कि, हमारे देश में आधुनिक तकनीक और इंजीनियरिंग विनाश कर रहे। नदी के प्राकृतिक प्रवाह को काट कर, मानवनिर्मित बना रहे हैं। आज हमारे देश में विकास ने नाम पर नदियों, संप्रदायों या समुद्र हो, इन सभी का बहुत विनाश हो रहा है। यहां की सरकारें बहुत लापरवाही कर रही है। जिसके कारण हजारों साल पुरानी विरासत खत्म हो रही है। पहले यहां तालाबों की बड़ी विरासत थी, लेकिन आज उसकी जगह बिलायती बबूल के पेड़ खड़े हुए है। यह विनाश इसलिए हो रहा है क्योंकि हमारी आधुनिक शिक्षा में भारतीय ज्ञान तंत्र को जोड़ने का काम नही हो रहा है। हमारी यह विरासत स्वराज यात्रा आधुनिक शिक्षा के बिगड़ को सुधारने में मदद करेगी।

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विरासत स्वराज यात्रा 2021-22

उसके बाद यात्रा अन्त्रगारै पहुंची। इस जगह का पौराणिक काल में बहुत महत्व है। यहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि, यहां दक्षिण भारत में चोला, चेरा और पाण्डया वंश ने राज किया था। यहां 345 बीसी में पाण्डया वंश के राज्यकाल में यह जगह, बहुत बड़े व्यापारिक केंद्र के रूप में जानी जाती थी। इजिप्ट, सोमेरियाव और अन्य देशों से जहाजों के माध्यम से आयात निर्यात होता था। इससे जुड़ कर वैगाई नदी के माध्यम से छोटी नावों में माल का आयात निर्यात होने लगा। यहां जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि, हमारी विरासत बहुत समृद्ध थी, जो नदियां जल, जीवन देती थी, वो व्यापार भी देती थी। यह नदियां जहां जीवन, जीविका और जमीर बसता था अर्थात जल उपलब्ध कराने के केंद्र थी, वही नदियां आज व्यापारिक केंद्र बनकर बहुत प्रदूषित हो गई, अतिक्रमण और शोषण की शिकार हो गई है।

हिन्दू संस्कृति के अनुसार चार धाम में से एक धाम माना जाता है। यहाँ की शिवलिंग की स्थापना राम ने की थी। यहाँ के दर्शन करने के बाद यात्रा ए.पी. जे. अब्दुल कलाम मेमोरियल मदुरै पहुँची। इस यात्रा दल में संजय राणा, गुरु स्वामी, सौन्दरा पांडियन, पूमारण आदि तमिलनाडु के साथी शामिल है।

यहां से यात्रा धनुषकोढ़ी होते हुए, रामेश्वरमंदिर गई जहाँ पर शिव का मंदिर है। हिन्दू संस्कृति के अनुसार चार धाम में से एक धाम माना जाता है। यहाँ की शिवलिंग की स्थापना राम ने की थी। यहाँ के दर्शन करने के बाद यात्रा ए.पी. जे. अब्दुल कलाम मेमोरियल मदुरै पहुँची। इस यात्रा दल में संजय राणा, गुरु स्वामी, सौन्दरा पांडियन, पूमारण आदि तमिलनाडु के साथी शामिल है। यात्रा का दूसरा दल रणवीर और चमन सिंह के नेतृत्व में राजस्थान के करौली जिले में पहुंचा, जहां बच्चो और किसानों को अपनी विरासत बचाने का संकल्प दिलाया।

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